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Friday 15 November 2019

क्या 'शपथ' से सुधरेगी मध्‍य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था?

भोपाल. मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था (Education System) को सुधारने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. जबकि अब शपथ (Oath) के जरिए शिक्षा के स्तर में सुधार की कवायद की जा रही है. प्रदेश भर के स्कूलों में शिक्षकों ने बाल दिवस (Children's day) पर अपना कार्य ईमानदारी से करने की शपथ ली. पहली बार है जब बाल दिवस के दिन शिक्षा विभाग (Education Department) ने शपथ के जरिए शिक्षकों के मन में बच्चों के भविष्य को संवारने सेवा भाव जगाने की कोशिश की है. हालांकि सवाल यही है कि क्या महज शपथ से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सुधर पाएगी.


स्कूल शपथ से काम करने के लिए प्रेरित
प्रदेश भर के हर स्कूल में बाल दिवस पर शपथ को भोपाल के शिक्षकों ने बेहतर कदम माना है. भोपाल में शिक्षकों का कहना है कि ये सरकार का शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए अच्छी पहल है,क्योंकि इस पहल से कुछ इलाकों के शिक्षक जो बेहतर काम नहीं कर पा रहे थे या बच्चों के नींव को मजबूत करने में अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पा रहे थे, वो अब इस शपथ के बाद प्रेरित होंगे. अच्छा काम करने की शपथ के जरिए प्रेरणा भी मिलेगी, लेकिन शिक्षक दवाब में ना आएं बल्कि खुद से ही अपनी जिम्मेदारी को समझने की कोशिश करें.

जिला शिक्षाधिकारी ने कही ये बात

भोपाल के जिला शिक्षाधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है कि अच्छा है कि इसे शिक्षक केवल शपथ ना समझें बल्कि शपथ के पीछे अर्थ को भी समझें. अपने कार्य को लगन और ईमानदारी से करें, तो शायद कुछ दिनों में फर्क दिखाई देगा. उम्‍मीद है कि यह कदम बेहतर साबित होगा.

बजट की कमी के बीच कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था!
स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षा के स्तर में आमूलचूल परिवर्तन लाने की शपथ की शुरुआत तो कर रहा है, लेकिन शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए शिक्षा विभाग में सुविधाएं और संसाधनों की कमी सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में सवाल यही है कि क्या बजट की कमी के बीच शिक्षा के स्तर में बदलाव कैसे होगा. बजट की कमी के चलते अब तक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती नहीं हो सकी है. प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है.

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प्रदेश भर के 22 हजार स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, तो वहीं कई स्कूलों के लिए भवन ही नहीं हैं. ग्रामीण इलाकों में ना तो शिक्षक हैं और ना ही स्कूल भवन. यही नहीं, स्कूल यूनिफॉर्म के लिए बजट नहीं है तो वहीं मेधावी छात्रों के लिए अब तक स्कूटी का ही इंतजार है. अंग्रेजी और गणित में बच्चे सबसे ज्यादा कमजोर हैं और ऐसे में शिक्षकों की परीक्षा के बाद भी अब तक कार्रवाई का इंतजार है. स्कूल शिक्षा विभाग क्या कमियों और बजट के अभाव में केवल शपथ से शिक्षा के स्तर में बड़ा परिवर्तन ला देगा. क्या महज शपथ से सारी सुविधाएं और संसाधन जुट जाएंगे?
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