भोपाल। शिक्षा विभाग के
कई शिक्षकों व प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के पास सिर्फ पांच माह का समय
है। यदि इस दौरान डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) नहीं किया तो
इनकी नौकरी जा सकती है।
शासन ने ये फरमान पिछले माह जारी करते हुए ऐसे
शिक्षकों से जो डीएलएड नहीं हैं कहा था कि वे छह माह का कोर्स कर लें, वरना
उनकी नौकरी चली जाएगी। यानि पाठ्यक्रम पूरा नहीं हाेने पर वे 1 अप्रैल
2019 के बाद स्कूलों में नहीं पढ़ा सकेंगे।
राजधानी में शिक्षकों को पिछले दिनों ये
आदेश मिला था और जिस दिन ये आदेश मिल उसी रात 12 बजे तक ऑनलाइन आवेदन करने
का फरमान था। जिसे लेकर शिक्षकों में गुस्सा था। प्रदेश में अब भी करीब एक
लाख 21 हजार शिक्षक पढ़ाने की योग्यता नहीं रखते हैं।
'नि:शुल्क
एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" के तहत प्राइमरी और
मिडिल स्कूल के शिक्षक डीएलएड योग्यताधारी होने चाहिए।
पिछले सात सालों में तीन बार केंद्र सरकार
डीएलएड करने की समयसीमा बढ़ा चुकी है। फिर भी एक हजार 111 सरकारी और एक लाख
20 हजार प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने डीएलएड नहीं किया है। उधर, राज्य
सरकार को मार्च 2019 तक का मौका मिला है। इसके बाद अयोग्य शिक्षकों से
पढ़ाई नहीं कराई जा सकेगी। इसे देखते हुए शासन ने सख्ती दिखाई है।
ऐसे
शिक्षकों से कहा गया है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस)
से डीएलएड का कोर्स कर योग्यता अर्जित कर लें, वरना सेवा से बाहर कर दिए
जाओगे। एनआईओएस छह माह का कोर्स करा रहा है। जिसे दो साल के डीएलएड कोर्स
के समान माना गया है।
शिक्षकों को खुद देनी होगी फीस :
एनआईओएस से छह माह का कोर्स करने के लिए शिक्षकों को खुद फीस देनी होगी। उनसे 4,500 रुपए पंजीयन और सात सौ रुपए प्रति पेपर फीस ली जाएगी। ये पत्राचार पाठ्यक्रम है, इसलिए शिक्षकों को छुट्टी भी नहीं मिलेगी।
एनआईओएस से छह माह का कोर्स करने के लिए शिक्षकों को खुद फीस देनी होगी। उनसे 4,500 रुपए पंजीयन और सात सौ रुपए प्रति पेपर फीस ली जाएगी। ये पत्राचार पाठ्यक्रम है, इसलिए शिक्षकों को छुट्टी भी नहीं मिलेगी।
वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि सरकारी
शिक्षकों को विषयवार, कक्षावार और सेवाकालीन प्रशिक्षण लगातार दिया जाता
है। इससे वे अपने काम में दक्ष हो गए हैं, ऐसे में इस सबका कोई खास अंतर
नहीं पड़ेगा।