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अतिथि शिक्षकों को हटाने पर शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध

स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था का आधार बने अतिथि शिक्षकों को हटाने का फरमान जारी होते ही शिक्षकों और शिक्षक संगठनों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि स्थाई शिक्षक भर्ती न होने की स्थिति में स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है।
ऐसे में जब स्कूलों में अभी भर्ती नहीं ं हो सकी है। तब तक अतिथि शिक्षकों को हटाना उचित नहीं है। राज्य अध्यापक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष सुनील गुप्ता कहते है कि इस समय सत्र चल रहा है। सत्र के बीच में अतिथि शिक्षकों को हटाना न्यायोचित नही है। साथ ही प्रायमरी और मिडिल स्कूलों के अधिकांश शिक्षक बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी में लगे हैं। वहीं कक्षा 1 से 8 तक कि परीक्षाएं भी होना है। इन कक्षाओं का मूल्यांकन भी 31 मार्च तक कर के परीक्षाफल घोषित किया जाना है। ऐसे में स्कूलों की व्यवस्थाओं पर प्रतिकूल असर होगा ।

शिक्षा विभाग सीबीएसई पैटर्न पर नया सत्र अप्रैल से शुरू करने जा रही है। पर जब स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति नहीं होगी तो कैसे स्कूली मापदंड पूरे करना संभव होगा। पिछले सत्र की साइकिलें तक वितरण नहीं हो सकी हैं। आगामी सत्र से छात्रों को दी जाने वाली किताबें नई नहीं दी जाना है। जिसकी जानकारी छात्रों को पूर्व में नहीं दी गई थी। लिहाजा पुरानी किताबें कितनी वापिस आ सकेगी उसी आधार पर वितरण की जाएगी। शिक्षकों की कमी से शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह चौपट होने की संभावना है।

विभाग को फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए

इस समय स्कूलों के शिक्षक बोर्ड परीक्षाओं में व्यस्त रहेंगे, लोकल परीक्षा, मूल्यांकन के लिए अतिथियों की आवश्यकता रहेगी। विभाग को पुनः विचार करना चाहिए । सुनील गुप्ता, ब्लॉक अध्यक्ष राज्य अध्यापक शिक्षक संघ पिछोर

अतिथि शिक्षकों को सत्र के अंत तक रखना चाहिए

शिक्षा विभाग को अतिथि शिक्षकों को सत्रांत तक रखने के बारे में पुनः विचार करना चाहिए। ऐसा न करने पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। राकेश मिश्रा, प्रधानाध्यापक

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