भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। पुरानी पेंशन बहाली, अनुकंपा नियुक्ति, क्रमोन्नति और समयमान वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। इसी सिलसिले में भोपाल की ओर कूच करने वाले शिक्षकों को पुलिस प्रशासन ने राजधानी से बाहर सूखी सेवनिया में रोक दिया गया है। प्रदेश भर से करीब दो हजार की संख्या में शिक्षक इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। शिक्षक हाथ में झंडा लेकर शासन के खिलाफ नारा लगाते हुए अपनी विभिन्न मांगों से संबंधित नारे लगाते हुए वहीं धरने पर बैठ गए हैं।
शिक्षक संघ का कहना है कि विगत पांच मई को विदिशा से ध्वज यात्रा निकाले थी। शासन ने 15 दिन में मांगें पूरी करने के आश्वासन दिया था, इसलिए सूखी सेवनिया स्थित राम-जानकी मंदिर में ध्वज रखा है। अब शिक्षक वहीं से ध्वज हाथ में उठाकर आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन ने सूखी सेवनिया में रोक दिया है। संघ के संतोष सोनी का कहना है कि जब तक उनकी मांगों की पूर्ति नहीं होगी, वे यहां से नहीं जाएंगे। वे अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर ये आंदोलन कर रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री से मिलने आ रहे हैं, ताकि हम अपनी बातों को रख पाएं। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2021 में हमने मनोकामना यात्रा निकाली थी। सरकार ने उसका भी समापन नहीं होने दिया था। मध्य प्रदेश आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ के अध्यक्ष शिक्षक संघ के भरत पटेल का कहना है कि वे किसी भी हाल में भोपाल में रैली निकालकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने जाएंगे और अपनी मांग एवं समस्या बताएंगे। पटेल ने कहा कि दो बार सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन भी नहीं करने दिया। इस बार तीन स्थानों पर धरना-प्रदर्शन की तैयारी है।
ज्ञात हो कि आज से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ है। पटेल ने बताया कि पिछले सालों में 50 हजार शिक्षकों का निधन होने से पद खाली हुए हैं। इन पदों पर उनके स्वजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जानी है, पर ऐसी शर्तें रख दी हैं कि नियुक्ति नहीं हो सकती। किसी शिक्षकों को पहले से पता नहीं था कि उसकी मृत्यु हो जाएगी। पता होता तो वह अपने बेटे, पत्नी, बेटी को बीएड-डीएड कराकर रखता। सरकार बीएड-डीएड ही मांग रही है। वहीं वर्ष 2006 से 2010 के बीच नियुक्त शिक्षकों को वर्ष 2018 से 2021 में क्रमोन्नति, समयमान वेतनमान दिया जाना था, जो नहीं दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को पांच सौ से दो हजार रुपये पेंशन मिलेगी। जिससे परिवार का भरण-पोषण नहीं किया जा सकता है। इसलिए पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश में अध्यापक से शिक्षक बने कर्मचारियों की संख्या दो लाख 87 हजार है।
फंदा टोल पर रोका तो शिक्षकों ने निकाली तिरंगा यात्रा
उधर, सीहोर-भोपाल रोड पर फंदा टोल नाके पर गाड़ियों की कतार लग गई। यह गाड़ियां आजाद अध्यापक संघ के सदस्यों की थी, जो भोपाल में आयोजित आंदोलन में शामिल होने जा रहे थे। जिन्हें टोल पर पुलिस ने रोक लिया। पुलिस के रोकने पर शिक्षकों ने टोल पर ही हाथों में तिरंगा लेकर रैली निकाली, साथ ही नारेबाजी भी की। शिक्षकों ने पुलिस से कहा कि आपकी पेंशन भी आंदोलन से ही मिलेगी, हमारा साथ दीजिए। इस दौरान वाहन चालकों को भी परेशानी हुई।
मंगलवार की दोपहर इंदौर की तरफ से नीमच, मंदसौर, खण्डवा, देवास, खरगौन, बडवानी सहित अन्य जिलों के सैंकड़ों शिक्षक भोपाल में आयोजित आजाद अध्यापक संघ के आंदोलन में शामिल होने जा रहे थे। इस बीच फंदा टोल पर कोतवाली थाना प्रभारी नलिन बुधौलिया ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद शिक्षकों और पुलिस के बीच बहस हुई। पुलिस ने शिक्षकों को आगे नहीं जाने दिया। नाराज शिक्षकों ने टोल नाके पर ही हाथ मे तिरंगा लेकर रैली शुरू कर दी। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही पुलिस को कहा कि आप भी हमारा सहयोग करें जिससे आपको भी पेंशन का लाभ मिल सकेगा। टोल पर मौजूद धरमपुरी निवासी शिक्षक अजमल खान ने बताया कि हम भोपाल के विदिशा बायपास पर एकत्रित होकर तिरंगा यात्रा निकालने वाले थे, पर हमें यहीं रोक लिया गया। यदि सरकार हमें रोकेगी तो भी हम आंदोलन जारी रखेंगे।