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BMC आदर्श भर्ती प्रक्रिया,आरोपों को डीन ने किया खारिज

सागर. बीएमसी में आदर्श भर्ती प्रक्रिया पर माइक्रो बायोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा की गई शिकायत पर डीन ने मंगलवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग भोपाल को अपना जवाब भेज दिया। डीन ने शिकायत में उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए भर्ती प्रक्रिया दूषित होने से इनकार किया है।

बीएमसी में रिक्त पड़े एसोसिएट, असिस्टेंट प्रोफेसर, डेमोंस्ट्रेटर आदि पदों के विरुद्ध साक्षात्कार के बाद नियुक्ति कर सूची जारी की गई थी। सूची से बाहर रहने पर एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमित रावत ने चयन पर आपत्ति उठाई थी। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग को शिकायत भी की थी। जिस पर जवाब मांगा गया था।
डीन डॉ.पटेल द्वारा चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजे गए जवाब में लिखा है कि एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर चयनित डॉ.नीलू जैन को बाहरी बताया गया है जबकि वे डेढ़ वर्ष से मेडिकल कॉलेज में सेवारत हैं। उनके द्वारा उसी समय अपनी एनओसी भी जमा कराई जा चुकी थी इसलिए एनओसी न होने का सवाल ही नहीं है। नियुक्ति में वरीयता के जवाब में डीन ने लिखा है कि साक्षात्कार में अलग-अलग अंक दिए गए थे। सर्वाधिक अंक के आधार पर डॉ.नीलू जैन की नियुक्ति की गई है। इधर मंगलवार को डॉ. सुमित रावत के साथ चिकित्सा शिक्षा संघ के पदाधिकारियों ने बीएमसी डीन डॉ.जीएस पटेल से मुलाकात कर शिकायत से अवगत कराया। उनका कहना था नियुक्ति के नियमों की अनदेखी की गई है। इस पर डीन ने उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर अपने जवाब से अवगत कराया और प्रक्रिया दूषित होने से इनकार कर दिया।
पीईबी ने अपात्रों को पात्र बनाकर दी नियुक्ति
सागर. प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) के माध्यम से समूह-4 के अंतर्गत सहायक ग्रेड 3 स्टेनोटाइपिस्ट, स्टेनोग्राफर, डाटा एंट्री आपरेटर, आईटी आपरेटर एवं अन्य पदों पर भर्ती के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा 2016 में आयोजित की गई थी, इसमें विज्ञापन व गाइडलाइन के मुताबिक एेसे अभ्यार्थियों का चयन किया जाना था, जो कम्प्यूटर पर 30 शब्द प्रति मिनट की गति से टाइपिंग की दक्षता रखते हों, लेकिन कम दक्षता वाले अभ्यार्थियों को शासकीय नियुक्तियां दे दीं गईं।
यह आरोप मंगलवार को शहर के युवाओं ने एक पत्रकारवार्ता में लगाए। डॉ. धर्णेंद्र जैन ने आरोप लगाते हुए बताया कि एेसे कई अभ्यार्थी हैं, जो नियुक्ति के वक्त टाइपिंग भी नहीं जानते थे और उन्होंने बाद में प्रमाण पत्र हासिल किया। सागर कलेक्टर कार्यालय में विज्ञापन के मुताबिक १९ भर्तियां की गई हैं, जबकि प्रदेश में सैकड़ों नियुक्तियां अलग-अलग समय पर की गईं हैं। डॉ. जैन, रोहित तिवारी समेत अन्य युवाओं ने इस मामले की शिकायत पीईबी के साथ मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह से भी की है।

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