भोपाल, अमित देशमुख। व्यापमं घोटाले के मुख्य
सूत्रधारों के खिलाफ सीबीआई अप्रैल तक जांच पूरी कर अगस्त से चार्जशीट
दाखिल करने का सिलसिला शुरू कर देगी। आरोपियों से पूछताछ अंतिम दौर में है।
55 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
इनमें ज्यादातर मेडिकल सहित संविदा शिक्षक, वन रक्षक मामले से जुड़े हैं, जिनमें आरोपी छात्र व मुन्नाभाई हैं।
सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने 634 मेडिकल छात्रों के दाखिले रद्द किए हैं। वहीं व्यापमं घोटाले के दौरान हुई संदिग्ध मौतों में भी सिर्फ नम्रता डामोर मामला सीबीआई के पास है। इसमें भी सीबीआई को हत्या के सबूत नहीं मिले। अन्य मौतों को लेकर जांच पूरी हो चुकी है, जिनमें हत्या जैसी बात सामने नहीं आई। मालूम हो कि सीबीआई के पास व्यापमं से जुड़े 154 मामले हैं। वहीं हार्डडिस्क में टेम्परिंग न होने की रिपोर्ट के बाद सीबीआई उन तथ्यों पर जांच कर रही है कि जिनके नाम ओरिजनल हार्ड डिस्क में थे।
अप्रैल तक आईओ सौंपेंगे रिपोर्ट
सूत्र बताते हैं कि व्यापमं फर्जीवाड़े के लिए सीबीआई ने 50 से ज्यादा इंवेस्टिगेशन अफसर नियुक्त किए हंै। जनवरी में नए सीबीआई डायरेक्टर को मामले की स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपी गई, जिसमें बताया गया कि अप्रैल तक मैदानी जांच और पूछताछ 95 फीसदी पूरी हो जाएगी, जिसकी रिपोर्ट आईओ सौंप देंगे।
स्क्रूटनी की जाएगी
आईओ के रिपोर्ट सौंपेने के बाद दस्तावेजों की स्कूट्रनी होगी। अब तक हुई जांच को सीबीआई मुख्यालय भेजा जाएगा, जहां इसे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ डायरेक्टर भी देखेंगे और कहीं कोई बिंदु जुड़वाना होगा तो निर्देश देंगे। इस पर जांच हुई तो सीबीआई को तीन महीने और समय लगेगा। जिसके बाद अगस्त से चार्टशीट दाखिल होने लगेंगे।
ये है अब तक की प्रोग्रेस रिपोर्ट
घोटाले से संबंधित 185 मामले व्यापमं से संबंधित थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिए और इनमें से 154 दर्ज किए गए। इनमें 14 में आगे की जांच किए बिना इनके संबंध में अभियोजन, ट्रायल चल रहा है। ये वही मामले हैं, जिसमें एसटीएफ ने चार्जशीट दाखिल की थी। सात मामलों में सीबीआई ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा अपनी दोषसिद्धी के विरूद्ध दायर की गई अपील कार्रवाई को स्वीकार किया है जो चल रही है। सात मामलों में सीबीआई ने कार्रवाई न करने की सिफारिश की है, क्योंकि ये व्यापमं घोटाले से संबंधित नहीं थे। 11 मामलों में ट्रायल कोर्ट के निर्णय आए, जिसमें 10 में दोष सिद्ध हुए हैं।
2013 में हुआ था खुलासा
सरकारी नौकरी में 1000 फर्जी भर्तियां और मेडिकल कॉलेज में 514 फर्जी भर्तियों का शक है। घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया, ये दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे। पूछताछ में डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया, सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया। पहले मामले की जांच एसआईटी कर रही थी जिसे 13 जुलाई 2015 को सीबीआई को सौंप दिया गया।
इनमें ज्यादातर मेडिकल सहित संविदा शिक्षक, वन रक्षक मामले से जुड़े हैं, जिनमें आरोपी छात्र व मुन्नाभाई हैं।
सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने 634 मेडिकल छात्रों के दाखिले रद्द किए हैं। वहीं व्यापमं घोटाले के दौरान हुई संदिग्ध मौतों में भी सिर्फ नम्रता डामोर मामला सीबीआई के पास है। इसमें भी सीबीआई को हत्या के सबूत नहीं मिले। अन्य मौतों को लेकर जांच पूरी हो चुकी है, जिनमें हत्या जैसी बात सामने नहीं आई। मालूम हो कि सीबीआई के पास व्यापमं से जुड़े 154 मामले हैं। वहीं हार्डडिस्क में टेम्परिंग न होने की रिपोर्ट के बाद सीबीआई उन तथ्यों पर जांच कर रही है कि जिनके नाम ओरिजनल हार्ड डिस्क में थे।
अप्रैल तक आईओ सौंपेंगे रिपोर्ट
सूत्र बताते हैं कि व्यापमं फर्जीवाड़े के लिए सीबीआई ने 50 से ज्यादा इंवेस्टिगेशन अफसर नियुक्त किए हंै। जनवरी में नए सीबीआई डायरेक्टर को मामले की स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपी गई, जिसमें बताया गया कि अप्रैल तक मैदानी जांच और पूछताछ 95 फीसदी पूरी हो जाएगी, जिसकी रिपोर्ट आईओ सौंप देंगे।
स्क्रूटनी की जाएगी
आईओ के रिपोर्ट सौंपेने के बाद दस्तावेजों की स्कूट्रनी होगी। अब तक हुई जांच को सीबीआई मुख्यालय भेजा जाएगा, जहां इसे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ डायरेक्टर भी देखेंगे और कहीं कोई बिंदु जुड़वाना होगा तो निर्देश देंगे। इस पर जांच हुई तो सीबीआई को तीन महीने और समय लगेगा। जिसके बाद अगस्त से चार्टशीट दाखिल होने लगेंगे।
ये है अब तक की प्रोग्रेस रिपोर्ट
घोटाले से संबंधित 185 मामले व्यापमं से संबंधित थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिए और इनमें से 154 दर्ज किए गए। इनमें 14 में आगे की जांच किए बिना इनके संबंध में अभियोजन, ट्रायल चल रहा है। ये वही मामले हैं, जिसमें एसटीएफ ने चार्जशीट दाखिल की थी। सात मामलों में सीबीआई ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा अपनी दोषसिद्धी के विरूद्ध दायर की गई अपील कार्रवाई को स्वीकार किया है जो चल रही है। सात मामलों में सीबीआई ने कार्रवाई न करने की सिफारिश की है, क्योंकि ये व्यापमं घोटाले से संबंधित नहीं थे। 11 मामलों में ट्रायल कोर्ट के निर्णय आए, जिसमें 10 में दोष सिद्ध हुए हैं।
2013 में हुआ था खुलासा
सरकारी नौकरी में 1000 फर्जी भर्तियां और मेडिकल कॉलेज में 514 फर्जी भर्तियों का शक है। घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया, ये दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे। पूछताछ में डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया, सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया। पहले मामले की जांच एसआईटी कर रही थी जिसे 13 जुलाई 2015 को सीबीआई को सौंप दिया गया।