आशीष बिलथरिया। मप्र स्कूल शिक्षा विभाग में माध्यमिक शिक्षकों के
लगभग 60000 पद रिक्त हैं व मप्र की पूर्व सरकार द्वारा लगभग 11000 पदों
पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी जिनकी परीक्षा कल ही खत्म हुई है। अत:
मप्र के माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन हैं कि पदों की संख्या दोगुनी
की जाए ताकि अधिक से अधिक आवेदक जो कि हाल ही में हुई परीक्षाओं में
निर्धारित कट आफ को पास कर रहे हैं उनको अधिक से अधिक मौका मिल सके
क्योंकि म.प्र के शिक्षित बेरोजगार वर्षों से भर्ती प्रक्रिया के इंतजार
मे अपना बहुत समय गँवा चुके हैं व कई अभ्यार्थी तो ऐसे भी होगें जिनको आगे
अब मौका न मिल सके पद दोगुने करने से जहॉं शैक्षणिक संस्थाओं को स्थायी
शिक्षक मिल सकेगें वही उम्मीदवारों के चयन के अवसर भी बढ़ेंगे।
अतिथि शिक्षक जो की विगत 12 वर्षों से स्कूल शिक्षा विभाग में अति
अल्पमानदेय पर सेवा दे रहें हैं उनके लिए जो 25% पद आरक्षित किए गए हैं उन
पर नियुक्ति के लिए जो तीन वर्ष का अनुभव निर्धारित किया गया हैं वह भी
दोषपूर्ण हैं उन पर प्रतिवर्ष के अनुभव के हिसाब से शासन एग्जाम पास करने
के बाद 3 नंबर प्रतिबर्ष निर्धारित करे अधिकतम 10 वर्ष तक ताकि पुराने
अतिथिशिक्षक जो कि विगत 10 वर्ष से म.प्र के स्कूलों मे सेवा दे रहे है
इनकी संख्या भी बहुत कम है और ये अपने जीवनकाल का लंबा समय अल्पमानदेय पर
विधालयों में दे चुके है उनका व उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके
क्योंकि उ.प्र सरकार भी शिक्षामित्रों को 2.5 अंक प्रतिवर्ष के हिसाब से
अधिकतम 10 वर्ष तक के सेवा के दे रही है। यूपीटेट पास करने के बाद इससे
पुराने शिक्षामित्रों का जीवन सुरक्षित हो रहा है क्योंकि जो अतिथि शिक्षक
10 वर्ष या अधिक शैक्षणिक सत्रों में सेवा दे चुके हैं वे पूर्ण रूप से
इसी पर आश्रित हैं अभी अतिथि शिक्षक आरक्षण में जो 200 दिन और तीन सत्र का
अनुभव रखा गया हैं इससे 8-10 साल सेवा दे चुके अतिथिशिक्षकों की उपेक्षा हो
रही है।
शासन को अतिथि शिक्षक नियमितिकरण के लिए भी ठोस नीति बनाना चाहिए क्योंकि
अतिथि शिक्षक वर्तमान समय में शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ है जो कि विगत
वर्षों के उत्कृष्ट हाईस्कूल, हायर सेकेन्ड्री परीक्षा परिणामों से
सिद्ध हो चुका है क्योंकि अधिकांश विद्यालयों में अतिथि शिक्षक ही
अघ्यापन व्यवस्था संभाल रहें हैं क्योंकि शासन भर्ती प्रक्रिया में
किसी भी समय नियम बदलने के लिए स्वतंत्र हैं जैसा कि वर्तमान यूपीटेट पास
उम्मीदवारों को दूसरी परीक्षा में उत्तीर्णांक उ.प्र सरकार ने बिना घोषित
किए 60-65% कर दिए हैं इससे सिद्ध होता है शासन अपनी मंशानुसार
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु निर्णय के लिए स्वतंत्र है यदि म.प्र में
अतिथिशिक्षकों को उनके प्रतिवर्ष अनुभव के हिसाब से अधिकतम 10 वर्ष के
अनुभव अंक देना अतिथिशिक्षक हित में होगा व कहीं न कहीं शासन के
अतिथिशिक्षक नियमितिकरण नीति बनाने संबंधी अपने वचन पत्र के अनुरूप होगा
शासन चाहे तो आगामी वर्ग 3 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भी या तो
प्रतिवर्ष अधिकतम 10 वर्षों के अनुभव अंक भी उन्हें दे सकता हैं अथवा उनके
लिए न्यूनतम पात्रता अंको की सीमा में भी छूट दे सकता है साथ ही यदि शासन
चाहे तो अतिथिशिक्षकों को उनकी मॉंग गुरूजी की तरह स्थायीकरण के अनुसार
चाहे तो 2005,8,11 पात्रता परीक्षा पास डीएड,बीएड 5-10 वर्षों से सेवा दे
रहे अतिथिशिक्षकों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर सकता हैं जो इनकी सेवा का
सम्मान होगा व कहीं न कहीं इनके स्थायीकरण की शुरूआत भी होगी राजपत्र
अनुसार प्रदेश में 1 लाख से अधिक सहायक शिक्षक पद रिक्त है इससे जहॉं
अतिथि शिक्षक नियमित हो सकेंगे वही बचे हुए पदों पर अन्य अभ्यार्थी भी
नियुक्ति प्राप्त कर सकेगें व प्रदेश में वर्षों से चली आ रही लचर शिक्षा
व्यवस्था भी सुधर जाएगी क्योंकि अभी शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद कई
माह तक अतिथिशिक्षक नियुक्त न होने से शिक्षण व्यवस्था चौपट रहती है।
सभी को संतुष्ट करना असंभव हैं पर 5-10 का अतिथि शिक्षक सेवाकाल निर्धारित
करके शासन कहीं न कहीं से इनके नियमितिकरण की शुरूआत कर सकती है। जैसा की
हरियाणा, दिल्ली की सरकार अतिथि शिक्षकों को 30-35 हजार वेतन तो देती ही
हैं अब उनको 60 वर्ष तक सेवा से नहीं हटाया जाएगा ऐसा करके कर रही है व
यूपी में शिक्षामित्र 10 हजार वेतन पाते है व प्रतिवर्ष सेवा, अधिकतम 10
वर्षों के अनुभव अंक देकर सरकार उनके नियमितिकरण का प्रयास कर रही है म.प्र
का अतिथिशिक्षक अल्पमानदेय व अस्थायी सेवाकाल से मानसिक पीड़ा व आर्थिक
कष्ट से गुजर रहा है। अत: माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि शीघ्र
ही अतिथिशिक्षकों के लिए ठोस नीति बनाने की कृपा करें।
आशीष बिलथरिया
उदयपुरा, जिला रायसेन म.प्र