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सुप्रीम कोर्ट का स्टे फिर भी सरकार ने की प्रमोशन में आरक्षण देने की तैयारी

मप्र हाईकोर्ट ने बेशक मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को खारिज कर प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया हो, या फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले स्टे दिया हो। लेकिन मप्र सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अपने मुताबिक निर्णय लेकर काम कर रही है।
प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने राजपत्र (गजट नोटिफिकेशन) जारी कर मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 के मुताबिक प्रमोशन करने के निर्देश जारी किए हैं। इस आदेश में सिर्फ नियमों का पालन करने का उल्लेख है, मप्र हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। वहीं विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने अब तक प्रमोशन के इस नियम में कोई संशोधन नहीं किया है, इसलिए इन नियमों के पालन का उल्लेख किया गया है।

30 अप्रैल को हाईकोर्ट ने निर्णय में कहा था - नियुक्तियों के दौरान समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग को नियमानुसार आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन पदोन्नतियों में आरक्षण गलत है। इसकी वजह से वास्तविक योग्यता वाले लोगाें में कुंठा घर कर जाती है।

इनका कहना है

हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम 2002 को खारिज किया है और सुप्रीम कोर्ट का भी इस मामले में स्टे है, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने अब तक इन नियमों में कोई संशोधन नहीं किया है, इसलिए पुराने नियमों के आधार पर ही राजपत्र जारी किया गया है। यदि सामान्य प्रशासन विभाग नियमों में बदलाव कर देता है तो हम उसका पालन करेंगे। - प्रमोद सिंह, उप सचिव/ स्कूल शिक्षा विभाग मप्र

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्टे किया है और यदि स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसा किया है तो यह न्यायालय की अवमानना है। इस राजपत्र को पढ़ने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। -मनोज शर्मा, एडवोकेट जबलपुर

आखिर क्या है विवाद

12 जुलाई 2016 को स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह द्वारा जारी किए गए राजपत्र के नियम 13,14 एवं 15 में कहा गया है कि पदोन्नति के लिए मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 का पालन किया जाएगा, जबकि इस नियम को मप्र हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ किया कि इस नियम के तहत पहले जो लोग प्रमोट हो चुके हैं वे रिवर्ट नहीं होंगे, पर अब आगे इस नियम के तहत पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिए जाए।

शासकीय सेवकों को प्रमोशन में अनुसूचित जाति को 16 व अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण।

जून 2002 से लागू इस नियम में उल्लेख, जो पद आरक्षित होंगे। उन्हें कभी आरक्षण के दायरे से बाहर नहीं किया जाएगा।

14 साल में 60 हजार से ज्यादा अफसर व कर्मचारियों को इस नियम का लाभ देकर प्रमोशन दिया जा चुका है।

2011 में इस नियम के खिलाफ विभिन्न कर्मचारी संगठनों की तरफ से 24 याचिकाएं अलग-अलग समय पर पेश की गईं।

आरक्षित जाति के शासकीय सेवकों में प्यून से लेकर उच्च अफसरों तक को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ मिला।

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