इंदौर। नगर प्रतिनिधि प्रदेश के 220 से ज्यादा इंजीनियरिंग
कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद करीब 3 हजार विद्यार्थियों
ने अलग-अलग कारणों से एडमिशन कैंसल करा लिए। इससे कॉलेजों में तीस हजार से
ज्यादा सीटें खाली रह गईं।
अधिकांश मामलों में प्रवेश रद्द कराने का कारण विद्यार्थियों के पास फीस नहीं होना रहा। जबकि कुछ विद्यार्थियों ने प्रदेश से बाहर के कॉलेजों में भी आवेदन कर रखा था। बेहतर कॉलेज होने से उन्होंने वहां के कॉलेजों को प्राथमिकता दी।
प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 15 अगस्त तक चली प्रवेश प्रक्रिया और कॉलेज लेवल काउंसलिंग के लिए समय दिए जाने से इस बार माना जा रहा था कि ज्यादातर कॉलेजों की अधिकांश सीटें भर जाएंगी। प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने के बाद स्थिति यह है कि इंजीनियरिंग की 70 हजार में से 40 हजार सीटें ही भर पाईं। उधर, डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के पास विद्यार्थियों की शिकायतें पहुंचने लगी हैं कि कॉलेज प्रबंधन प्रवेश कैंसल करवाने पर फीस और मूल दस्तावेज वापस नहीं कर रहे हैं।
पिछले पांच सालों में इंजीनियरिंग कॉलेजों की जो स्थिति थी, वह बिलकुल उलट हो गई है। एसजीएसआईटीएस, डीएवीवी के आईईटी और आरजीपीवी जैसे संस्थानों में प्रवेश लेने के कारण प्राइवेट कॉलेजों से छात्रों ने प्रवेश कैंसल करा लिए। टॉप कॉलेजों ने कॉलेज लेवल काउंसलिंग से हुए नुकसान की जानकारी तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजी है। यहां तक कि नामी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी सीटें खाली रह गई हैं। सूत्रों के मुताबिक पूरी फीस एक साथ भरवाने, आखिरी काउंसिलिंग सरकारी कॉलेजों में होने और बाहर के राज्यों में प्रवेश मिलने से सीटें खाली हुई हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी कोई यह कहने को तैयार नहीं है।
स्कॉलरशिप के आधार पर दस हजार छात्रों ने लिया प्रवेश
प्रदेश के करीब 10 हजार छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने स्कॉलरशिप राशि के आधार पर पढ़ाई शुरू की है। कॉलेजों की खराब स्थिति का फायदा उठाते हुए फीस को लेकर मोलभाव हुआ। कई छात्रों ने सिर्फ स्कॉलरशिप की राशि ही भर पाने की इच्छा जताई। वहीं कई कॉलेजों ने स्कॉलरशिप की 30 हजार राशि पर प्रवेश दे दिया। यह राशि भी साल के अंत में कॉलेजों को मिलेगी।
वापस ली जाएंगी सीटें
कई छात्रों ने सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेने के चक्कर में निजी कॉलेजों से प्रवेश कैंसल कराए हैं। अब खाली रह गई सीटें वापस ली जाएंगी।
- डॉ. लक्ष्मीनारायण रेड्डी
डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन
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अधिकांश मामलों में प्रवेश रद्द कराने का कारण विद्यार्थियों के पास फीस नहीं होना रहा। जबकि कुछ विद्यार्थियों ने प्रदेश से बाहर के कॉलेजों में भी आवेदन कर रखा था। बेहतर कॉलेज होने से उन्होंने वहां के कॉलेजों को प्राथमिकता दी।
प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 15 अगस्त तक चली प्रवेश प्रक्रिया और कॉलेज लेवल काउंसलिंग के लिए समय दिए जाने से इस बार माना जा रहा था कि ज्यादातर कॉलेजों की अधिकांश सीटें भर जाएंगी। प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने के बाद स्थिति यह है कि इंजीनियरिंग की 70 हजार में से 40 हजार सीटें ही भर पाईं। उधर, डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के पास विद्यार्थियों की शिकायतें पहुंचने लगी हैं कि कॉलेज प्रबंधन प्रवेश कैंसल करवाने पर फीस और मूल दस्तावेज वापस नहीं कर रहे हैं।
पिछले पांच सालों में इंजीनियरिंग कॉलेजों की जो स्थिति थी, वह बिलकुल उलट हो गई है। एसजीएसआईटीएस, डीएवीवी के आईईटी और आरजीपीवी जैसे संस्थानों में प्रवेश लेने के कारण प्राइवेट कॉलेजों से छात्रों ने प्रवेश कैंसल करा लिए। टॉप कॉलेजों ने कॉलेज लेवल काउंसलिंग से हुए नुकसान की जानकारी तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजी है। यहां तक कि नामी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी सीटें खाली रह गई हैं। सूत्रों के मुताबिक पूरी फीस एक साथ भरवाने, आखिरी काउंसिलिंग सरकारी कॉलेजों में होने और बाहर के राज्यों में प्रवेश मिलने से सीटें खाली हुई हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी कोई यह कहने को तैयार नहीं है।
स्कॉलरशिप के आधार पर दस हजार छात्रों ने लिया प्रवेश
प्रदेश के करीब 10 हजार छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने स्कॉलरशिप राशि के आधार पर पढ़ाई शुरू की है। कॉलेजों की खराब स्थिति का फायदा उठाते हुए फीस को लेकर मोलभाव हुआ। कई छात्रों ने सिर्फ स्कॉलरशिप की राशि ही भर पाने की इच्छा जताई। वहीं कई कॉलेजों ने स्कॉलरशिप की 30 हजार राशि पर प्रवेश दे दिया। यह राशि भी साल के अंत में कॉलेजों को मिलेगी।
वापस ली जाएंगी सीटें
कई छात्रों ने सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेने के चक्कर में निजी कॉलेजों से प्रवेश कैंसल कराए हैं। अब खाली रह गई सीटें वापस ली जाएंगी।
- डॉ. लक्ष्मीनारायण रेड्डी
डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन
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