इंदौर डीबी स्टार आदिम जाति कल्याण विभाग के तहत आने वाले ज्ञानोदय स्कूल में 10 साल से पदस्थ शिक्षक अब अपने ही विभाग के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी पीड़ा है कि विभाग ने उन्हें मनमाने तरीके से हटाकर छात्रावासों में भेज दिया।
जहां भेजा, वहां उनकी जरूरत भी नहीं है, क्योंकि वहां पद ही रिक्त नहीं है। इसके चलते उन्हें अभी तक कोई जिम्मेदारी भी नहीं सौंपी गई है।
इधर, ज्ञानोदय में इन शिक्षकों ने न सिर्फ पढ़ाई में हर साल रिजल्ट शत-प्रतिशत दिया बल्कि, खेलकूद सहित अन्य गैर शैक्षणिक विधाओं में भी स्कूल को अव्वल रखा। इन सभी शिक्षकों की भर्ती पीईबी परीक्षा के तहत हुई थी। इनके नियुक्ति पत्र में भी लिखा है कि इनका पद ट्रांसफर नीति के तहत नहीं आता है। इसके बावजूद इन उच्च शिक्षित इन शिक्षकों को हटाकर इनके स्थान पर प्रतिनियुक्ति पर दूसरे स्कूलों के अध्यापकों की पोस्टिंग कर दी गई। नियमानुसार ज्ञानोदय स्कूल में नए शिक्षकों को तभी रखा जा सकता है जब वहां पद रिक्त हों। पद रिक्त दिखाने के लिए पहले यहां के शिक्षकों को जबरन होस्टलों में पहुंचाया फिर नए शिक्षक रख लिए गए।
ऐसे बुना मनमानी का तानाबाना
आदिम जाति कल्याण विभाग ने 10 साल पुराने शिक्षकों को हटाकर नए शिक्षक लाने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों को प्रतिनियुक्ति से भरने का विज्ञापन 17 सितंबर 2016 को निकाला था। इसमें जो पद रिक्त बताए गए हैं, वे खाली थे ही नहीं। कुछ समय बाद शत-प्रतिशत रिजल्ट देने वाले 160 शिक्षकों का तबादला कर उनके स्थान पर नए शिक्षक रख लिए। इनमें 10 शिक्षक इंदौर के भी हैं। ज्ञानोदय विद्यालय में स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाने की शुुरुआत भोपाल के संभागीय स्कूल से की गई है। यहां पहले पांच स्थायी शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाया गया, जबकि प्रदेश के अन्य ज्ञानोदय विद्यालय में एक-दो शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाया गया। जब इसका विरोध नहीं हुआ तो फिर एक साथ सभी पदों पर प्रतिनियुक्त पर अपने चहेते शिक्षकों को लाने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया।
जहां भेजा, वहां उनकी जरूरत भी नहीं है, क्योंकि वहां पद ही रिक्त नहीं है। इसके चलते उन्हें अभी तक कोई जिम्मेदारी भी नहीं सौंपी गई है।
इधर, ज्ञानोदय में इन शिक्षकों ने न सिर्फ पढ़ाई में हर साल रिजल्ट शत-प्रतिशत दिया बल्कि, खेलकूद सहित अन्य गैर शैक्षणिक विधाओं में भी स्कूल को अव्वल रखा। इन सभी शिक्षकों की भर्ती पीईबी परीक्षा के तहत हुई थी। इनके नियुक्ति पत्र में भी लिखा है कि इनका पद ट्रांसफर नीति के तहत नहीं आता है। इसके बावजूद इन उच्च शिक्षित इन शिक्षकों को हटाकर इनके स्थान पर प्रतिनियुक्ति पर दूसरे स्कूलों के अध्यापकों की पोस्टिंग कर दी गई। नियमानुसार ज्ञानोदय स्कूल में नए शिक्षकों को तभी रखा जा सकता है जब वहां पद रिक्त हों। पद रिक्त दिखाने के लिए पहले यहां के शिक्षकों को जबरन होस्टलों में पहुंचाया फिर नए शिक्षक रख लिए गए।
ऐसे बुना मनमानी का तानाबाना
आदिम जाति कल्याण विभाग ने 10 साल पुराने शिक्षकों को हटाकर नए शिक्षक लाने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों को प्रतिनियुक्ति से भरने का विज्ञापन 17 सितंबर 2016 को निकाला था। इसमें जो पद रिक्त बताए गए हैं, वे खाली थे ही नहीं। कुछ समय बाद शत-प्रतिशत रिजल्ट देने वाले 160 शिक्षकों का तबादला कर उनके स्थान पर नए शिक्षक रख लिए। इनमें 10 शिक्षक इंदौर के भी हैं। ज्ञानोदय विद्यालय में स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाने की शुुरुआत भोपाल के संभागीय स्कूल से की गई है। यहां पहले पांच स्थायी शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाया गया, जबकि प्रदेश के अन्य ज्ञानोदय विद्यालय में एक-दो शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाया गया। जब इसका विरोध नहीं हुआ तो फिर एक साथ सभी पदों पर प्रतिनियुक्त पर अपने चहेते शिक्षकों को लाने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया।