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हाईकोर्ट की अवमानना शिक्षा विभाग को पड़ी महंगी

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शील्ड, कूलर, पंखा, एसी, कुर्सी, टेबल कुर्क करने की हुई कार्रवाई
मृतक अनुदान शिक्षक की पत्नी की अवमानना याचिका पर न्यायालय ने कलेक्टर को दिए हैं कार्यालय का सामान बेचकर 4 लाख 69 हजार 384 रुपए के देयकों के भुगतान के आदेश

तहसीलदार पहुंचे टीम के साथ, डीईओ से हुई बहसबाजी
शिवपुरी। नईदुनिया प्रतिनिधि
रविवार को हाईकोर्ट ग्वालियर में दायर अवमानना याचिका के क्रम में तहसीलदार भूपेन्द्र सिंह कुशवाह अपनी टीम के साथ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जा पहुंचे। यहां कार्यालय की चल संपत्ति सूचीबद्ध कर कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी गई। कार्यालय सील कर दिया गया। यह पूरी कार्रवाई अनुदान शाला में कार्यरत रहे एक मृतक शिक्षक की पत्नी द्वारा न्यायालय में दायर अवमानना याचिका के क्रम में अंजाम दी गई है। न्यायालय के निर्देश पर डीईओ कार्यालय के पंखे, कूलर, कुर्सी, टेबल, एसी, अलमारियां व वाहन कुर्क कर पीड़ित परिवार को उसकी ग्रेच्युटी की 4 लाख 69 हजार 384 रुपए की राशि अदा की जाएगी। हालांकि डीईओ का कहना है कि उक्त याचिका के विरुद्ध उन्होंने भी याचिका दायर की है, जो प्रचलन में है। इस पूरी कार्रवाई के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार और तहसीलदार भूपेन्द्रसिंह कुशवाह के बीच जमकर तीखी बहस भी हुई।
बैराड़ में अनुदान प्राप्त शाला में कार्यरत शिक्षक प्रहलाद दास गुप्ता का 2006 में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद भी विभाग ने देयकों का भुगतान नहीं किया था, जिसे लेकर उनकी पत्नी रूपवती गुप्ता ने श्रम न्यायालय में 2015 में आवेदन देकर ग्रेच्युटी की राशि की मांग की थी। मामले में श्रम न्यायालय ने पीड़िता को उक्त राशि भुगतान के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद रूपवती ने उच्च न्यायालय ग्वालियर में याचिका दायर की और उच्च न्यायालय ग्वालियर ने 2017 में दायर इस याचिका के क्रम में तीन माह में 4 लाख 69 हजार 384 रुपए भुगतान के निर्देश दिए। बावजूद इसके समय सीमा में निराकरण नहीं किया गया। 2018 में पीड़िता ने न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। इसके बाद न्यायालय ने शिवपुरी कलेक्टर को 9 दिसंबर तक उक्त राशि के भुगतान के निर्देश दिए। कार्यालय की चल अचल संपत्ति नीलाम कर प्राप्त राशि से पीड़िता को 4 लाख 69 हजार 384 रुपए उसके खाते में जमा करने के निर्देश दिए हैं।
तहसीलदार बोले-मैं न्यायालय के आदेश से आया हूं, डीईओ ने कहा-समय लगेगा
दोपहर 1ः30 बजे जब तहसीलदार टीम में शामिल पटवारी गिरजेश गुप्ता, ब्रजेश रावत आदि के साथ पहुंचे। डीईओ अजय कटियार व कुछ बाबू भी कार्यालय में मौजूद थे। कार्रवाई को लेकर डीईओ और तहसीलदार के बीच नोकझोंक भी हुई। डीईओ ने कहा कि आप कुर्की का पत्र दे दीजिए तो तहसीलदार बोले मैं न्यायालय के आदेश के क्रम में ही आया हूं। आप पत्र कलेक्टर से मांग लें। मुझे तो अधिकारियों ने ही निर्देश दिए हैं। जब तहसीलदार ने कार्यालय की अचल संपत्ति की सूची बनाने को कहा तो डीईओ बोले संबंधित बाबू निलंबित चल रहा है। हम स्टॉक पंजी दे देते हैं आप उसके अनुसार सूची बना लें। प्रक्रिया में समय लगेगा। हर काम इतनी जल्दी नहीं होगा। स्थिति यह बनी कि तहसीलदार बोले कि वे 23 साल से तहसीलदार हैं तो डीईओ ने भी कहा कि वे भी 20 साल से इस पद पर हैं। न्यायालयीन प्रक्रिया के क्रम में ऐसी कार्रवाईयां पहले भी हुई हैं। इस तरीके से कार्रवाई करना सही नहीं हैं। हालांकि बाद में कलेक्टर से फोन पर बात के बाद दोनों अधिकारियों के तेवर कुछ ढीले पडे और प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
डीईओ बोले एसी तो पर्सनल हैं, तहसीलदार ने कहा कार्यालय की कोई चीज पर्सनल नहीं
जब संपत्ति कुर्क करने के लिए सूची तैयार की जा रही थी तो कार्यालय में लगे एसी को भी सूचीबद्ध किया गया और उसका मूल्य 30 हजार रुपए आंका गया जिस पर डीईओ बोले कि ये एसी स्टॉक पंजी में नहीं हैं ये तो पर्सनल हैं जिस पर तहसीलदार ने कहा कि कार्यालय में उपलब्ध कोई सामान पर्सनल नहीं होता। इसी तरह सरकारी वाहन की बात आई तो डीईओ ने बताया कि विभाग का वाहन तो कंडम स्थिति में खराब पडा है और जो वाहन वे उपयोग कर रहे हैं वह अनुबंधित हैं लेकिन तहसीलदार ने उसे भी सूचीबद्ध किया जिसकी कीमत 5 लाख रुपए आंकी गई।
कुर्सी, टेबल, कंप्यूटर से संभव नहीं भुगतान
यदि अनुबंधित वाहन को कुर्की की कार्रवाई से बाहर रखा तो डीईओ कार्यालय में सूचीबद्ध की गई अचल संपत्ति से 4 लाख 69 हजार 384 रुपए का भुगतान संभव नहीं हैं। अधिकारियों ने जो आंकलन किया है उसके अनुसार कार्यालय में स्पिलिट एसी अनुमानित कीमत 30 हजार, 4 कंप्यूटर डेस्क टॉप जिनमें से सिर्फ एक संचालित अवस्था में है अनुमानित कीमत 40 हजार, 7 बडी, 7 छोटी पुरानी अलमारी अनुमानित कीमत 30 हजार, पुरानी 6 टेबल, 3 कुर्सी अनुमानित 10 हजार रुपए आंकी गई है। जो रकम से काफी कम है। जब मौके पर शिवपुरी बीईओ मनोज निगम को बुलाया गया और उनसे कार्यालय की अचल संपत्ति के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि कार्यालय में केवल कुर्सी टेबल हैं। उसके अलावा कुछ नहीं। सूची बद्ध सामग्री कार्यालय के एकाउंटेंट रविशंकर पटेल की सुपुर्दगी में कराकर आरएमएसए कक्ष सहित सहायक संचालक के कक्ष को टीम ने शील्ड कर दिया।
क्या है ग्रेच्युटी की राशि
नियमों की बात करें तो सेवा निवृत्ति या मुत्यु होने पर कर्मचारी को म्रत्यु सह सेवा निवृत्ति उपादान यानि ग्रेच्युटी की राशि दी जाती है। नियमों के मुताबिक इसकी गणना कर्मचारी के सेवाकाल के आधार पर होती है। अधिकतम साढे 16 माह की वेतन जिसमें वेतन, ग्रेड पे व डीए शामिल है का भुगतान देना होता है। कर्मचारी की म्रत्यु के मामले में गणना उसकी सर्विस से न करते हुए न्यूनतम 12 माह का वेतन ग्रेच्युटी के रूप में देने का नियम हैं।
यह बोले डीईओ
श्रम न्यायालय भोपाल के आदेश् के विरूद्ध जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने उच्च न्यायालय ग्वालियर में याचिका प्रस्तुत की है तथा श्रम न्यायालय के आदेश को स्थगित करने की मांग रखी है जो प्रचलन में हैं। इसी प्रकार के मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने भी अगस्त में निर्णय दिया था कि अनुदान कर्मचारियों को ग्रेच्युटी नहीं दी जाना हैं। शासन आदेश भी इस तरह के हैं। हमारी याचिका की सुनवाई भी जारी है लेकिन इस मामले में न्यायालय की वर्तमान अवमानना याचिका के क्रम में आज कार्यालय की कुर्की की कार्रवाई तहसीलदार ने की है।
अजय कटियार,डीईओ शिवपुरी
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यह बोले तहसीलदार
याचिकाकर्ता रूपवती गुप्ता को 4 लाख 69 हजार 384 रुपए के भुगतान के संबंध में न्यायालय की अवमानना याचिका को लेकर प्राप्त निर्देशों के क्रम में आज हमने डीईओ कार्यालय में मौजूद सामान जिसमें कंप्यूटर, टेबल, कूलर, कुर्सी, एसी, अलमारी आदि को सूचीबद्ध कर कुर्की की कार्रवाई कर रहे हैं।
भूपेन्द्रसिंह कुशवाह, तहसीलदार शिवपुरी
फोटो-8 शिव 14
कैप्सन-डीईओ अजय कटियार व तहसीलदार भूपेन्द्र कुशवाह कलेक्टर से बात कर दोनों के तेवर ढीले हुए।
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कैप्सन-कार्रवाई को लेकर डीईओ अजय कटियार व तहसीलदार भूपेन्द्र कुशवाह के बीच होती तीखी नौंकझौंक।
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कैप्सन-जिन कक्षों को सील किया गया वहां से फाइलों को ले जाता कर्मचारी।  

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