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Saturday 25 February 2017

सरकारी स्कूल में 45+41= होते हैं 66

दमोह। नईदुनिया न्यूज सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली किस कदर खराब हो चुकी है, ये किसी से छिपा नहीं है। रही-सही कसर हाल ही में आयोजित प्रदेश सरकार के मिल बांचें अभियान से पूरी हो चुकी है। मंत्री, विधायक भी साफ कर चुके हैं कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर बहुत खराब है।
इस व्यवस्था के लिए कौन दोषी है, यह कह पाना तो मुश्किल है, लेकिन जो तथ्य नईदुनिया लगातार सामने ला रहा है, उससे लचर हो चुकी शिक्षा प्रणाली की समीक्षा अवश्य की जा सकती है।
मिल बांचे अभियान के बाद सामने आई सरकारी स्कूलों की स्थिति को नईदुनिया ने जानने का प्रयास किया कि आखिर सरकारी स्कूलों की पढ़ाई इतनी खराब क्यों हो गई, जिस पर शिक्षा से जुड़े लोगों में से किसी ने कहा शिक्षा नीति खराब हो चुकी हैं, किसी ने कहा अभिभावक बच्चों पर ध्यान नहीं देते, किसी ने कहा कि शिक्षा कार्य छोड़कर शिक्षकों से दूसरे कार्य ज्यादा कराए जा रहे हैं। हमने सभी पक्षों को सामने रखा, लेकिन इस दौरान एक बात और निकलकर आई कि 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों को 'ए' और 'बी' ग्रेड में पास किया गया, जबकि इस ग्रेड में पांच प्रतिशत बच्चे ही मिलना मुश्किल हैं।
'ए' और 'बी' ग्रेड के बच्चे भी 'डी' ग्रेड जैसे
हमने जिले के कुछ सरकारी स्कूलों का जायजा लिया और वहां पढ़ने वाले ऐसे बच्चों का चयन किया, जो ग्रेड के आधार पर परीक्षा पास कर अगली कक्षा में पढ़ रहे हैं। देखकर हैरानी हुई कि जिन बच्चों को 'ए' और 'बी' ग्रेड दिया है, वे अपनी पूर्व कक्षा की हिंदी पुस्तक का पहला पाठ भी नहीं पढ़ पाए। यहां तक की हिज्ज लगाकर भी पढ़ने में कठिनाई हुई। हटा के एक स्कूल में कक्षा सातवीं के बच्चे से 45 और 41 का जोड़ पूछा तो उसने जवाब में 66 बताया। हम अपनी खबर के माध्यम से किसी बच्चे को नीचा नहीं दिखाना चाहते हैं, इसलिए उनके नाम सामने नहीं ला रहे, लेकिन ये सच्चाई है, जिस पर शिक्षा विभाग के वरिष्ठों को गौर करना चाहिए।
दुख भी होगा, हंसी भी आएगी
मड़ियादो क्षेत्र के एक मिडिल स्कूल में 77 बच्चे मिले। उनमें से चंद बच्चे ऐसे थे, जिन्हें कुछ-कुछ हिंदी पढ़ना आती थी, अंग्रेजी पढ़ना तो संभव ही नहीं था। छात्रों की खामी देख वहां के शिक्षक ने तो पिछले साल के रिजल्ट की भी जानकारी नहीं थी, उन्होंने कह दिया कि उन्हें पता ही नहीं पिछले साल क्या रिजल्ट था। इसी क्षेत्र का एक प्राथमिक स्कूल जहां का रिजल्ट बी श्रेणी में था, लेकिन जब पढ़ाई का परीक्षण किया तो स्थिति डी ग्रेड जैसी थी। यहां के शिक्षक का कहना है कि छात्र नियमित स्कूल नहीं आते, अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजते।
शिक्षक बोले, व्यवस्था दोषी और बच्चे
हटा नगर के कुछ और स्कूलों का भी जायजा लिया। एक प्राथमिक स्कूल में 40 बच्चे मिले। यहां के बच्चे 'ए' 'बी' व 'सी' ग्रेड में पास हुए हैं। चौथी पासकर पांचवी में पढ़ रहे 'ए' व 'बी' ग्रेड बच्चों से कक्षा चौथी की हिंदी किताब का पहला पाठ पढ़ने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं पढ़ पाए। यहां के अध्यापक ने कहा कि शासन की नीतियों के कारण सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बिगड़ गई है। वे तो बच्चों को खूब पढ़ाते हैं, लेकिन फेल न होने के डर के कारण बच्चे ध्यान नहीं देते। नगर के एक और प्राथमिक स्कूल में जाकर पांचवीं के बच्चों से चौथी की हिंदी किताब पढ़ने को कहा वह भी नहीं पढ़ पाए। यहां की प्रभारी महिला एचएम का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने का खूब प्रयास करतीं है, लेकिन फेल न होने नियम के कारण न तो बच्चे गंभीर हैं और न ही अभिभावक। यही पास के एक मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा सातवीं के बच्चे ने 45 व 41 का जोड़ 66 बताया। इस मिडिल स्कूल की शिक्षिका ने भी बच्चों को गलत ठहराया। उन्होंने एक नई बात ये कही कि उनसे पहले की कक्षा में जिन शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाई कराई वे इस कमजोरी के लिए दोषी हैं।
ग्रेड मिला 'ए' पर हिंदी किताब पढ़ना मुश्किल
तेंदूखेड़ा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों का भी यही हाल है। यहां के एक गांव के प्राथमिक स्कूल की तीन छात्राओं को लिया, जिन्हें पिछले साल 'ए' ग्रेड मिला था। उनसे कहा कि वह कोई भी हिंदी के पाठ की लाइने पढ़ दें, लेकिन वे नहीं पढ़ पाईं। मिडिल स्कूल की एक छात्रा ने किताब पढ़ दी, लेकिन बाकी कोई नहीं पढ़ पाया। यहां के शिक्षक का कहना है कि कमजोर शिक्षा के पीछे शासन की नीतियां और अभिभावकों की लापरवाही है। इसके अलावा कुछ और स्कूलों में जाकर देखा तो वहां भी एक दो छात्रों को छोड़कर बाकी ग्रेडिंग पाने वाले बच्चों की स्थिति 'डी' ग्रेड के बच्चों जैसी ही थी।
डीपीसी हेमंत खेरवाल का कहना है कि यदि बच्चे 'ए' और 'बी' ग्रेड में हैं और हिंदी की किताब भी नहीं पढ़ पा रहे तो ये बड़ी खामी है। स्कूल प्रबंधन को ऐसे बच्चों को आगे की ग्रेडिंग में नहीं रखना था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस बार प्रतिभा पर्व में दर्ज होने वाली ग्रेडिंग में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा और जो बच्चा जिस योग्य होगा उसे वही ग्रेडिंग दी जाएगी। 
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