अनूपपुर.
स्कूलों में शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता तथा शिक्षकों के साथ छात्रों के
प्रेरणा स्त्रोत स्कूल के प्राचार्य माने जाते हैं। जिसके मार्ग दर्शन में
स्कूल की शिक्षा का मजबूत बुनियाद खड़ा किया जाता है। लेकिन अनूपपुर जिले
के शासकीय विद्यालयों में इन बुनियादों को खुद स्कूलों के मुखिया यानि
प्राचार्य ने ही अनियमितता का स्वरूप प्रदान कर दिया है। जिसमें स्कूलों
में उनकी नियमित उपस्थिति की वास्तविक स्त्रोत न तो स्कूल के उपस्थिति
पंजीयक में दर्ज है और ना ही विभागीय स्तर पर संचालित मोबाईल सूचना एप्स
पर। फिर भी पूरे जिले में पदस्थ स्कूलों के प्राचार्य बिना उपस्थिति प्रमाण
के अपने मासिक बिल भुगतान पर हस्ताक्षर कर शासकीय देय का आहरण कर रहे हैं।
जिसे विभागीय वित्तीय अनियमितता की श्रेणी के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता
है। जबकि स्कूल में बनाए गए उपस्थिति पंजीयक में अन्य शिक्षकों के
हस्ताक्षर पाए जाते हैं, लेकिन प्राचार्य के उपस्थिति कॉलम में न तो समय का
निर्धारण है और ना ही उपस्थिति दर्ज का। बावजूद विभाग जिले के सभी
प्राचार्यो की वैतनिक भुगतान कर रहा है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले
में प्रथम श्रेणी के 3 प्राचार्य पद की स्वीकृति प्रदान की गई जिसमें 2 पद
भरे हुए, जबकि 60 हायरसेकेंडरी विद्यालयों में द्वितीय श्रेणी के 59
प्राचार्य के पद स्वीकृत है इनमें 20 पद भरे हुए। वहीं 65 हाईस्कूलों में
प्राचार्य के 54 पद स्वीकृत है, जिसमें 22 पद भरे हुए हैं। यानि कुल मिलकार
जिलेभर में 44 प्राचार्य ऐसे हैं जो बिना अपनी उपस्थिति प्रमाणता के आधार
पर शासन स्तर से अपना वेतन प्राप्त कर रहे हैं। जहां उनकी उपस्थिति
प्रमाणकता को सत्यापित करने कोई आधार नहीं है।
एक ओर हाईस्कूल व
हायर सेकेंडरी विद्यालयों के प्राचार्य ने जहां अपनी स्कूलों में उपस्थिति
से दूरी बनाई वहीं शासन के निर्देशों के पालन को भी दरकिनार किया। शासन ने
बेहतर शिक्षा व्यवस्था तथा शिक्षकों व बच्चों के लिए प्रेरणात्मक स्त्रोत
बनने प्राचार्यो को दो कक्षाएं नियमित लेने के आदेश जारी किए। लेकिन इनमें
अधिकांश प्राचार्यो ने इसका पालन नहीं किया। स्कूल के सर्वेसवा होने के
कारण प्राचार्य ने अपनी मर्जी से स्कूल आने और जाने पर निर्धारित किया।
वहीं नियमित कक्षाओं में उपस्थिति और पठन पाठन के लिए भी शिक्षण रोस्टर में
अपना नाम शामिल नहीं कराया है। बताया जाता है कि विभागीय कार्य के नाम पर
उनकी उपस्थिति स्कूलों में ना के बराबर बनती है। जिसके कारण उनके द्वारा
पठन पाठन का भी कार्य नहीं पूरा किया जाता। जबकि पूर्व में जिले के समस्य
शासकीय विद्यालयों में शाम की छुट्टी से पूर्व स्कूल में 'जन गण मनÓ
राष्ट्रगान के आयोजन और प्राचार्यो की उपस्थिति के साथ अन्य स्कूली
शिक्षकों की उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन
प्राचार्यो ने यहां आदेशों को तिलांजलि दे दी।यहीं कारण है कि वर्ष 2015-16
के बोर्ड परीक्षा के दौरान जिले की 14 स्कूलों के रिजल्ट 30 फीसदी से भी
कम रहें। जिसे लेकर कलेक्टर ने सभी स्कूली प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस
जारी किया था।
इसलिए लग रहे स्कूलों पर ताले
स्कूली
शिक्षा व्यवस्थाओं की सुधार के लिए पूर्व में शासन ने सभी शासकीय
विद्यालयों में शिक्षकों व प्राचार्यो को शासन स्तर पर उपलब्ध कराए जाने
वाले सीयूजी मोबाईल सिम लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज मोबाईल के माध्यम से कराने
के निर्देश दिए। जिसमें आदिवासी विभाग द्वारा लगभग 200 से अधिक सिम का
वितरण किया जा चुका है। लेकिन आश्चर्य इन 200 सिम के जारी होने के बाद भी
आजतक किसी शिक्षक की उपस्थिति मोबाईल के माध्यम से नहीं की जा सकी। यहीं
नहीं स्कूली प्राचार्यो ने भी इसे अपनाने से इंकार कर दिया। जिसके कारण दो
साल बाद भी शासन के निर्देशों में अनूपपुर जिले में मोबाईल उपस्थिति का
फर्मूला नहीं फिट बैठ सका, और शिक्षकों की लापरवाही में प्रतिमाह अधिकांश
शिक्षकों के खिलाफ स्कूलों से अनुपस्थिति को लेकर विभाग द्वारा नोटिस जारी
करने की कार्रवाई की जा रही है।