दमोह.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा में अपनी नियमितिकरण की मांग लेकर
पहुंचे अतिथियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सीएम की सभा में नारेबाजी
करना काफी महंगा पड़ जाएगा। 22 अतिथि शिक्षकों का एक साथ बर्खास्त करने से
बबाल मच गया है।
मंगलवार
को यूथ कांग्रेस ने एक ज्ञापन देकर बर्खास्तगी समाप्त करने की मांग की है।
यूथ कांग्रेस द्वारा मांग की गई है कि सीएम शिवराज की सभा में जो अतिथि
शिक्षक गए थे वे अपनी जायज मांग मांग रहे थे, इस तरह के कदम से यह साबित हो
रहा है कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों के प्रति अपना बदला हुआ चेहरा प्रस्तुत
कर रहे हैं। अतिथियों की बर्खास्तगी समाप्त नहीं की गई और अगले सत्र में
उन्हें पुन: मौका नहीं दिया गया तो यूथ कांग्रेस पुरजोर विरोध प्रदर्शन
करेगी।
पूर्व
मंत्री व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राजा पटैरिया ने कहा कि एक शिक्षक
चाणक्य ने राज का और पूरे नंदवंश का सर्वनाश कर दिया था। भाजपा के अंत की
शुरूआत अतिथि शिक्षकों के द्वारा हो चुकी है या आने वाला इतिहास बताएगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सभा में जो युवा पहुंचे थे उन्हें प्रदेश
के सीएम अपना भांजा मानते हैं। अतिथि शिक्षक भी अपने मामा से अपेक्षा की।
सीएम की मंशा उसी समय उजागर हो गई थी जब उन्होंने अपना भाषण बीच में रोककर
यह कहा था कि कभी स्थाई नहीं हो पाओगे, जिससे उनकी मंशानुरूप अतिथियों को
शिक्षकों के समान कभी अधिकार नहीं मिलेंगे। उन्होंने अतिथियों की
बर्खास्तगी से यह भी संदेश पहुंचाया है कि जो वर्तमान में सचिव, सरपंच,
पटवारी, डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं, वे उनके ऐसे समारोह के ईद-गिर्द भी न
भटकें। यह प्रदेश के कर्मचारियों के आंदोलनों को कुचलने के लिए उठाया गया
कदम है।
नगर
के जानेमाने साहित्यकार डॉ. रघुनंदन चिले का कहना है कि मुख्यमंत्री की
सभा में नारेबाजी करने पर अतिथि शिक्षकों को बर्खास्त किया जाना अत्यंत
दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि अतिथि शिक्षकों की मांगें उचित हैं, तो उनकी पूर्ति
का भरसक प्रयास किया जाना चाहिए। इस बर्खास्तगी के पीछे शिक्षा विभाग के
आला अधिकारियों की मंशा मुख्यमंत्री को खुश करने की तो नहीं है। यह सवाल भी
उठ रहा है। शिवराजसिंह जी एक संवेदनशील तथा जन हितेषी मुख्यमंत्री हैं तथा
यह निर्णय आदेश उनका हो नहीं सकता। यह हमारे प्रांत के अकर्मण्य व भ्रष्ट
ब्यूरोक्रेट्स का निर्णय, आदेश लगता है। मुख्यमंत्री जी से आग्रह पूर्ण
निवेदन है कि तत्काल इस अधिनायकवादी आदेश को वापिस लें तथा अतिथि शिक्षकों
को अविलम्ब बहाल करें। साथ ही इस तुगलकी आदेश को जारी करने वाले अधिकारियों
को दंडित करें। एक अतिथि शिक्षक को बर्खास्त करने का मतलब है, एक भरे पूरे
परिवार को त्रासद स्थितियों में ढकेलना है।
अतिथि
शिक्षकों की बर्खास्तगी को लेकर दमोह में बबाल मचा हुआ। डीईओ द्वारा इस
कदम की जोरदार भत्र्सना हो रही है। डीईओ बैकपुट में आकर अब यह दलील देकर
विरोध थामने का प्रयास कर रहा है कि अतिथियों का एंग्रीमेंट 15 अप्रैल तक
था, लेकिन डीईओ पीपी सींग इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं कि एग्रीमेंट
खत्म करने की एकजाई सूचना जारी न करते हुए केवल 22 अतिथियों की बर्खास्तगी
का पत्र किसके इशारे पर जारी किया गया है।