शिक्षा विभाग में पहली बार हो रही ऑनलाइन युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में अतिशेष शिक्षकों की सूची अपलोड होने के बाद कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। अतिशेष शिक्षकों को लेकर मापदंड एक है लेकिन जो सूची विभागीय पोर्टल पर अपलोड की गई है, उसमें अलग-अलग पैमाने देखने को मिल रहे हैं।
कई शिक्षक आैर प्रधानाध्यापकों को मापदंड के बाहर होने के बावजूद अतिशेष की सूची में शामिल नहीं किया। वहीं कुछ ऐसे शिक्षकों को अतिशेष में डाल दिया गया, जिनके स्कूल में उनसे भी वरिष्ठ शिक्षक कार्यरत हैं। सूची में ज्वाइनिंग की तारीख का भी उल्लेख नहीं है। केवल महीना व वर्ष डाला गया है। जिससे वरिष्ठता के पैमाने भी गड़बड़ा गए हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिक स्कूलों के लिए 60 बच्चों तक दो शिक्षक होना चाहिए।
61 से 90 बच्चों तक दो शिक्षक होना चाहिए।
91 से 120 बच्चों तक चार शिक्षक।
121 से 200 बच्चों तक पांच शिक्षक होना चाहिए।
150 से अधिक बच्चे होने पर पांच शिक्षक आैर एक प्रधानाध्यापक का प्रावधान है।
200 से अधिक बच्चे पर 40 के अनुपात में एक शिक्षक (प्रधानाध्यापक को छोड़कर) रखे जाना चाहिए।
अतिशेष शिक्षकों की गणना संस्था में पदांकन दिनांक से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। यानी संस्था में पदस्थ दिनांक से वरिष्ठ शिक्षक को अतिशेष मानते हुए हटाया जाएगा।
अध्यापक संवर्ग को पहले आैर उसके बाद शिक्षक संवर्ग को अतिशेष होने पर हटाया जाएगा।
प्राथमिकता क्रम में एक से अधिक एक श्रेणी के कर्मचारी आवेदक हैं, तो जिसकी उम्र कम है, उसे अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।
यह है नियम
स्कूलों में उपस्थिति की दिनांक ही नहीं दर्शाई, जिससे वरिष्ठता आैर कनिष्ठता का पैमाना गड़बड़।
निर्धारित मापदंड होने के बावजूद कहीं प्रधानाध्यापक को अतिशेष बताया आैर कई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों का नाम छोड़ दिया गया।
विद्यार्थियों की संख्या को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि आखिर छात्र संख्या कब की है।
आगामी कुछ महीनों में ही सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के भी नाम अतिशेष में शामिल कर दिए गए हैं।
अध्यापक संवर्ग के नाम भी अतिशेष में डाले गए हैं, जो कि निकाय के बाहर नहीं जा सकते हैं।
प्रदेशभर में ऐसी त्रुटियां
किसी को शिकायत हो तो आॅनलाइन आपत्ति दर्ज कराएं
अतिशेष शिक्षकों की गणना आैर उनका निर्धारण ऑनलाइन प्रक्रिया के अंतर्गत भोपाल से ही किया गया है। अगर इसको लेकर कोई शिकायत है तो 27 अप्रैल तक पोर्टल पर ही ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करवाई जा सकती है। अभय तोमर, सहायक संचालक, जिला शिक्षा विभाग
4. शासकीय प्राथमिक विद्यालय नीलगंगा में एक सहायक शिक्षिका इसी महीने 30 मई को सेवानिवृत्त होने वाली हैं। उनका नाम भी अतिशेष शिक्षकों के रूप में शामिल किया गया है। जबकि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक वह रिटायर्ड हो चुकी होंगी। इसी स्कूल की एक अन्य शिक्षिका भी 30 सितंबर को रिटायर्ड हो रही हैं। उन्हें भी अतिशेष में रखा गया है।
पोर्टल में डाली गई सूचियों में ऐसी विसंगतियां
1. शा. कन्या प्रावि भेरुनाला में प्रधानाध्यापिका सहित छह शिक्षक हैं। पोर्टल की सूची के अनुसार विद्यार्थियों की संख्या 70 है। यहां प्रधानाध्यापिका को हटाने की जगह तीन शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है।
2.शासकीय बालक प्राथमिक विद्यालय जीवाजीगंज आैर शासकीय प्राथमिक विद्यालय जीवाजीगंज को मर्ज कर दिया गया है लेकिन अतिशेष शिक्षकों की सूची में तीन महिला शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है।
3. घट्टिया विकासखंड के प्रावि बोरमुंडला में एक ही सहायक शिक्षक मोहम्मद रफीक का नाम दो बार दर्शाते हुए उन्हें दोनों ही बार अतिशेष बताया गया है। जबकि स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक हैं।
कई शिक्षक आैर प्रधानाध्यापकों को मापदंड के बाहर होने के बावजूद अतिशेष की सूची में शामिल नहीं किया। वहीं कुछ ऐसे शिक्षकों को अतिशेष में डाल दिया गया, जिनके स्कूल में उनसे भी वरिष्ठ शिक्षक कार्यरत हैं। सूची में ज्वाइनिंग की तारीख का भी उल्लेख नहीं है। केवल महीना व वर्ष डाला गया है। जिससे वरिष्ठता के पैमाने भी गड़बड़ा गए हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिक स्कूलों के लिए 60 बच्चों तक दो शिक्षक होना चाहिए।
61 से 90 बच्चों तक दो शिक्षक होना चाहिए।
91 से 120 बच्चों तक चार शिक्षक।
121 से 200 बच्चों तक पांच शिक्षक होना चाहिए।
150 से अधिक बच्चे होने पर पांच शिक्षक आैर एक प्रधानाध्यापक का प्रावधान है।
200 से अधिक बच्चे पर 40 के अनुपात में एक शिक्षक (प्रधानाध्यापक को छोड़कर) रखे जाना चाहिए।
अतिशेष शिक्षकों की गणना संस्था में पदांकन दिनांक से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। यानी संस्था में पदस्थ दिनांक से वरिष्ठ शिक्षक को अतिशेष मानते हुए हटाया जाएगा।
अध्यापक संवर्ग को पहले आैर उसके बाद शिक्षक संवर्ग को अतिशेष होने पर हटाया जाएगा।
प्राथमिकता क्रम में एक से अधिक एक श्रेणी के कर्मचारी आवेदक हैं, तो जिसकी उम्र कम है, उसे अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।
यह है नियम
स्कूलों में उपस्थिति की दिनांक ही नहीं दर्शाई, जिससे वरिष्ठता आैर कनिष्ठता का पैमाना गड़बड़।
निर्धारित मापदंड होने के बावजूद कहीं प्रधानाध्यापक को अतिशेष बताया आैर कई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों का नाम छोड़ दिया गया।
विद्यार्थियों की संख्या को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि आखिर छात्र संख्या कब की है।
आगामी कुछ महीनों में ही सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के भी नाम अतिशेष में शामिल कर दिए गए हैं।
अध्यापक संवर्ग के नाम भी अतिशेष में डाले गए हैं, जो कि निकाय के बाहर नहीं जा सकते हैं।
प्रदेशभर में ऐसी त्रुटियां
किसी को शिकायत हो तो आॅनलाइन आपत्ति दर्ज कराएं
अतिशेष शिक्षकों की गणना आैर उनका निर्धारण ऑनलाइन प्रक्रिया के अंतर्गत भोपाल से ही किया गया है। अगर इसको लेकर कोई शिकायत है तो 27 अप्रैल तक पोर्टल पर ही ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करवाई जा सकती है। अभय तोमर, सहायक संचालक, जिला शिक्षा विभाग
4. शासकीय प्राथमिक विद्यालय नीलगंगा में एक सहायक शिक्षिका इसी महीने 30 मई को सेवानिवृत्त होने वाली हैं। उनका नाम भी अतिशेष शिक्षकों के रूप में शामिल किया गया है। जबकि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक वह रिटायर्ड हो चुकी होंगी। इसी स्कूल की एक अन्य शिक्षिका भी 30 सितंबर को रिटायर्ड हो रही हैं। उन्हें भी अतिशेष में रखा गया है।
पोर्टल में डाली गई सूचियों में ऐसी विसंगतियां
1. शा. कन्या प्रावि भेरुनाला में प्रधानाध्यापिका सहित छह शिक्षक हैं। पोर्टल की सूची के अनुसार विद्यार्थियों की संख्या 70 है। यहां प्रधानाध्यापिका को हटाने की जगह तीन शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है।
2.शासकीय बालक प्राथमिक विद्यालय जीवाजीगंज आैर शासकीय प्राथमिक विद्यालय जीवाजीगंज को मर्ज कर दिया गया है लेकिन अतिशेष शिक्षकों की सूची में तीन महिला शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है।
3. घट्टिया विकासखंड के प्रावि बोरमुंडला में एक ही सहायक शिक्षक मोहम्मद रफीक का नाम दो बार दर्शाते हुए उन्हें दोनों ही बार अतिशेष बताया गया है। जबकि स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक हैं।