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न सेवा शर्तें तय हुईं न वेतनमान, अध्यापक कर रहे शिक्षा विभाग में सशर्त संविलियन का विरोध

नगरीय और पंचायत निकाय से शिक्षा विभाग में संविलियन की कार्रवाई असमंजस में नजर आ रही है। कारण यह है कि सरकार ने शिक्षा विभाग में अध्यापकों के संविलियन के लिए न तो सेवा शर्तें तय की हैं और न ही वेतनमान। बल्कि शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए अध्यापकों से जो प्रपत्र भरवाएं जा रहे हैं, उनमें भी शर्त रख दी गई है कि वे भविष्य में फिर कोई मांग नहीं करेंगे।
इसके अलावा संविलियन के लिए त्रिस्तरीय सत्यापन प्रक्रिया से यह पूरा मामला जानबूझकर लटकाने का प्रयास किया जा रहा है। परिणामस्वरूप अध्यापक बुधवार की शाम परेड चौराहा पर शिक्षा विभाग के संविलियन प्रपत्र की प्रतियां जलाएंगे।

यहां बता दें कि जिले में 2700 के करीब सरकारी स्कूल हैं, जिसमें आठ हजार से ज्यादा अध्यापक बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। ये सभी अध्यापक वर्तमान में नगरीय और पंचायत निकाय के अधीन हैं। ऐसे में ये अध्यापक पिछले 11 साल से शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं। चुनावी साल में सरकार ने इनकी मांगें पूरा करते हुए शिक्षा विभाग में संविलियन करने का आदेश तो निकाल दिया। लेकिन इस आदेश में शिक्षा विभाग में संविलियन से पूर्व सरकार ने सेवा शर्तें और वेतनमान स्पष्ट किया है और न ही इस कार्रवाई को शीघ्रता पूरा करने में दिलचस्पी दिखाई जा रही है।

लगभग 2700 सरकारी स्कूल में आठ हजार से ज्यादा अध्यापक पढ़ा रहे हैं बच्चों को

संविलियन का विरोध करते अध्यापक।

परेड चौराहा पर जलाएंगे आदेश की प्रतियां

सरकार के इस दोहरे रवैए को लेकर अध्यापकों में फिर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। आजाद अध्यापक संघ के बैनर से जिले के सभी अध्यापक बुधवार को परेड चौराहा पर शिक्षा विभाग के संविलियन के प्रपत्रों की होली जलाएंगे। आजाद अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष संतोष लहारिया ने जिले के सभी अध्यापको से बुधवार की शाम पांच बजे परेड चौराहा पर विरोध दर्ज कराने के लिए उपस्थित रहने की अपेक्षा की है।

अध्यापक बोले- जब पहले ही सत्यापन हो चुका, फिर तीन बार की क्या जरूरत

आजाद अध्यापक संघ के संरक्षक टीकम सिंह कुशवाह ने बताया कि संविदा शिक्षक से जब अध्यापक में संविलियन हुआ तब सभी शिक्षकों का सत्यापन कराया गया था। उसके बाद पुन: निकाय से शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए त्रिस्तरीय सत्यापन का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। सरकार जानबूझकर चुनाव तक इस प्रक्रिया को लटकाना चाहती है। क्योंकि प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के सत्यापन चुनाव से पहले होना संभव नहीं है। पूरा प्रशासन इन दिनों निर्वाचन के कार्यों में व्यस्त है। ऐसे में वह शिक्षकों का संविलियन नहीं करा पाएगा।

शिक्षा विभाग में शामिल किया लेकिन बदल दिए पदनाम: आजाद अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष संतोष लहारिया ने बताया कि सरकार चुनावी साल में अध्यापकों को लॉलीपॉप पकड़वाने का कार्य कर रही है। जब वह अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन कर रही है तो फिर पुराने पदनामों को क्यों बदला जा रहा है। नई संविलियन प्रक्रिया में सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता के पदनामों की जगह प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और उच्च माध्यमिक शिक्षक बनाकर सरकार जानबूझकर अध्यापकों को अलग रखना चाहती है।

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