माननीय संवेदनशील मुख्यमंत्री महोदयजी,
विगत कुछ दिनों से चर्चा चल रही है कि आप अतिथियों द्वारा की नारेबाजी से नाराज हैं । और आपने अतिथियों को कभी नियमित न हो पाने की बात कहकर चुप रहने की सलाह भी दी।
परन्तु आज मध्यप्रदेश का कर्मठ अतिथि आप से निवेदन स्वरूप में कहना चाहता है कि आपको अतिथियों की 8 मिनिट की नारेबाजी तो सुनाई दे गयी,किन्तु 8 बर्षो से हमारा भूखेपेट विलखना क्यों नही सुनाई दिया? क्या आप नही जानते कि आज के दौर में एक युवा बेरोजगार को कितने ही लोगो के परिहास का कारण बनना पड़ता है,क़ि जब लोग व्यन्गात्मक ढंग से कहते हैं, म.प्र.के अतिथि हो? उस समय भी हम लोगों को आपके द्वारा 2013 में की गई घोषणा का हवाला देकर अपने आत्मसम्मान की रक्षा करते हैं। किंतु आज जब अन्य प्रदेशों में बिना किसी दीर्घकालीन घोषणा के हरियाणा,उत्तरप्रदेश,उत्तराखण्ड,झारखण्ड की सरकारें गेस्ट टीचरों की पीड़ा को महसूस करती हैं और उनके हित में फैसले भी लेती हैं तब हम अपनी सह्रदयता से उठकर तार्किक हो जाते हैं और स्वयं को आपके द्वारा ठगा सा महसूस करने पर विवश हो जाते हैं। माननीय हम अपने परिवार के मुखिया हैं परंतु परिवार के सदस्यों को उनकी मांग मात्र रखने पर क्रोध का भाजन नही बनाते क्यों वो हम से नही कहेंगे तो क्या बाहर वालों से कहेंगे ये तो हमें भी मंजूर न होगा।आप ही बताये 2008 से अब तक अतिथियों के बिसय में कोई ऐसी योजना पर विचार भी हुआ जिससे उनका व उनके परिवारों का भविष्य निर्धारण हो सके। कृपया बोनस अंको की बात कहकर हमारे साथ छलावा न करें। हम आपकी नियमितीकरण की घोषणा का ही परिणाम हैं अपनी घोषणा को अक्षरसः पुर्ण कर हमारे साथ न्याय करने की कृपा करें। और हमें वही स्नेह प्रदान करें जो 8 वर्ष पूर्व आपने हमे दिया था। वो ही हमारे अच्छे दिन थे आज फिर हम आपमें वही मामा देखना चाहते हैं जो हमारी पीड़ा सुनते ही दूर करने को तत्पर रहता था।हमारी वेदनाएं बहुत हैं मामाजी कम लिखे को बहुत समझेंगे इसी अपेक्षा के साथ एक भूखा किंतु
विगत कुछ दिनों से चर्चा चल रही है कि आप अतिथियों द्वारा की नारेबाजी से नाराज हैं । और आपने अतिथियों को कभी नियमित न हो पाने की बात कहकर चुप रहने की सलाह भी दी।
परन्तु आज मध्यप्रदेश का कर्मठ अतिथि आप से निवेदन स्वरूप में कहना चाहता है कि आपको अतिथियों की 8 मिनिट की नारेबाजी तो सुनाई दे गयी,किन्तु 8 बर्षो से हमारा भूखेपेट विलखना क्यों नही सुनाई दिया? क्या आप नही जानते कि आज के दौर में एक युवा बेरोजगार को कितने ही लोगो के परिहास का कारण बनना पड़ता है,क़ि जब लोग व्यन्गात्मक ढंग से कहते हैं, म.प्र.के अतिथि हो? उस समय भी हम लोगों को आपके द्वारा 2013 में की गई घोषणा का हवाला देकर अपने आत्मसम्मान की रक्षा करते हैं। किंतु आज जब अन्य प्रदेशों में बिना किसी दीर्घकालीन घोषणा के हरियाणा,उत्तरप्रदेश,उत्तराखण्ड,झारखण्ड की सरकारें गेस्ट टीचरों की पीड़ा को महसूस करती हैं और उनके हित में फैसले भी लेती हैं तब हम अपनी सह्रदयता से उठकर तार्किक हो जाते हैं और स्वयं को आपके द्वारा ठगा सा महसूस करने पर विवश हो जाते हैं। माननीय हम अपने परिवार के मुखिया हैं परंतु परिवार के सदस्यों को उनकी मांग मात्र रखने पर क्रोध का भाजन नही बनाते क्यों वो हम से नही कहेंगे तो क्या बाहर वालों से कहेंगे ये तो हमें भी मंजूर न होगा।आप ही बताये 2008 से अब तक अतिथियों के बिसय में कोई ऐसी योजना पर विचार भी हुआ जिससे उनका व उनके परिवारों का भविष्य निर्धारण हो सके। कृपया बोनस अंको की बात कहकर हमारे साथ छलावा न करें। हम आपकी नियमितीकरण की घोषणा का ही परिणाम हैं अपनी घोषणा को अक्षरसः पुर्ण कर हमारे साथ न्याय करने की कृपा करें। और हमें वही स्नेह प्रदान करें जो 8 वर्ष पूर्व आपने हमे दिया था। वो ही हमारे अच्छे दिन थे आज फिर हम आपमें वही मामा देखना चाहते हैं जो हमारी पीड़ा सुनते ही दूर करने को तत्पर रहता था।हमारी वेदनाएं बहुत हैं मामाजी कम लिखे को बहुत समझेंगे इसी अपेक्षा के साथ एक भूखा किंतु