जबलपुर।प्रदेश
भर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के साथ-साथ बहुमुखी विचारधारा के
सिद्धांत पर ध्यान दिया जाता है। सिर्फ स्टूडेंट्स के एकेडमिक सेशन ही
नहीं, बल्कि स्पोट्र्स, कल्चरल और अन्य उन्मुखीकरण बातों पर गौर किया जा
रहा है। इतना ही नहीं स्टूडेंट्स के साथ प्रोफेसर्स के लिए उच्च शिक्षा
विभाग नए निर्देशों को पारित करता जा रहा है।
इन्हीं
निर्देशों की एक झलक बायोमैट्रिक मशीनों के रूप में देखने को मिल रही है,
जो अब प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों की गरिमा बन चुका है। कुछ समय पहले
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा डिजिटल प्लान के चलते इस तरह की
इनीशिएटिव लिया गया था। इसके चलते देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर्स
की अटैंडेंस के लिए बायोमैट्रिक मशीनों की स्थापना करवाई जा चुकी है।
बायोमैट्रिक
मशीनों का संचालन देशभर के 439 कॉलेजों में किया गया है। डिजिटल दुनिया की
तरफ बढऩे वाले इस कदम का मकसद कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थित की
पारदर्शिता को साफ रखना था। मेडिकल कॉलेज में तो इस इनीशिएटिव प्रोग्राम के
अंतर्गत डॉक्ट्र्स के लिए रेग्युलर प्लांस के अंतर्गत रेडियो फ्रिक्वेंसी
आइडेंटिफिकेशन भी जारी करवाए गए हैं, जो कि प्रैक्टिसिंग के दौरान तक लागू
होंगे।
डिग्री कॉलेज भी इसी पैटर्न में
मेडिकल
कॉलेज में बायोमेट्रिक मशीनों की स्थापना के बाद प्रदेशभर के डिग्री
कॉलेजों में भी मशीनों की स्थापना करवा दी गई है। गवर्नमेंट महाकोशल कॉलेज
के प्रो. अरुण शुक्ल ने बताया कि मशीन के बाद कॉलेज में उपस्थित होने की
पारदर्शिता अच्छी हो चुकी है। अब इसके आधार पर ही वेतन भी दिया जाएगा।
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