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असिस्टेंट प्रोफेसर्स के 3400 पद, 30 अप्रैल तक करें आवेदन

इंदौर. उच्च शिक्षा में सुधार के लिए सरकार निजी कॉलेजों पर कोड २८ में शिक्षकों की नियुक्ति में भले ही सख्ती दिखा रही है, पर सरकारी कॉलेजों में ऐसी सख्ती बरती तो आधे कॉलेज भी नहीं चल सकेंगे। प्रदेशभर के पीजी व यूजी कॉलेजों में से ज्यादातर में प्राचार्य ही नहीं हैं। इससे भी बुरी स्थिति प्रोफेसर्स संख्या को लेकर है। आधे से ज्यादा प्रोफेसर्स के पद भी खाली हैं।

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की हालात व उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर शिक्षाविद डॉ. रमेश मंगल ने एक स्टडी की है। डॉ. मंगल ने बताया, प्रदेश में ९८ सरकारी पीजी कॉलेज हैं। नियमानुसार इतने ही प्राचार्य होना चाहिए लेकिन, ६९ कॉलेज में फिलहाल प्रभारी प्राचार्य से ही काम चल रहा है। ३३० अंडरग्रेजुएट कॉलेजों में से २८९ कॉलेज में भी इस समय प्रभारी प्राचार्य ही हैं। यूजी और पीजी कॉलेजों से बदतर स्थिति सरकारी लॉ कॉलेजों की है। २८ लॉ कॉलेज में से एक में भी लॉ संकाय से प्राचार्य नहीं है। प्रभारी प्राचार्य में से भी ज्यादातर अन्य संकाय के प्रोफेसर कॉलेजों को चला रहे हैं। सभी कॉलेजों में प्रोफेसर्स के ७०० से ज्यादा पद मंजूर हैं। मगर, इनमें से भी ४७४ लंबे समय से खाली ही चल रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के ७६९५ पद में से ३१६७, लाइब्रेरियन के ४२७ पद में से २८६ और स्पोट्र्स ऑफिसर के ३८६ पद में से २९३ पद खाली हैं।

दो दशक बाद राज्य सरकार असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती करने जा रही है। करीब ३४०० पदों की भर्ती के लिए ३० अप्रैल तक आवेदन हो सकेंगे। डॉ. मंगल बताते हैं, पहले की तुलना में स्थितियां लगातार बदलती जा रही हैं। नए कॉलेज खुलने से पद संख्या भी बढ़ रही है। स्थितियां बदल गईं तो व्यवस्था भी बदलना होगी। इस भर्ती से भी स्थिति में ज्यादा सुधार की गुंजाइश नहीं है। कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई जारी रहेगी।

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