छिंदवाड़ा/सुरलाखापा. हर्रई
विकासखंड अंतर्गत संकुल केंद्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सुरलाखापा
के शासकीय माध्यमिक स्कूल सेजवाड़ा एवं प्राथमिक स्कूल घोंदी में अतिथि
शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया है। उपरोक्त स्कूलों में
अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के बिना ही एजुकेशन पोर्टल पर अतिथि शिक्षक
वर्ग-2 के अनिल यादव तथा वर्ग-2 के नीलेश साहू का जुलाई 2016 का मानदेय
जनरेट किया गया,
जबकि दोनों शिक्षकों की नियुक्ति हुई ही नहीं है। इतना ही नहीं इस मामले में शाला प्रबंधन समिति द्वारा कोई प्रस्ताव भी नहीं बनाया गया और न सेजवाड़ा माध्यमिक स्कूल तथा घोंदी प्राथमिक स्कूल में अतिथि शिक्षकों की आवश्यकता ही थी। इसके बावजूद सम्बंधित अधिकारियों ने मामले में लापरवाही बरती तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी उपरोक्त मामले में आपत्ति जताई है। मामले के तूल पकडऩे पर फिलहाल मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है।
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एनएस बरकड़े ने हाल ही में उपरोक्त संकुल के विभिन्न स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के सम्बंध में जांच भी की थी, इसके बावजूद अधिकारी ने निरीक्षण में औपचारिकता निभाई तथा मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।
इतनी बड़ी गलती कैसे
अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन ने गाइड लाइन निर्धारित की है, जिसमें नियुक्त अतिथि शिक्षक की सम्पूर्ण जानकारी और आईडी कोड बनाया जाता है। इतना ही नहीं सम्बंधित शिक्षक की जानकारी एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड भी की जाती है। अतिथि शिक्षक का मानदेय संकुल प्राचार्य द्वारा पेडाटा तैयार किया जाता है। इसके बाद लिपिक उसे पोर्टल पर जनरेट करता है तथा बीईओ की अनुशंसा पर भुगतान किया जाता है।
कार्रवाई की जाएगी
फर्जी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति मामले में सम्बंधित प्राचार्य से मोबाइल पर बात की गई, जिसमें उन्होंने गलती होना स्वीकारा है। जिसमें आधार पर मामले की जांच कराई जाएगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीके दुबे, सहायक संचालक, आदिवासी विकास विभाग
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जबकि दोनों शिक्षकों की नियुक्ति हुई ही नहीं है। इतना ही नहीं इस मामले में शाला प्रबंधन समिति द्वारा कोई प्रस्ताव भी नहीं बनाया गया और न सेजवाड़ा माध्यमिक स्कूल तथा घोंदी प्राथमिक स्कूल में अतिथि शिक्षकों की आवश्यकता ही थी। इसके बावजूद सम्बंधित अधिकारियों ने मामले में लापरवाही बरती तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी उपरोक्त मामले में आपत्ति जताई है। मामले के तूल पकडऩे पर फिलहाल मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है।
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एनएस बरकड़े ने हाल ही में उपरोक्त संकुल के विभिन्न स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के सम्बंध में जांच भी की थी, इसके बावजूद अधिकारी ने निरीक्षण में औपचारिकता निभाई तथा मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।
इतनी बड़ी गलती कैसे
अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन ने गाइड लाइन निर्धारित की है, जिसमें नियुक्त अतिथि शिक्षक की सम्पूर्ण जानकारी और आईडी कोड बनाया जाता है। इतना ही नहीं सम्बंधित शिक्षक की जानकारी एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड भी की जाती है। अतिथि शिक्षक का मानदेय संकुल प्राचार्य द्वारा पेडाटा तैयार किया जाता है। इसके बाद लिपिक उसे पोर्टल पर जनरेट करता है तथा बीईओ की अनुशंसा पर भुगतान किया जाता है।
कार्रवाई की जाएगी
फर्जी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति मामले में सम्बंधित प्राचार्य से मोबाइल पर बात की गई, जिसमें उन्होंने गलती होना स्वीकारा है। जिसमें आधार पर मामले की जांच कराई जाएगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीके दुबे, सहायक संचालक, आदिवासी विकास विभाग
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