इंदौर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दूसरे चरण की निकलने वाली लॉटरी 12 दिन बाद भी तारीख की घोषणा नहीं होने से अटकी हुई है। यह घोषणा कब होगी इसकी जानकारी अधिकारियों के पास भी नहीं है। जिससे गरीब वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
23,500 सीटों में से केवल करीब 6 हजार बच्चों को ही निजी स्कूलों में प्रवेश मिल पाया है। जबकि 18 हजार के लगभग सीटें अभी भी खाली पड़ी हैं। अब दूसरे चरण की तारीख 15 दिन के अंदर घोषित नहीं हुई तो अभिभावकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। आरटीई के अंतर्गत प्रवेश प्रक्रिया का दूसरा चरण 1 सितम्बर से शुरू होना था और 8 सितम्बर तक लॉटरी प्रक्रिया होने के बाद 10 सितम्बर तक बच्चों को प्रवेश देना था परंतु विभाग ने फिर विसंगतियों के कारण इसे निरस्त कर दिया। इस मामले को लेकर अब 12 दिन हो गए है परंतु दूसरे चरण की प्रक्रिया की तारीख अभी तक घोषित नहीं की गई है जिससे गरीब वर्ग के बच्चे प्रवेश पाने से वंचित हो रहे हैं।
अभिभावकगण तारीख घोषित करने के लिए जिला शिक्षा केन्द्र व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो रहे है लेकिन उन्हें अधिकारियों द्वारा तारीख की घोषणा नहीं होने की जानकारी देकर वापस लौटाया जा रहा है जिस पर पालकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और अब उन्होंने न्यायालय की शरण लेने का निर्णय लिया है। पालकों का कहना है कि 15 दिन के अंतर्गत तारीख की घोषणा नहीं की गई तो वे न्यायालय में जाएंगे।
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23,500 सीटों में से केवल करीब 6 हजार बच्चों को ही निजी स्कूलों में प्रवेश मिल पाया है। जबकि 18 हजार के लगभग सीटें अभी भी खाली पड़ी हैं। अब दूसरे चरण की तारीख 15 दिन के अंदर घोषित नहीं हुई तो अभिभावकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। आरटीई के अंतर्गत प्रवेश प्रक्रिया का दूसरा चरण 1 सितम्बर से शुरू होना था और 8 सितम्बर तक लॉटरी प्रक्रिया होने के बाद 10 सितम्बर तक बच्चों को प्रवेश देना था परंतु विभाग ने फिर विसंगतियों के कारण इसे निरस्त कर दिया। इस मामले को लेकर अब 12 दिन हो गए है परंतु दूसरे चरण की प्रक्रिया की तारीख अभी तक घोषित नहीं की गई है जिससे गरीब वर्ग के बच्चे प्रवेश पाने से वंचित हो रहे हैं।
अभिभावकगण तारीख घोषित करने के लिए जिला शिक्षा केन्द्र व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो रहे है लेकिन उन्हें अधिकारियों द्वारा तारीख की घोषणा नहीं होने की जानकारी देकर वापस लौटाया जा रहा है जिस पर पालकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और अब उन्होंने न्यायालय की शरण लेने का निर्णय लिया है। पालकों का कहना है कि 15 दिन के अंतर्गत तारीख की घोषणा नहीं की गई तो वे न्यायालय में जाएंगे।
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