ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि उच्च शिक्षा विभाग ने जीवाजी
यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों में 14 व 15
दिसंबर को छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए शिविर लगाने के निर्देश
दिए हैं। समस्त कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देशित किया है कि वे कॉलेज
के सूचना पटल पर सूचना चस्पा करें।
साथ ही प्रचार प्रसार करें, जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इसका लाभ मिल सके। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि शिविर में नई शिकायतों के आवेदन लिए जाएंगे। इसके अलावा 23 से 25 नवंबर तक लगाए गए शिविर के लंबित आवेदनों का निपटारा किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है कि वे भी शिविर में ज्यादा से ज्यादा छात्रों की समस्याओं के समाधान की व्यवस्था करें। विभाग ने नवंबर में तीन दिन लगाए गए समाधान शिविर के आंकड़ें भी जारी किए हैं। प्रदेश समस्त विश्वविद्यालयों में 1662 छात्रों ने आवेदन दिए थे, जिनमें से 1204 का निराकरण किया जा सका था। शेष 448 शिकायतें 14 व 15 दिसंबर के शिविर में निपटाने के निर्देश दिए हैं।
जेयू में सर्वाधिक शिकायत
जेयू में नवंबर में 3 दिन लगाए गए छात्र समस्या समाधान शिविर में 558 छात्रों ने आवेदन दिए थे। यह आंकड़ा प्रदेश में सबसे ज्यादा था। इसमें से 421 के निपटारे का अधिकारियों ने दावा किया था। ज्यादातर शिकायतें मार्कशीट न मिलने, मार्कशीट में गलतियां, माइग्रेशन, पीएचडी, एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट से संबंधित थी।
साथ ही प्रचार प्रसार करें, जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इसका लाभ मिल सके। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि शिविर में नई शिकायतों के आवेदन लिए जाएंगे। इसके अलावा 23 से 25 नवंबर तक लगाए गए शिविर के लंबित आवेदनों का निपटारा किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है कि वे भी शिविर में ज्यादा से ज्यादा छात्रों की समस्याओं के समाधान की व्यवस्था करें। विभाग ने नवंबर में तीन दिन लगाए गए समाधान शिविर के आंकड़ें भी जारी किए हैं। प्रदेश समस्त विश्वविद्यालयों में 1662 छात्रों ने आवेदन दिए थे, जिनमें से 1204 का निराकरण किया जा सका था। शेष 448 शिकायतें 14 व 15 दिसंबर के शिविर में निपटाने के निर्देश दिए हैं।
जेयू में सर्वाधिक शिकायत
जेयू में नवंबर में 3 दिन लगाए गए छात्र समस्या समाधान शिविर में 558 छात्रों ने आवेदन दिए थे। यह आंकड़ा प्रदेश में सबसे ज्यादा था। इसमें से 421 के निपटारे का अधिकारियों ने दावा किया था। ज्यादातर शिकायतें मार्कशीट न मिलने, मार्कशीट में गलतियां, माइग्रेशन, पीएचडी, एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट से संबंधित थी।