राजगढ़.
सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जब राजगढ़ पहुंचे तो लंबे समय से अपनी
मांगों के लिए परेशान हो रहे कर्मचारियों या फिर संगठनों में न्याय की आस
जागी। ऐसे में कई लोगों द्वारा उन्हें अपनी-अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन
सौंपे।
49 माह से नहीं मिला वेतन: जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के कर्मचारियों ने अपने वेतन भुगतान के साथ ही संविलियन के संबंध में मांग रखी। जहां उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को 49 माह चार साल से भी ज्यादा समय से पूरा वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके कारण कर्मचारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। कुछ का तो देहांत भी हो गया।
विकलांग संघ ने रखी मांग:मप्र आदर्श विकलांग कल्याण संगठन ने भी प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान को अपना दस सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने मांग की कि विकलांग का कोटा होता है। जिसके पद गलत तरीके से भरे जा रहे है। इसमें जो पात्र है उन्हें ही नियुक्तियां दी जाए। साथ ही विकलांग पेंशन, बेरोजगारी भत्ता और बीपीएल कार्ड आदि बनाए जाए।
न्यायालय का आदेश मान कराए परीक्षा
अतिथि शिक्षकों ने भी इस दौरान अपनी मांग रखी। उन्होंने कहा लगभग सात-आठ वर्षो से हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। उन्होंने मांग की कि जिस तरह गुरूजी की पात्रता परीक्षा लेते हुए उन्हें संविदा शिक्षक बनाया गया। उसी तरह न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए अतिथियों की भी परीक्षा ली जाए। नहीं तो बड़े आंदोलन किए जाएंगे।
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49 माह से नहीं मिला वेतन: जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के कर्मचारियों ने अपने वेतन भुगतान के साथ ही संविलियन के संबंध में मांग रखी। जहां उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को 49 माह चार साल से भी ज्यादा समय से पूरा वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके कारण कर्मचारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। कुछ का तो देहांत भी हो गया।
विकलांग संघ ने रखी मांग:मप्र आदर्श विकलांग कल्याण संगठन ने भी प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान को अपना दस सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने मांग की कि विकलांग का कोटा होता है। जिसके पद गलत तरीके से भरे जा रहे है। इसमें जो पात्र है उन्हें ही नियुक्तियां दी जाए। साथ ही विकलांग पेंशन, बेरोजगारी भत्ता और बीपीएल कार्ड आदि बनाए जाए।
न्यायालय का आदेश मान कराए परीक्षा
अतिथि शिक्षकों ने भी इस दौरान अपनी मांग रखी। उन्होंने कहा लगभग सात-आठ वर्षो से हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। उन्होंने मांग की कि जिस तरह गुरूजी की पात्रता परीक्षा लेते हुए उन्हें संविदा शिक्षक बनाया गया। उसी तरह न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए अतिथियों की भी परीक्षा ली जाए। नहीं तो बड़े आंदोलन किए जाएंगे।
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