सीहोर. परीक्षाएं निकट आने के साथ ही शिक्षकों पर अच्छे रिजल्ट का दबाव शुरू हो जाता है, लेकिन स्कूलों में रिक्त पड़े शिक्षकों को भरने की दिशा में ध्यान नहीं दिया जाता है। जिले के हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
आरटीआई कानून लागू होने के बाद भी स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पाईहै। इसके साथ ही स्कूलों में पदस्थ शिक्षक अन्य बेगारी के काम में भी लगे हुए हैं। इसका असर बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट पर पडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले में 85 हायर सेकंडरी और 113 हाईस्कूल हैं। इनमें से 55 हायर सेकंडरी स्कूलों में और 48 हाईस्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं। इसके साथ ही जिले के स्कूलों में वर्ग दो के 1200 और वर्ग एक के चार सौपद रिक्त हैं। स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पड़े हुए पदों के कारण पढ़ाई ठीक प्रकार से नहीं हो रही है।
पिछले साल हाईस्कूल परीक्षा में 52 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों की प्राचार्यों की 13 जनवरी को क्लास लगी थी। लोक शिक्षण संचलनालय के अपर संचालक डीएस कुशवाहा ने एक्सीलेंस स्कूल में प्राचार्यों को स्पष्ट रूप से कहा कि इस साल हाईस्कूल में परीक्षा में स्कूलों का परीक्षा परिणाम 80 से 90 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसके लिए विद्यार्थियों की परीक्षा की तैयारी में कही कोई कोर कसर नहीं छोड़े।
शिक्षा के हाल की बात करें तो आरटीआई के तहत मिडिल स्कूलों में कम से कम गणित, अंगे्रजी,साईंस के एक-एक शिक्षक होने चाहिए। स्थिति इससे उलट है। जिले के 675 मिडिल स्कूलों में से महज पांच प्रतिशत स्कूलों में ही मुश्किल से अंग्रेजी के शिक्षक है। गणित और साईंस की बात करें तो गणित के आधे स्कूलों में और सार्इंस के 20 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक नहीं है।
सरकारी स्कूल के शिक्षक पढ़ाई से ज्यादा अन्य काम की बेगारी में व्यस्त हैं। कहीं शिक्षक दूसरे स्थानों पर तो ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। शिक्षकों की माने तो उन्हें शिक्षक के अलावा अन्य कामों में झौंक दिया जाता है।जनगणना, चुनाव, छात्रवृत्ति आदि कामों में भी शिक्षक लगे रहते हैं। मध्यान्ह भोजन भी स्कूलों में शिक्षकों के लिए पढ़ाई में बाधा का काम कर रहा है। आधा समय भोजन और बर्तन आदि समेटने में शिक्षक व्यस्त रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में एक या दो शिक्षकों के होने के कारण व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाती है।
जिले में करीब नौहजार शिक्षकों की आवश्यकता है। इनमें से करीब 6 हजार 600 शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षकों के करीब 2400 पद रिक्त हैं।शिक्षकों की कमी अतिथि शिक्षक रखकर शिक्षा विभाग पूरी कर रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के लिए अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ही अतिथि शिक्षकों के करीब छह सौ से सात सौ पद रिक्त हैं। इस समय जिले में करीब एक हजार अतिथि काम कर रहे हैं।
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आरटीआई कानून लागू होने के बाद भी स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पाईहै। इसके साथ ही स्कूलों में पदस्थ शिक्षक अन्य बेगारी के काम में भी लगे हुए हैं। इसका असर बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट पर पडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले में 85 हायर सेकंडरी और 113 हाईस्कूल हैं। इनमें से 55 हायर सेकंडरी स्कूलों में और 48 हाईस्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं। इसके साथ ही जिले के स्कूलों में वर्ग दो के 1200 और वर्ग एक के चार सौपद रिक्त हैं। स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पड़े हुए पदों के कारण पढ़ाई ठीक प्रकार से नहीं हो रही है।
पिछले साल हाईस्कूल परीक्षा में 52 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों की प्राचार्यों की 13 जनवरी को क्लास लगी थी। लोक शिक्षण संचलनालय के अपर संचालक डीएस कुशवाहा ने एक्सीलेंस स्कूल में प्राचार्यों को स्पष्ट रूप से कहा कि इस साल हाईस्कूल में परीक्षा में स्कूलों का परीक्षा परिणाम 80 से 90 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसके लिए विद्यार्थियों की परीक्षा की तैयारी में कही कोई कोर कसर नहीं छोड़े।
शिक्षा के हाल की बात करें तो आरटीआई के तहत मिडिल स्कूलों में कम से कम गणित, अंगे्रजी,साईंस के एक-एक शिक्षक होने चाहिए। स्थिति इससे उलट है। जिले के 675 मिडिल स्कूलों में से महज पांच प्रतिशत स्कूलों में ही मुश्किल से अंग्रेजी के शिक्षक है। गणित और साईंस की बात करें तो गणित के आधे स्कूलों में और सार्इंस के 20 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक नहीं है।
सरकारी स्कूल के शिक्षक पढ़ाई से ज्यादा अन्य काम की बेगारी में व्यस्त हैं। कहीं शिक्षक दूसरे स्थानों पर तो ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। शिक्षकों की माने तो उन्हें शिक्षक के अलावा अन्य कामों में झौंक दिया जाता है।जनगणना, चुनाव, छात्रवृत्ति आदि कामों में भी शिक्षक लगे रहते हैं। मध्यान्ह भोजन भी स्कूलों में शिक्षकों के लिए पढ़ाई में बाधा का काम कर रहा है। आधा समय भोजन और बर्तन आदि समेटने में शिक्षक व्यस्त रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में एक या दो शिक्षकों के होने के कारण व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाती है।
जिले में करीब नौहजार शिक्षकों की आवश्यकता है। इनमें से करीब 6 हजार 600 शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षकों के करीब 2400 पद रिक्त हैं।शिक्षकों की कमी अतिथि शिक्षक रखकर शिक्षा विभाग पूरी कर रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के लिए अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ही अतिथि शिक्षकों के करीब छह सौ से सात सौ पद रिक्त हैं। इस समय जिले में करीब एक हजार अतिथि काम कर रहे हैं।
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