गुना। नवदुनिया न्यूज सीएसी व बीएसी के खाली पड़े पदों पर मंगलवार
दोपहर बाद ओपन काउंसिलिंग की गई। इस दौरान काउंसिलिंग में आए कई शिक्षकों
ने आरोप लगाया कि काउंसिलिंग में कितने शिक्षक शामिल हो रहे हैं, इसकी
जानकारी पटल पर प्रदर्शित नहीं की गई। साथ ही जिन स्कूलों के सीएसी व बीएसी
की काउंसिलिंग की जानी थी, उनकी सूची भी पटल पर नहीं रखी गई।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मंगलवार को जिलेभर में खाली पड़े सीएसी व बीएसी के पदों पर काउंसिलिंग की जानी थी। इनमें बीएसी के 9 तथा सीएसी के 72 पद शामिल हैं। इस दौरान काउंसिलिंग में शामिल सभी शिक्षकों को अपनी पसंद के दो-दो नाम देने के लिए कहा गया। काउंसिलिंग में जिला पंचायत सीईओ कैलाश वानखेड़े भी शामिल रहे। शिक्षकों के मुताबिक काउंसिलिंग के लिए पटल पर सूची चस्पा नहीं करने को लेकर अन्य शिक्षकों के बारे में जानकारी ही नहीं मिली और न ही शिक्षक खाली पड़े पदों वाले स्कूलों का चयन कर पाए। इसके अलावा जो शिक्षक पहले काउंसिलिंग में शामिल हुए, वह अपनी पसंद के स्कूलों के नाम पहले लिख आए, ऐसे में बाद में काउंसिलिंग में पहुंचे शिक्षकों को मजबूरन दूसरे स्कूलों के नाम देने पड़े। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लंबे समय से काउंसिलिंग नहीं हुई थी। ऐसे में सभी शिक्षकों को पहले से ही इस बात की जानकारी थी कि किस स्कूल में कितने पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं ओपन काउंसिलिंग होने के कारण शिक्षकों की सूची पटल पर चस्पा नहीं की गई थी।
फोटोः 2802जीयूएनए19ः गुना। काउंसिलिंग के दौरान अधिकारियों को अपनी पसंद के स्कूलो के नाम सुनाते हुए शिक्षक।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मंगलवार को जिलेभर में खाली पड़े सीएसी व बीएसी के पदों पर काउंसिलिंग की जानी थी। इनमें बीएसी के 9 तथा सीएसी के 72 पद शामिल हैं। इस दौरान काउंसिलिंग में शामिल सभी शिक्षकों को अपनी पसंद के दो-दो नाम देने के लिए कहा गया। काउंसिलिंग में जिला पंचायत सीईओ कैलाश वानखेड़े भी शामिल रहे। शिक्षकों के मुताबिक काउंसिलिंग के लिए पटल पर सूची चस्पा नहीं करने को लेकर अन्य शिक्षकों के बारे में जानकारी ही नहीं मिली और न ही शिक्षक खाली पड़े पदों वाले स्कूलों का चयन कर पाए। इसके अलावा जो शिक्षक पहले काउंसिलिंग में शामिल हुए, वह अपनी पसंद के स्कूलों के नाम पहले लिख आए, ऐसे में बाद में काउंसिलिंग में पहुंचे शिक्षकों को मजबूरन दूसरे स्कूलों के नाम देने पड़े। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लंबे समय से काउंसिलिंग नहीं हुई थी। ऐसे में सभी शिक्षकों को पहले से ही इस बात की जानकारी थी कि किस स्कूल में कितने पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं ओपन काउंसिलिंग होने के कारण शिक्षकों की सूची पटल पर चस्पा नहीं की गई थी।
फोटोः 2802जीयूएनए19ः गुना। काउंसिलिंग के दौरान अधिकारियों को अपनी पसंद के स्कूलो के नाम सुनाते हुए शिक्षक।