सतना। मध्यप्रदेश में शिक्षा प्रणाली अपनी दुर्दशा पर
आंसु बहा रही है।सरकार शिक्षा की गुणवत्ता के लाख दावे करे लेकिन जमीनी
हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
सतना जिला मुख्यालय के नाक के नीचे
प्राथमिक शाला हनुमान नगर मंगल भवन और नई बस्ती की स्कूल जहां भवन का अभाव
होने के चलते एक ही कमरे में पहली से पांचवी तक की कक्षाएं चल रही हैं, वो
भी एक ही शिक्षक के सहारे।
63 बच्चे एक शिक्षक के सहारे....
शिक्षा जगत की इससे बदहाल तस्वीर भला और क्या हो सकती है, कि जिस स्कूल
का उन्नयन 1984 में हो गया हो, लेकिन 34 सालों में 4 नए कमरे नसीब नही हो
सके। एक ही भवन में पहली से पांचवी तक के 63 बच्चे एक शिक्षक के सहारे
हैं।
ये है शिक्षकों के पढ़ाने का नायाब तरीका...
शिक्षकों ने भी छात्रों को पढ़ाने का नायाब तरीका निकाला है, जिस क्लास
के छात्रों को पढ़ाना है, उनका मुंह ब्लैक बोर्ड की तरफ कर दिया जाता है। हर
40 मिनट में छात्रों की बैठक व्यस्था बदल दी जाती है। बच्चे ऐसी व्यवस्था
के बीच पढ़ने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन को न जाने क्यों ये सब
दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षक खुद स्कूल की बदहाल बेबसी को बयां कर रहे
हैं।
स्कूल में शौचालय तक नहीं...
छात्रो के पढ़ने के लिए जहां भवन बदहाल हैं। वहीं ये स्वच्छ भारत अभियान
की भी पोलखोल रहे हैं, स्कूल में शौचालय तक नहीं है। भला ये कैसी व्यवस्था
है, जिससे जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं है।बैठने के लिए भवन नहीं,
शिक्षक नहीं,शौचालय नहीं, ऐसे में कैसे शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।
सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में करोड़ों रूपये खर्च कर रही है बावजूद इसके
सरकारी स्कूलों के रवैये में सुधार नहीं हो पा रहा है।
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