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जिले में शिक्षक के 6600 पद स्वीकृत, स्कूलों में 4379 ही पढ़ा रहे, 215 ने करा लिया तबादला

भास्कर संवाददाता | खंडवा/बीड़ शिक्षा मंत्री का जिला होने के बाद भी यहां शिक्षा के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा के क्षेत्र में जिला पिछड़ता जा रहा है। जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल व हायर सेकंडरी मिलाकर 1777 स्कूल हैं, जिनमें शिक्षकों के 6600 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में काम केवल 4379 ही कर रहे हैं।
शिक्षकों के 2221 पद ऐसे हैं जो रिक्त हैं। विभाग के अफसर नई भर्ती पर कमी को पूरा करने की बात कह रहे हैं, लेकिन शैक्षणिक सत्र की वर्तमान स्थिति को देखते हुए नहीं लगता की यह कमी इस सत्र में पूरी हो पाएगी।

जिले में शैक्षणिक गुणवत्ता तो कमजोर थी ही, अब विभाग को शिक्षकों की कमी भी झेलना पड़ रही है। जिले के शासकीय स्कूलों में नया सत्र तो शुरू हो गया लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं जहां अंग्रेजी, गणित के शिक्षक ही नहीं है। ऐसे में नया सत्र विद्यार्थियों के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है।

सबसे ज्यादा तबादले खालवा से कराए

जिले में संविलियन के चलते 215 शिक्षकों ने अपना तबादला पसंद के जिले में करा लिया, जबकि अन्य जिलों से केवल 40 शिक्षक ही जिले में तबादला लेकर आ रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार खालवा ब्लाक से सबसे ज्यादा 44 शिक्षकों ने तबादले कराए हैं। इनके अलावा पुनासा से 36, पंधाना से 31, खंडवा से 27, छैगांव माखन से 22, हरसूद से 12 तथा किल्लौद ब्लाक से 6 शिक्षकों ने तबादले करा लिए हैं। अधिकांश शिक्षक भिंड, मुरैना, ग्वालियर, बैतूल जिलों के मूल निवासी हैं। बड़ी बात तो यह है कि एक साथ इतने शिक्षकों के जाने के एवज में खंडवा जिले में एक भी शिक्षक की आमद (तबादला) नहीं हुई है। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह बार-बार घोषणा कर रहे हैं कि जुलाई में प्रदेशभर के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्त हो जाएगी, लेकिन नए सत्र में स्कूलों में क्या पढ़ाई हो रही होगी यह समझा जा सकता है। हालांकि स्कूल में अतिथि शिक्षक रखने की अनुमति शिक्षा संचालनालय से मिल चुकी है।

1777 स्कूलों में 2221 शिक्षकों की कमी

जिले में 1605 प्राथमिक व माध्यमिक व 172 हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल हैं। जहां पर 6600 शिक्षक दर्ज हैं, लेकिन यहां स्थिति बहुत खराब है। इतने स्कूल होने पर भी पढ़ाने वाले शिक्षक केवल 4379 ही हैं। विडंबना है कि मंत्री का जिला होने के बाद भी यहां पर 2221 शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी का असर वर्तमान में आए परीक्षा परिणामों में भी देखने को मिला है।

शिक्षकों को रिलीव नहीं किया

संविलियन के माध्यम से जिन शिक्षकों ने तबादला गृह जिलों में कराया था फिलहाल उन्हें रिलीव नहीं किया है। नई भर्ती होने तक उन्हें जिले में ही सेवा देना होगी। इस संबंध के आदेश स्कूल शिक्षा विभाग से आ गए हैं। पीएस सोलंकी, जिला शिक्षाधिकारी

अब होगा नियंत्रण: निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक

10 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा पाएंगे निजी स्कूल

मध्यप्रदेश निजी विद्यालय विधेयक-2017 को राज्य शासन ने स्वीकृति दे दी

फीस बढ़ाने के लिए जिला समिति से लेना होगी अनुमति

खंडवा | मध्यप्रदेश में निजी विद्यालयों द्वारा प्रति वर्ष ली जाने वाली फीस में अनियमित बढ़ोत्तरी रोकने के लिए मध्यप्रदेश निजी विद्यालय विधेयक-2017 को राज्य शासन ने स्वीकृति दे दी है। यह विधेयक 22 फरवरी से लागू हो गया है। विधेयक के प्रमुख प्रावधान के अनुसार विद्यालय प्रबंधन पूर्ववर्ती वर्ष के लिए नियत फीस के लिए 10 प्रतिशत तक ही वृद्धि कर सकेगा।

स्कूल प्रबंधन द्वारा यदि पिछले वर्ष के तुलना में फीस में वृद्धि 10 से 15 प्रतिशत प्रस्तावित हो तो ऐसे प्रस्ताव को स्वीकृत करने के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला समिति की मंजूरी लेना जरूरी होगा। इसी प्रकार यदि पिछले वर्ष के शुल्क के तुलना में फीस में वृद्धि 15 प्रतिशत से अधिक प्रस्तावित की गई हो तो इसके लिए आयुक्त लोक शिक्षण की अध्यक्षता में गठित राज्य समिति इसकी मंजूरी देगी। फीस तथा अन्य विषयों के लिए गठित जिला समिति निजी विद्यालय के प्रबंधन और अध्ययनरत छात्रों के फीस संबंधी नियमों के उल्लंघन और शिकायत प्रकरणों की जांच कर सकेगी। समिति अपनी जांच में यह पाती है कि संबंधित स्कूल प्रबंधन द्वारा निर्धारित नियम से अधिक फीस ली गई है तो समिति छात्र के पालक को फीस राशि लौटाने का आदेश दे सकेगी। इसके साथ ही 2 लाख रुपए तक की पेनाल्टी लगाने का अधिकार जिला समिति को होगा। ऐसे प्रकरणों में जहां फीस वापसी के आदेश दूसरी बार जारी होंगे, वहां पेनाल्टी की राशि 4 लाख रुपये तक लगाई जा सकेगी। दो बार के बाद के प्रकरणों में समिति 6 लाख रुपए तक पेनाल्टी लगा सकेगी। इसके साथ ही निजी विद्यालय की मान्यता निलंबित और रद्द करने की अनुशंसा जिला समिति सक्षम अधिकारी को कर सकेगी।

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