इंदौर। नईदुनिया प्रतिनिधि विश्वविद्यालय के दो वरिष्ठ प्रोफेसरों
के बीच चल रहे विवाद ने तूल पकड़ लिया है। आरोप-प्रत्यारोप लगाने के बाद
विश्वविद्यालय ने एक ही कमेटी से दोनों की शिकायतों की जांच कराने का
निर्णय लिया है। इसके लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिससे 15 दिन में
रिपोर्ट मांगी है। विवाद की खबर उच्च शिक्षा विभाग मुख्यालय तक पहुंच चुकी
है।
प्रबंधन विषय की महिला प्रोफेसर ने दो दिन पहले विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने शिकायत के साथ ही कुछ प्रमाण भी दिए हैं। शिकायत के 24 घंटे के भीतर वरिष्ठ प्रोफेसर ने भी महिला प्रोफेसर के खिलाफ एक गोपनीय पत्र कुलपति को भेजा, जिसमें मानसिक प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया गया है। विश्वविद्यालय के अधिकारी और अन्य प्रोफेसर ने विवाद निपटाने के प्रयास किए, मगर एक पक्ष ने समझौते से मना कर दिया। बाद में विश्वविद्यालय ने दोनों प्रोफेसर की शिकायत के लिए अलग-अलग कमेटी से जांच कराने का निर्णय लिया, लेकिन कुछ प्रोफेसरों ने इसका विरोध किया। बाद में यूजीसी की गाइडलाइन के बाद बनाई गई आंतरिक शिकायत समिति को विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रकरण सौंपने का विचार किया है। इसके लिए सात सदस्य नियुक्त किए गए, जिसमें चार प्रोफेसर, दो अधिकारी और एक महिला से जुड़े विषय की जानकारी रखने वाले को शामिल किया। कुलपति डॉ. रेणु जैन ने बताया कि कमेटी को जांच सौंप दी गई है।
अलग-अलग गुट में बांटे प्रोफेसर
ए+ ग्रेड मिलने के बाद विश्वविद्यालय में माहौल काफी सकारात्मक हो चुका था, लेकिन प्रोफेसरों के बीच खींचतान ने एक बार फिर गुटबाजी को जिंदा कर दिया है। तक्षशिला परिसर में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अब अलग-अलग गुट में बंट गए हैं। कुछ प्रोफेसर पल-पल की जानकारी उच्च शिक्षा विभाग के मुख्यालय तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल यहां से अभी किसी भी प्रकार का कोई पत्राचार नहीं हुआ है।
प्रबंधन विषय की महिला प्रोफेसर ने दो दिन पहले विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने शिकायत के साथ ही कुछ प्रमाण भी दिए हैं। शिकायत के 24 घंटे के भीतर वरिष्ठ प्रोफेसर ने भी महिला प्रोफेसर के खिलाफ एक गोपनीय पत्र कुलपति को भेजा, जिसमें मानसिक प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया गया है। विश्वविद्यालय के अधिकारी और अन्य प्रोफेसर ने विवाद निपटाने के प्रयास किए, मगर एक पक्ष ने समझौते से मना कर दिया। बाद में विश्वविद्यालय ने दोनों प्रोफेसर की शिकायत के लिए अलग-अलग कमेटी से जांच कराने का निर्णय लिया, लेकिन कुछ प्रोफेसरों ने इसका विरोध किया। बाद में यूजीसी की गाइडलाइन के बाद बनाई गई आंतरिक शिकायत समिति को विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रकरण सौंपने का विचार किया है। इसके लिए सात सदस्य नियुक्त किए गए, जिसमें चार प्रोफेसर, दो अधिकारी और एक महिला से जुड़े विषय की जानकारी रखने वाले को शामिल किया। कुलपति डॉ. रेणु जैन ने बताया कि कमेटी को जांच सौंप दी गई है।
ए+ ग्रेड मिलने के बाद विश्वविद्यालय में माहौल काफी सकारात्मक हो चुका था, लेकिन प्रोफेसरों के बीच खींचतान ने एक बार फिर गुटबाजी को जिंदा कर दिया है। तक्षशिला परिसर में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अब अलग-अलग गुट में बंट गए हैं। कुछ प्रोफेसर पल-पल की जानकारी उच्च शिक्षा विभाग के मुख्यालय तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल यहां से अभी किसी भी प्रकार का कोई पत्राचार नहीं हुआ है।