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शिक्षक बोले- संविलियन की घोषणा अमल में लाएं फिर नया नियम लागू करें

आगामी 2 अप्रैल से प्रदेश के शिक्षक अब एक जैसी ड्रेस मे नजर आएंगे ।महिला शिक्षकों को मेहरून व पुरुष शिक्षकों को नेवी ब्ल्यू रंग की जैकेट पहननी होगी। सरकार ड्रेस कोड लागू करके शिक्षकों में एकरूपता लाने की कवायद कर रही है, वहीं शिक्षक और शिक्षिकाओं में शिक्षा विभाग के इस निर्णय को लेकर अलग अलग मत है।
शिक्षिका का कहना है कि सरकार पहले शिक्षा विभाग के संविलियन वाली घोषणा तो अमल में लाए फिर नया नियम लागू करें,वहीं कुछ शिक्षक ड्रेस कोड के समर्थन में बोलते दिखे और कुछ विरोध में भी नजर आए।

शिक्षकों में सेवा के प्रति समर्पण व एकरूपता लाने के लिए शिक्षा विभाग ने शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए ड्रेसकोड बनाया है। इसके तहत अब महिला व पुरुष शिक्षक जैकेट पहनकर स्कूल जाएंगे। इनके रंग अलग-अलग हैं। इसे लेकर हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग उप सचिव ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।

विद्यार्थियों में ज्ञान संचेतना,मूल्य चेतना,नैतिक संस्कार बोध तथा आदर्श बोध जाग्रत करना शिक्षकों का दायित्व है। शिक्षक ही विद्यार्थियों का भविष्य संवारने एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनाने व भविष्य निर्माता की भूमिका निभाते हैं। ऐसे जिम्मेदार पद पर आसीन लोगों की अलग पहचान होना चाहिए। इसी थीम पर काम करते हुए राज्य शासन ने अब शिक्षकों के लिए ड्रेसकोड लागू किया है। इसके तहत महिला शिक्षकों को मेहरून व पुरुष शिक्षकों को नेवी ब्ल्यू रंग की जैकेट पहनना जरूरी किया है। इसके साथ ही राष्ट्र निर्माता की पट्टी भी लगाने के निर्देश दिए है।निर्देश उप सचिव के के द्विवेदी ने जारी किए।

2 अप्रैल से लागू होगा ड्रेसकोड

म प्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग से जारी आदेश के तहत इसका पालन नवीन शैक्षणिक सत्र 2 अप्रेल से कराया जाएगा। सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को ड्रेस कोड का पालन करना होगा। शिक्षिकाओं के लिए मेहरून और शिक्षकों के लिए नेवी ब्ल्यू रंग की जैकेट पहनकर स्कूल पहुंचना पड़ेगा।यह निर्णय समस्त सरकारी स्कूलों के शिक्षक,शिक्षिकाओं के लिए लागू किया गया है।

स्वतंत्रता के बाद यह गलत निर्णय

शिक्षकों की पहचान ड्रेस से नहीं होती उसकी शिक्षा देने की पद्धति से होती है,सरकार को शिक्षकों की सुविधाएं,उनकी भर्ती,सातवें वेतनमान का लाभ जैसी सुविधाएं देनी चाहिए,ड्रेस कोड शिक्षकों पर लागू कर रहे है यह ठीक नहीं है।स्वतंत्रता के बाद यह गलत निर्णय मप्र सरकार ले रही है,हमें यह ठीक नहीं लगता। सरकार शिक्षकों की भर्ती करने पर ध्यान दें,शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे तो बात बने,एप्रिन का निर्णय शिक्षकों पर थोपना ठीक नहीं । राजेंद्र पिपलोदा,जिलाध्यक्ष कर्मचारी कांग्रेस शिवपुरी।

सरकार पूरी ड्रेस दे,अकेले एप्रिन से क्या होगा

हर विभाग में ड्रेस होती है,जैसे पुलिस की वर्दी,वकील की वर्दी,अब शिक्षक को यदि आप ड्रेस कोड दे ही रहे हो तो वह आक्रामक कलर होना था।अकेले एप्रिन से क्या होता है,उसे तो शिक्षक आकर स्कूल में लटका देगा। यदि सरकार को करना ही था तो पूरी ड्रेस सरकार को देनी थी,और अभी तक यह भी तय नहीं है कि एप्रिन किसे खरीदने है, कोन इसकी राशि देगा यह तय नहीं है। आधा अधूरा निर्णय सरकार का है। स्नेह सिंह रघुवंशी, जिलाध्यक्ष,राज्य अध्यापक संघ

एक रुप में नजर आएंगे शिक्षक

जिस तरह वकील को काले कोट से,डॉक्टर को सफेद एप्रिन से पहचाना जाता है वैसे ही सरकार ने शिक्षकों को नया ड्रेस अप दिया है,हम तो इसका स्वागत करते है,अभी तक शिक्षक अलग अलग ड्रेस पहनकर आते थे कोई महंगी शर्ट कोई सस्ती शर्ट,अब सब एक रुप में नजर आएंगे और इससे भेदभाव भी मिटेगा। रामकृष्ण रघुवंशी,संभागीय उपाध्यक्ष,अध्यापक संघ

पुरानी घोषणा पर अमल नहीं और नई घोषणा हो रही है

ड्रेस कोड तो ठीक है,पर पूरा गणवेश होना था,मप्र की शिवराज सरकार पहले जो घोषणा उन्होंने शिक्षा विभाग में संविलियन करने की थी पहले वह तो पूरी कर दें। पुरानी घोषणा को अमल में लिया नहीं और नयी घोषणा हो रही है। हमारी मांगे मान ली जाएं हम तो सरकार के आदेशों का पालन कर ही रहे है। पूजा शर्मा,जिला संयोजक अध्यापक संघ

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