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बड़ी खबर: पौने 3 लाख अध्यापकों का बढ़ा कद, जानिये किसे होगा कितने का फायदा

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई अध्यापकों और मुख्यमंत्री की बातचीत के बाद सीएम ने अध्यापकों के संविलियन की घोषणा रविवार को कर दी। इसके साथ ही अब प्रदेश में सिर्फ एक शिक्षा विभाग होगा और सभी शिक्षक कहलाएंगे। यानि इसके चलते अब पंचायत एवं नगरीय निकायों से जुड़े पौने 3 लाख स्कूली अध्यापक अब स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन हो जाएंगे।


आंदोलन पर अड़े अध्यापकों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को सीएम हाउस बुलाकर यह एेलान किया। सरकार के इस फैसले से अध्यापकों को वेतन वृद्धि से लेकर तबादला नीति तक का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री के एेलान के बाद अध्यापकों ने आंदोलन खत्म कर दिया।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने कहा, अलग-अलग सभी संवर्ग खत्म करेंगे। अब केवल शिक्षा विभाग रहेगा। अध्यापकों का संविलियन किया जाएगा। यह एेतिहासिक दिन है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे यह काम करने का अवसर मिल रहा है। पुरानी सरकारों ने अन्याय किया। उन्होंने शिक्षाकर्मी , गुरुजी और शिक्षक जैसे भेद किए थे। अब सभी अध्यापकों को वरिष्ठता, अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ मिलेगा। शिक्षिकाएं मातृत्व अवकाश ले सकेंगी।

ये होगा फायदा...
वेतन में बढ़ौतरी: सहायक अध्यापक का वर्तमान वेतन जो अभी 25 से 32 हजार है वो संविलियन के बाद 28 से 33 हजार हो जाएगा।
- वहीं अध्यापक जिनका वेतन वर्तमान में 30 से 37 हजार है वो संविलियन के बाद 33 से 42 हजार हो जाएगा।
- और वरिष्ठ अध्यापकों का वर्तमान वेतन जो 38 से 42 हजार है, संविलियन के बाद 41 से 47 हजार हो जाएगा।
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इसका भी मिलेगा लाभ...
- समान हक मिलेगा।
- तबादला भी हो सकेगा।
- मातृत्व का अवकाश।
- अनुकंपा नियुक्ति।
- वेतन वृद्धि।
- बीमा, पेंशन, ग्रेज्युटी,मेडिकल।

ऐसे हुई घोषणा...
लंबे समय से मांगों को लेकर चल रहे शिक्षकों के आंदोलन के तहत रविवार को शाहजहानी पार्क में अध्यापक संकल्प सभा और महापंचायत का आयोजन किया गया। जहां अपनी मांगों को लेकर अध्यापकों ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन भी किया। इसके बाद अध्यापक मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, जहां बातचीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शिक्षकों के संविलियन की घोषणा की।

यह है इतिहास...
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में 1998-99 में शिक्षाकर्मी नियुक्त किए गए थे। 2001-02 में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हुई। सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 1 अप्रैल 2007 को अध्यापक संवर्ग बनाया गया। अभी अध्यापकों की नियुक्ति दो अलग-अलग विभागों के जरिए होती थी। शहरी क्षेत्र में नगरीय प्रशासन विभाग और ग्रामीण इलाकों में पंचायत विभाग के अधीन अध्यापक आते थे।

ऐसे पूरी हुई मांग...
पूर्व में इन्हें शिक्षाकर्मी कहा जाता था,जिसके बाद इनके सम्मान को ध्यान में रखते हुए इनका पद अध्यापक कर दिया गया। ऐसे में अध्यापक लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार से अनुरोध कर रहे थे, लेकिन उनकी मांगे पूरी नहीं की गई। और हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जा रहा था, इसी के चलते विभिन्न जिलों में हर रोज विरोध प्रदर्शन से लेकर अध्यापकों द्वारा भूख हड़ताल तक की जा रही थी। इसी बीच पिछले दिनों अध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर भोपाल के जंबूरी मैदान में अपना मुंडन भी कराया था, जिसमें महिला अध्यापक भी शामिल थे।

इसके बाद रविवार को सुबह फिर से विभिन्न जिलों से अध्यापक भोपाल के शाहजहांनी पार्क में एकत्रित हुए। यहां उन्होंने अध्यापक संकल्प सभा और महापंचायत का आयोजन रखा, यहीं अध्यापकों का कहना था कि वे अब किसी भी हालत में खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शिक्षकों से मुलाकात के बाद उनके संविलियन की घोषणा की।

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