क्षेत्र के शिक्षकों, पंचायत सचिवों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होली इस
बार बैरंग होने की आशंका है। मार्च का आधा महीना गुजरने के बाद भी इन सभी
कर्मचारियों को अभी तक वेतन नहीं मिल सका है।
शिक्षकों को सिर्फ फरवरी का तो पंचायत सचिवों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जनवरी और फरवरी का वेतन नहीं मिला है।
मार्च का महीना आधा बीत गया है लेकिन क्षेत्र में शिक्षा, ग्राम पंचायत और महिला एवं बाल विकास विभाग को संभालने वाले छोटे कर्मचारियों को उनका वेतन अभी तक नहीं मिल सका है। वेतन नहीं मिलने की वजह से इन कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में 1100 से अधिक शिक्षक हैं। इन सभी को पिछले महीने बीईओ के सेवानिवृत्त होने की वजह से देरी से वेतन मिला था। मार्च के महीने में भी उन्हें इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 15 मार्च निकल गया है लेकिन शिक्षकों के वेतन की सुध कोई नहीं ले रहा है। वेतन की आस में शिक्षक संकुल केन्द्रों और बैंकों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई भी उन्हें स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है। समय पर वेतन नहीं मिलने की वजह से शिक्षक आर्थिक संकट से तो जूझते ही हैं कई बार उन्हें अतिरिक्त नुकसान भी उठाना पड़ता है। कई शिक्षकों ने होम लोन ले रखा है। इसकी किश्त उनके वेतन में से ही कटती है।
जब निर्धारित तारीख निकल जाती है तो उन्हें पेनाल्टी के रूप में 500 से 1 हजार रुपए अतिरिक्त देना पड़ते हैं। मप्र शिक्षक संघ के कई बार वेतन समय पर प्रदान करने के लिए ज्ञापन दे चुका है लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों के कानों पर जूं नहीं रेंगती है। संकुल प्राचार्य मोहम्मद शफीक खान ने बताया कि मार्च के महीने में शिक्षकों को गणना पर्ची भी जमा करना है लेकिन कई शिक्षकों ने अभी तक गणना पर्ची नहीं दी है। हमने ट्रेजरी में बिल भेज दिए हैं। एक-दो दिन में वेतन मिल जाएगा।
घर खर्च के लिए उधार में सामान लेना पड़ रहा है, विभाग बजट का आवंटन नहीं होने की कर रहा है बात
क्षेत्र के शिक्षकों, पंचायत सचिवों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होली इस बार बैरंग होने की आशंका है।
पंचायत सचिवों को दो महीने से नहीं मिला वेतन
क्षेत्र की 93 पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिवों को अभी तक फरवरी तो दूर अभी तक जनवरी तक का वेतन नहीं मिला है। दो महीने से लगातार वेतन नहीं मिलने की वजह से सचिवों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने से अधिकारियों से भी वेतन के लिए गुहार लगाई लेकिन वहां से जबाव मिला बजट नहीं है। पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि होली का त्योहार नजदीक है। ऐसे में वेतन नहीं मिलने की वजह से सचिवों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जनपद सीईओ ओएन गुप्ता ने बताया कि सचिवों के वेतन के लिए बजट आ गया है। हमने ट्रेजरी में बिल बना कर भेज दिए हैं।
बिना वेतन के काम रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
वेतन नहीं मिलने की समस्या से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जूझना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र के संचालन के अलावा इन्हें हर सप्ताह किसी न किसी बैठक में शामिल होने के लिए भी बुलाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की कार्यकर्ताओं को भी किराया लगा कर इन बैठकों में आना पड़ता है। ऐसे में लगातार दो महीने का वेतन नहीं मिलने से उनकी समस्या बढ़ गई है। अब उन्हें घर खर्च के लिए उधार में सामान लेना पड़ रहा है। यहां भी विभाग बजट का आवंटन नहीं होने का हवाला दे रहा है। परियोजना अधिकारी अनिल चौधरी ने बताया कि कार्यकर्ताओं के वेतन के लिए हमने वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा है।
शिक्षकों को सिर्फ फरवरी का तो पंचायत सचिवों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जनवरी और फरवरी का वेतन नहीं मिला है।
मार्च का महीना आधा बीत गया है लेकिन क्षेत्र में शिक्षा, ग्राम पंचायत और महिला एवं बाल विकास विभाग को संभालने वाले छोटे कर्मचारियों को उनका वेतन अभी तक नहीं मिल सका है। वेतन नहीं मिलने की वजह से इन कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में 1100 से अधिक शिक्षक हैं। इन सभी को पिछले महीने बीईओ के सेवानिवृत्त होने की वजह से देरी से वेतन मिला था। मार्च के महीने में भी उन्हें इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 15 मार्च निकल गया है लेकिन शिक्षकों के वेतन की सुध कोई नहीं ले रहा है। वेतन की आस में शिक्षक संकुल केन्द्रों और बैंकों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई भी उन्हें स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है। समय पर वेतन नहीं मिलने की वजह से शिक्षक आर्थिक संकट से तो जूझते ही हैं कई बार उन्हें अतिरिक्त नुकसान भी उठाना पड़ता है। कई शिक्षकों ने होम लोन ले रखा है। इसकी किश्त उनके वेतन में से ही कटती है।
जब निर्धारित तारीख निकल जाती है तो उन्हें पेनाल्टी के रूप में 500 से 1 हजार रुपए अतिरिक्त देना पड़ते हैं। मप्र शिक्षक संघ के कई बार वेतन समय पर प्रदान करने के लिए ज्ञापन दे चुका है लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों के कानों पर जूं नहीं रेंगती है। संकुल प्राचार्य मोहम्मद शफीक खान ने बताया कि मार्च के महीने में शिक्षकों को गणना पर्ची भी जमा करना है लेकिन कई शिक्षकों ने अभी तक गणना पर्ची नहीं दी है। हमने ट्रेजरी में बिल भेज दिए हैं। एक-दो दिन में वेतन मिल जाएगा।
घर खर्च के लिए उधार में सामान लेना पड़ रहा है, विभाग बजट का आवंटन नहीं होने की कर रहा है बात
क्षेत्र के शिक्षकों, पंचायत सचिवों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होली इस बार बैरंग होने की आशंका है।
पंचायत सचिवों को दो महीने से नहीं मिला वेतन
क्षेत्र की 93 पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिवों को अभी तक फरवरी तो दूर अभी तक जनवरी तक का वेतन नहीं मिला है। दो महीने से लगातार वेतन नहीं मिलने की वजह से सचिवों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने से अधिकारियों से भी वेतन के लिए गुहार लगाई लेकिन वहां से जबाव मिला बजट नहीं है। पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि होली का त्योहार नजदीक है। ऐसे में वेतन नहीं मिलने की वजह से सचिवों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जनपद सीईओ ओएन गुप्ता ने बताया कि सचिवों के वेतन के लिए बजट आ गया है। हमने ट्रेजरी में बिल बना कर भेज दिए हैं।
बिना वेतन के काम रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
वेतन नहीं मिलने की समस्या से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जूझना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र के संचालन के अलावा इन्हें हर सप्ताह किसी न किसी बैठक में शामिल होने के लिए भी बुलाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की कार्यकर्ताओं को भी किराया लगा कर इन बैठकों में आना पड़ता है। ऐसे में लगातार दो महीने का वेतन नहीं मिलने से उनकी समस्या बढ़ गई है। अब उन्हें घर खर्च के लिए उधार में सामान लेना पड़ रहा है। यहां भी विभाग बजट का आवंटन नहीं होने का हवाला दे रहा है। परियोजना अधिकारी अनिल चौधरी ने बताया कि कार्यकर्ताओं के वेतन के लिए हमने वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा है।