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विषयवार शिक्षको की कमी से जूझ रहे माध्यमिक स्कूल

बालाघाट. कटंगी में माध्यमिक शिक्षा की हालत बहुत खराब है। जानकारी के मुताबिक किसी भी स्कूल में विषयवार शिक्षक नहीं है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तथा उन्हें विषय का ज्ञान नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अतिथियों को नियुक्त किया जा रहा है, लेकिन अतिथियों की अपनी कुछ मांगें होने के कारण वह भी पढ़ाई पर पूरा ध्यान केन्द्रीत नहीं कर पा रहे हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षकों, प्रधानपाठकों एवं प्राचार्यों की माने तो वर्तमान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा इतनी कमजोर हो चुकी है कि बच्चा पढ़-लिखकर शिक्षक, चिकित्सक, आईएएस, आईपीएस तो दूर चपरासी भी नहीं बन सकता।
42 सालों तक शैक्षणिक सेवा प्रदान करने वाले सेवानिवृत्त प्रधानपाठक एलएल दुबे ने बताया कि सरकारी स्कूलों में निर्धन एवं मध्यम परिवार के बच्चे ही अध्ययन करते हैं। सरकार इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकारी स्कूलों में शासकीय शिक्षकों की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है। उनका कहना है कि शिक्षा में सुधार लाने के लिए सरकार को पुराना शिक्षा पैर्टन पुन: शुरू करना चाहिए। शिक्षा का डिजिटलीकरण होना चाहिए। 10 वीं-12 वीं की तरह कक्षा 5वीं, एवं 8वीं की परीक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित करना चाहिए। शिक्षकों का स्थानीयकरण समाप्त होना चाहिए और शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जरूरी योग्यताओं के साथ उनके स्नातक विषय की परीक्षा लेकर उत्तीर्ण होने पर ही भर्ती की जाए। इन व्यवस्थाओं में परिवर्तन के बाद ही गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में पढऩे के बाद कुछ बन पाएंगे। उन्होंने आमजन एवं सेवानिवृत्त शिक्षक, प्रधानपाठक एवं प्राचार्यों को इस दिशा में मुहिम छेडऩे की अपील की है।
इन विषयों के नहीं शिक्षक-
जानकारी के मुताबिक कटंगी के किसी भी माध्यमिक स्कूल में विषयवार शासकीय शिक्षक नहीं है। 116 माध्यमिक स्कूलों में केवल 22 स्कूलों में प्रधानपाठक है। 94 स्कूलों में 100 से कम दर्ज संख्या होने के कारण इनमें यह पद रिक्त है। बहरहाल स्कूलों में विषयवार शिक्षकों के नाम पर गणित, अंग्रेजी, विज्ञान विषय के शिक्षक ही पदस्थ है। जिन्हें संस्कूत, हिन्दी एवं सामाजिक विज्ञान विषयों को भी पढ़ाना पढ़ रहा है। चूकिं 95 फीसदी स्कूलों में इन विषयों के शासकीय शिक्षक नहीं है, वहीं दर्ज संख्या कम होने कारण इनमें अतिथि शिक्षक भी विषयों की प्राथमिकता के आधार पर ही रखे जाते हैं। जिसमें पहले से निर्धारित विषयों के शिक्षकों को ही प्राथमिकता दी जाती है।
इनका कहना है।
माध्यमिक स्कूलों में प्रधानपाठक शासकीय निर्देशों के अनुसार ही है। विषयवार शिक्षकों की कमी तो है, लेकिन यह शासन स्तर का मामला है।
दर्पण गौतम, बीआरसी कटंगी

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