बदनावर। अतिथि शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को
लेकर पिछले सप्ताह से हड़ताल कर रहे हैं। इसके चलते सरकारी स्कूलों में
पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होने लगी है। यहां मॉडल स्कूल में ऐसा ही नजारा
देखने को मिला। जहां अतिथि शिक्षकों की हडताल के चलते छात्र छात्राएं पढाई
से वंचित रहे।
स्कूल में 12 अतिथि शिक्षक ही अध्यापन कार्य कराते है।
उधर तहसील क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में नियुक्त 300 से अधिक अतिथि शिक्षकों की हड़ताल से आगामी दिनों में होने वाली बोर्ड व वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी पर असर पडने के कारण बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। अतिथि शिक्षकों की हड़ताल ने विभाग को भी विचार करने पर विवश कर दिया है। मार्च माह में बोर्ड की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है। ऐसे में अतिथि शिक्षकों की हड़ताल के चलते नियमित शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन, हड़ताल आदि कर चुके हैं।
बदनावर में धरना स्थल पर बैठक कर आगे की आंदोलन की रणनीति बनाई। अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष राधेश्याम मकवाना का कहना है कि पिछले कई सालों से हम विकट परिस्थितियों में नाममात्र के मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। जिन स्कूलों में नियमित शिक्षक नहीं है, वहां हमारी बदौलत ही परीक्षा परिणाम में सुधार होता है। इसके बावजूद सरकार हमारी उपेक्षा कर रही है। कई अतिथि शिक्षक नियमितिकरण की राह देखते हुए सरकारी सेवा की उम्र भी पूरी कर चुके है।
स्कूल में 12 अतिथि शिक्षक ही अध्यापन कार्य कराते है।
उधर तहसील क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में नियुक्त 300 से अधिक अतिथि शिक्षकों की हड़ताल से आगामी दिनों में होने वाली बोर्ड व वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी पर असर पडने के कारण बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। अतिथि शिक्षकों की हड़ताल ने विभाग को भी विचार करने पर विवश कर दिया है। मार्च माह में बोर्ड की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है। ऐसे में अतिथि शिक्षकों की हड़ताल के चलते नियमित शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन, हड़ताल आदि कर चुके हैं।
बदनावर में धरना स्थल पर बैठक कर आगे की आंदोलन की रणनीति बनाई। अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष राधेश्याम मकवाना का कहना है कि पिछले कई सालों से हम विकट परिस्थितियों में नाममात्र के मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। जिन स्कूलों में नियमित शिक्षक नहीं है, वहां हमारी बदौलत ही परीक्षा परिणाम में सुधार होता है। इसके बावजूद सरकार हमारी उपेक्षा कर रही है। कई अतिथि शिक्षक नियमितिकरण की राह देखते हुए सरकारी सेवा की उम्र भी पूरी कर चुके है।