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चहेतों के लिए अतिशेष शिक्षकों की सूची फेरबदल के लिए लटकाई

होशंगाबाद। अतिशेष शिक्षकों की सूची बार-बार अटक रही है। डेढ़ माह बाद भी सूची फाइनल नहीं हो पाई है। लगातार देरी से ना केवल सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि अब तो यह भी आरोप लगने लगे हैं कि चहेतों को बचाने या उनकी पसंद की जगह पहुंचाने के लिए फेरबदल किए जा रहे हैं। इसीलिए सूची फाइनल नहीं हो पा रही है।
जबकि सरकार ने इसे 30 सितंबर तक पूरी करने के आदेश दिए थे। इधर, शिक्षक संघों का आरोप है कि सरकार बीच सत्र में इस तरह की प्रक्रिया कर जानबूझकर शिक्षण सत्र प्रभावित करना चाहती है। शिक्षा सत्र के मध्य में इस तरह की प्रक्रिया के कारण शैक्षणिक कार्य पर सीधा असर पड़ रहा है। शिक्षक संघों ने डीईओ पर गंभीर आरोप लगाए थे। विरोध करने के लिए संयुक्त संघर्ष मोर्चा तक बन गया था। उन्होंने प्रक्रिया के तहत अनेक अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाए थे।
पोर्टल पर जारी की थी 690की सूची
जिला शिक्षा विभाग ने संकुल प्राचायोर्ं से उनके क्षेत्र के स्कूलों में जो अतिशेष शिक्षक हैं, उसकी जानकारी एकत्रित की थी। संकुल प्राचार्यां की रिपोर्ट के आधार पर 690 अतिशेष शिक्षक की सूची पोर्टल पर जारी की गई थी। सूची जारी होते ही बवाल मच गया था। अनेक शिक्षक विरोध करने लगे थे। नियमों का हवाला देते हुए सूची से नाम हटवाने के लिए जोर अजमाइश शुरू हो गई थी। इसी के साथ चहेतों को बचाने के लिए विभागीय अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को धीमी कर दी थी। इसी कारण सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
14 सितंबर को आदेश मिला, प्रक्रिया शुरू करने की तारीख लिख दी 3 सितंबरः
इस प्रक्रिया के लिए स्कूल शिक्षा विभाग का जो आदेश जारी हुआ, वह ही पूरी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। आदेश के तहत पूरी प्रक्रिया 15 दिन में करते हुए 30 सितंबर तक अतिशेष शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण करना था। जिला स्तर पर शाला वार शिक्षक की व्यवस्था की स्थति शिक्षा विभाग के पोर्टल पर 3 सितंबर को जारी करना था। जबकि सरकार का आदेश ही 14 सितंबर को मिला।
प्रक्रिया पर उठ रहे थे से सवाल
- जिनकी सेवानिवृत्ति नवंबर में है, उनका नाम ही सूची में शामिल क्यों कर दिया।
- जिन स्कूलों को मर्ज किया गया है। इन मर्ज शालाओं के शिक्षक कैसे हो गए अतिशेष।
- विस्थापित गांव की शालाओं के शिक्षकों को अतिशेष में शामिल क्यों किया गया।
- सीनियर और जूनियर शिक्षकों के मामले को क्यों स्पष्ट नहीं किया गया।
- बीमार रहने वाले शिक्षकों का अतिशेष की सूची में क्यों शामिल किया गया।
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने किया था खुला विरोध
शिक्षक कांग्रेस, अध्यापक संघ, सहित तृतीय कर्मचारी संघ के संयुक्त मोर्चा ने जिला शिक्षा अधिकारी पर खुला आरोप लगाया था। तथा पक्षपात पूर्ण की जाने वाली इस प्रक्रिया का जमकर विरोध करते हुए यहां तक आंदोलन शुरू कर दिया था कि कोई भी शिक्षक इस प्रक्रिया के लिए दावे आपत्तियों दर्ज नहंीं करेंगे। लेकिन विभाग के द्वारा संगठनों से कहा कि आप लोगों की आपत्तियों पर भी ध्यान दिया जाएगा। तब कहीं दावे आपत्तियां करने के लिए शिक्षक तैयार हुए थे। होशंगाबाद ब्लाक से सबसे ज्यादा आपत्तियां 165आई हैं।
अब 661हैं अतिशेष शिक्षक
सभी ब्लाकों से आई दावे आपत्तियों के बाद अब जो पᆬाइनल सूची बनी है। उसमें 661शिक्षकों को अतिशेष माना जा रहा है। दावे आपत्तियों के बाद 29शिक्षकों को सूची से हटा दिया गया है। बीते सप्ताह तक पूरी प्रक्रिया हो जाने के बाद भी अभी तक शिक्षा विभाग के पास ही सूची अटकी पडी हुई है। सोमवार शाम तक विभाग इसी गुनतारे में था कि सूची कलेक्टर को भेजे या नहीं। सूची तैयार होने के बाद भी उसे लटकाया जाना भी अपने आप में एक सवाल है।
इनका कहना है-
शासन के निर्देशों का पालन करते हुए ही सूची तैयार की गई है। विभाग के अन्य अनेक कार्य होने के कारण ही अभी तक सूची फाइनल नहीं हो सकी थी। सूची में अब सिपर्ᆬ 661अतिशेष शिक्षक रह गए है। जिन्हें शासन के आदेशानुसार अन्य शालाओं में जाना पडेगा। सूची कलेक्टर को भेजी जा रही है। उनके द्वारा ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
अरविंद चौरगढे, जिला शिक्षा अधिकारी
मैं मानता हूं कि बीच सत्र में ट्रांसफर करने से पढ़ाई प्रभावित होती है, लेकिन आगे से ऐसा नहीं होने देंगेः
- ये बिल्कुल सही है कि बीच शिक्षण सत्र में शिक्षकों के ट्रांसफर से पढ़ाई प्रभावित होती है। लेकिन किन्हीं कारणों से इस प्रक्रिया में देर हुई है। आगे से यह ध्यान रखा जाएगा कि प्रक्रिया मई-जून में ही पूरी हो जाए। इस बार सभी जगह प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा जा रहा है कि वे जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा करें।
दीपक जोशी, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री
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