टारसी। पांच साल की बच्ची
के साथ गलत काम करने के आरोप में स्कूल टीचर को इटारसी कोर्ट ने दस साल की
सजा सुनाई है। इस अपराध में टीचर का साथ देने वाली किराएदार युवती को भी
कोर्ट ने दस साल की कैद की सजा दी।
आरोपी टीचर शादीशुदा
आरोपी टीचर दिनेश मिश्रा शादीशुदा है। टीचर ने मकान के एक हिस्से को किराया पर दे रखा था। किराएदार ज्योति साहू अपने साथ स्टेशन से मिली अकेली एक लड़की को घर लेकर आई। वह दिन में स्टेशन पर अपने काम के सिलसिले में जाती थी और लड़की को घर में बंद कर देती थी। चाभी टीचर को दे जाती थी। टीचर इसी में समय पाकर लड़की के साथ गलत काम करता था।
किराएदार को भी हुई सजा
इस मामले में एडिशनल सेशन जज आरसीएस बिसेन ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट 2012 में आरोपी को सजा सुनाई। मामला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष आने पर बालिका के दैहिक शोषण व यातना के बारे में पता चला। तब 5 अप्रैल 2015 को इटारसी थाने में समिति अध्यक्ष ने एक आवेदन सीडब्ल्यूसी ने लगाया। सिटी पुलिस ने स्कूल टीचर दिनेश मिश्रा और उसके मकान की किराएदार ज्योति साहू को आरोपी बनाया। दोनों को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल रिमांड पर होशंगाबाद जेल भेज दिया गया। बालिका के कथन जब मजिस्ट्रेट के समक्ष हुए तो दैहिक शोषण होने का खुलासा हो गया।
मामला सवा साल पूराना
मामला सवा साल पहले मार्च के महीने का है। कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी को पुरानी इटारसी के एक मकान में अज्ञात बालिका को यातना देने के बारे में बताया। इस सूचना पर 17 मार्च 2015 को बाल सशक्तिकरण विभाग की टीम ने वार्ड नंबर-6 इंद्रपुरा की कुंज गली के मकान से पांच साल की बालिका को मुक्त कराया। पता चला कि बालिका के पिता नहीं थे और मां कहीं चली गई थी।
हाईकोर्ट से जमानत पर छूट गया था शिक्षक
आरोपी शिक्षक दिनेश मिश्रा कुछ माह बाद हाईकोर्ट से मिली जमानत पर रिहा हो गया। किंतु ज्योति को जमानत नहीं मिली। पैरवी कर रहे अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी एचएस यादव ने बताया, हाईकोर्ट ने इस केस को जल्दी हल करने का आदेश विचारणीय न्यायालय को दिया था। सुनवाई के समय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साक्ष्य हुए जिसे कोर्ट ने विश्वसनीय माना।
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आरोपी टीचर शादीशुदा
आरोपी टीचर दिनेश मिश्रा शादीशुदा है। टीचर ने मकान के एक हिस्से को किराया पर दे रखा था। किराएदार ज्योति साहू अपने साथ स्टेशन से मिली अकेली एक लड़की को घर लेकर आई। वह दिन में स्टेशन पर अपने काम के सिलसिले में जाती थी और लड़की को घर में बंद कर देती थी। चाभी टीचर को दे जाती थी। टीचर इसी में समय पाकर लड़की के साथ गलत काम करता था।
किराएदार को भी हुई सजा
इस मामले में एडिशनल सेशन जज आरसीएस बिसेन ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट 2012 में आरोपी को सजा सुनाई। मामला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष आने पर बालिका के दैहिक शोषण व यातना के बारे में पता चला। तब 5 अप्रैल 2015 को इटारसी थाने में समिति अध्यक्ष ने एक आवेदन सीडब्ल्यूसी ने लगाया। सिटी पुलिस ने स्कूल टीचर दिनेश मिश्रा और उसके मकान की किराएदार ज्योति साहू को आरोपी बनाया। दोनों को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल रिमांड पर होशंगाबाद जेल भेज दिया गया। बालिका के कथन जब मजिस्ट्रेट के समक्ष हुए तो दैहिक शोषण होने का खुलासा हो गया।
मामला सवा साल पूराना
मामला सवा साल पहले मार्च के महीने का है। कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी को पुरानी इटारसी के एक मकान में अज्ञात बालिका को यातना देने के बारे में बताया। इस सूचना पर 17 मार्च 2015 को बाल सशक्तिकरण विभाग की टीम ने वार्ड नंबर-6 इंद्रपुरा की कुंज गली के मकान से पांच साल की बालिका को मुक्त कराया। पता चला कि बालिका के पिता नहीं थे और मां कहीं चली गई थी।
हाईकोर्ट से जमानत पर छूट गया था शिक्षक
आरोपी शिक्षक दिनेश मिश्रा कुछ माह बाद हाईकोर्ट से मिली जमानत पर रिहा हो गया। किंतु ज्योति को जमानत नहीं मिली। पैरवी कर रहे अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी एचएस यादव ने बताया, हाईकोर्ट ने इस केस को जल्दी हल करने का आदेश विचारणीय न्यायालय को दिया था। सुनवाई के समय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साक्ष्य हुए जिसे कोर्ट ने विश्वसनीय माना।
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