पूर्व जनशिक्षक को जन शिक्षक पद पर प्रतिनियुक्ति नहीं देने संंबंधी शासन
के नियम को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने खारिज कर दिया। शासन ने अक्टूबर
2015 में नियम निकाले थे,इसमें पूर्व में जन शिक्षक रह चुके शिक्षकों को
पुन: जनशिक्षक पद प्रतिनियुक्ति को लेकर रोक लगा दी थी।
बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र मध्यप्रदेश द्वारा 6 जुलाई 2011 को प्रतिनियुक्ति संबंधी आदेश जारी किए गए। इसमें प्रत्येक शिक्षा केंद्र पर शिक्षक व अध्यापकों में से जन शिक्षक पद पर दाे-दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति दी गई । जिसे बाद में और बढ़ा दिया गया था। इनका प्रमुख कार्य शासन की योजनाओं का स्कूलों में क्रियान्वयन करना व उनकी देखरेख करना था। शासन ने 30 अक्टूबर 2015 को नए सिरे से जन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति संबंधी दिशा निर्देश जारी किए। साथ ही इसमें कहा कि पूर्व के जन शिक्षकों को पुन: प्रतिनियुक्ति नहीं दी जाएगी।
अशोक नगर निवासी याचिकाकर्ता पूर्व जन शिक्षक दिलीप रघुवंशी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में इस नियम के खिलाफ याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता केके श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में बहस करते हुए कहा कि यह खुली भर्ती है, इसमें यदि व्यक्ति योग्य है तो उसे पुन: अवसर मिलना चाहिए। इसलिए विकास खंड एकेडमिक समन्वयक और जन शिक्षकों को काउंसिलिंग में योग्य होने पर पुन: प्रतिनियुक्ति दी जाए। कोर्ट ने शासन के पूर्व जनशिक्षकों को प्रतिनियुक्ति नहीं देने संबंधी नियम को रद्द कर दिया। ज्ञात रहे कि प्रदेश में जनशिक्षकों के 5320 पद हैं।
परिवार डेयरी की संपत्ति मुक्त कराने की याचिका खारिज
अवैध रूप से वित्तीय कारोबार करने वाली कंपनी परिवार डेयरी के संचालक राकेश नरवरिया ने कोर्ट में एक आवेदन पेश किया। इसमें कहा कि उसकी अन्य कंपनियां परिवार डेयरी एवं एलाइड से अलग हैं। इसलिए उनकी कुर्क संपत्तियों को मुक्त किया जाए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अभय कुमार की कोर्ट ने उक्त आवेदन खारिज कर दिए। आरोपी ने कहा कि उसकी कंपनी प्रिसाइज मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, परिवार पैट प्रॉडक्शन लिमिटेड, परिवार एग्री बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड वित्तीय कारोबार करने वाली कंपनी परिवार डेयरी एंड एलाइड लिमिटेड से अलग हैं। वहीं उसने और उसकी प|ी ने परिवार डेयरी एवं एलाइड के संचालक पद से 2008 को इस्तीफा दे दिया था।
बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र मध्यप्रदेश द्वारा 6 जुलाई 2011 को प्रतिनियुक्ति संबंधी आदेश जारी किए गए। इसमें प्रत्येक शिक्षा केंद्र पर शिक्षक व अध्यापकों में से जन शिक्षक पद पर दाे-दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति दी गई । जिसे बाद में और बढ़ा दिया गया था। इनका प्रमुख कार्य शासन की योजनाओं का स्कूलों में क्रियान्वयन करना व उनकी देखरेख करना था। शासन ने 30 अक्टूबर 2015 को नए सिरे से जन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति संबंधी दिशा निर्देश जारी किए। साथ ही इसमें कहा कि पूर्व के जन शिक्षकों को पुन: प्रतिनियुक्ति नहीं दी जाएगी।
अशोक नगर निवासी याचिकाकर्ता पूर्व जन शिक्षक दिलीप रघुवंशी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में इस नियम के खिलाफ याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता केके श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में बहस करते हुए कहा कि यह खुली भर्ती है, इसमें यदि व्यक्ति योग्य है तो उसे पुन: अवसर मिलना चाहिए। इसलिए विकास खंड एकेडमिक समन्वयक और जन शिक्षकों को काउंसिलिंग में योग्य होने पर पुन: प्रतिनियुक्ति दी जाए। कोर्ट ने शासन के पूर्व जनशिक्षकों को प्रतिनियुक्ति नहीं देने संबंधी नियम को रद्द कर दिया। ज्ञात रहे कि प्रदेश में जनशिक्षकों के 5320 पद हैं।
परिवार डेयरी की संपत्ति मुक्त कराने की याचिका खारिज
अवैध रूप से वित्तीय कारोबार करने वाली कंपनी परिवार डेयरी के संचालक राकेश नरवरिया ने कोर्ट में एक आवेदन पेश किया। इसमें कहा कि उसकी अन्य कंपनियां परिवार डेयरी एवं एलाइड से अलग हैं। इसलिए उनकी कुर्क संपत्तियों को मुक्त किया जाए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अभय कुमार की कोर्ट ने उक्त आवेदन खारिज कर दिए। आरोपी ने कहा कि उसकी कंपनी प्रिसाइज मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, परिवार पैट प्रॉडक्शन लिमिटेड, परिवार एग्री बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड वित्तीय कारोबार करने वाली कंपनी परिवार डेयरी एंड एलाइड लिमिटेड से अलग हैं। वहीं उसने और उसकी प|ी ने परिवार डेयरी एवं एलाइड के संचालक पद से 2008 को इस्तीफा दे दिया था।