भास्कर संवाददाता|शिवपुरी जिले के 148 ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूल बंद होंगे, जिनमें बच्चों की संख्या 20 या इससे कम है। दरअसल इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को लक्ष्य दिया गया था कि वे बच्चों को स्कूल तक लाएं लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
अब इन 148 शालाओं मेंं पदस्थ 300 से अधिक शिक्षकों को तो अन्य स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा लेकिन सबसे अधिक परेशानी उन 2900 बच्चों को होगी, जो यहां पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को पढ़ने के लिए एक किमी से अधिक दूरी पर जाना होगा। लेकिन अफसरों को इसकी फिक्र ही नहीं है।
अब बच्चों को 1 किमी दूर जाना होगा
अब इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को पास के गांव में एक किमी दूर जाना पड़ेगा। साथ ही जहां डेढ़ किमी के क्षेत्र में अगर स्कूल की व्यवस्था नहीं हैं तो ऐसे बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था बीईओ व बीआरसी गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र में करेंगे। इसके लिए गैर आवासीय प्रशिक्षण केंद्र ऐसे क्षेत्रों में तत्काल खोले जाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसलिए लेना पड़ा निर्णय
ग्रामीण क्षेत्रों में बने ऐसे स्कूलों में प्राइमरी स्कूलों में जहां शिक्षक तो 2 से 3 पदस्थ कर दिए है लेकिन उनमें पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं। इसलिए शासन ने यहां ऐसे स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है जहां प्राइमरी में 20 या 20 से कम बच्चे रह गए हों।
लुधावली स्थित सरकारी स्कूल जो नई पॉलिसी के चलते बंद होने वाला है।
शासन स्तर पर लिया गया है यह फैसला
ये निर्णय शासन स्तर से हुआ है। जिसमें 20 से कम छात्र संख्या वाले जिले के 148 प्राइमरी स्कूल बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। यह स्कूल बंद होने से शासन को करोड़ों रुपयों का फायदा होगा। वहीं एक शिक्षक और शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक बढ़ जाएंगे। शिरोमणी दुबे, जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी
कलेक्टर शिवपुरी ओपी श्रीवास्तव के आदेश के तहत बंद किए गए 148 प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की पदस्थापना जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा की जाएगी।
जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे 300 शिक्षकों की पद स्थापना नजदीक के उन स्कूलों में करेंगे जिनमें कोई शिक्षक नहीं है। या फिर संकुल के ऐसे स्कूल जिनमें सिर्फ 1 ही शिक्षक है।
संविदा शिक्षकों की पदस्थापना जिला पंचायत के अनुमोदन उपरांत की जाएगी।
संकुल प्राचार्यों को बंद शालाओं के शिक्षकों के लिए आदेश दिए गए हैं कि वह ऐसे शिक्षकों से तत्काल चार्ज व समस्त सामग्री लेकर जन शिक्षा केंद्र को हस्तांतरित कर स्कूलों से हटने वाले शिक्षकों की सूची डीईओ को भेजें।
संकुल प्राचार्यों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि शाला से रिलीव होने के बाद ऐसे शिक्षकों को संकुल अंतर्गत आवश्यकता वाली शालाओं में शैक्षणिक कार्य के लिए लगाया जाए। जब तक उनकी नवीन पद स्थापना नहीं हो जाती।
खाली स्कूलों में होगी शिक्षकों की पोस्टिंग
जिले में शासन द्वारा 20 से कम छात्र संख्या पर बंद किए गए 148 प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले 2900 बच्चे इससे प्रभावित होंगे।
148 स्कूलों के बंद करने से कुल 2 करोड़ के सरकारी भवन भी लावारिस स्थिति में आजाएंगे। शासन का प्रति भवन पर सवा लाख रुपए से अधिक का खर्च हुआ था।
कई सरकारी स्कूलों पर पहले से ही दबंगों ने कब्जा जमा रखा है और वहां भूसा भरा हुआ है। ऐसे में अब स्कूल खाली हो जाने से इन स्कूलों पर पूरी तरह से दबंगों का कब्जा हो जाएगा।
शासन ने बच्चे और शिक्षकों को शिफ्ट करने की पॉलिसी तो बना ली लेकिन लाखों खर्च कर बनाए शाला भवनों के संबंध में कोई नीति नहीं बनाई।
148 स्कूल बंद, 2900 बच्चे प्रभावित, 2 करोड़ का नुकसान
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अब इन 148 शालाओं मेंं पदस्थ 300 से अधिक शिक्षकों को तो अन्य स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा लेकिन सबसे अधिक परेशानी उन 2900 बच्चों को होगी, जो यहां पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को पढ़ने के लिए एक किमी से अधिक दूरी पर जाना होगा। लेकिन अफसरों को इसकी फिक्र ही नहीं है।
अब बच्चों को 1 किमी दूर जाना होगा
अब इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को पास के गांव में एक किमी दूर जाना पड़ेगा। साथ ही जहां डेढ़ किमी के क्षेत्र में अगर स्कूल की व्यवस्था नहीं हैं तो ऐसे बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था बीईओ व बीआरसी गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र में करेंगे। इसके लिए गैर आवासीय प्रशिक्षण केंद्र ऐसे क्षेत्रों में तत्काल खोले जाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसलिए लेना पड़ा निर्णय
ग्रामीण क्षेत्रों में बने ऐसे स्कूलों में प्राइमरी स्कूलों में जहां शिक्षक तो 2 से 3 पदस्थ कर दिए है लेकिन उनमें पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं। इसलिए शासन ने यहां ऐसे स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है जहां प्राइमरी में 20 या 20 से कम बच्चे रह गए हों।
लुधावली स्थित सरकारी स्कूल जो नई पॉलिसी के चलते बंद होने वाला है।
शासन स्तर पर लिया गया है यह फैसला
ये निर्णय शासन स्तर से हुआ है। जिसमें 20 से कम छात्र संख्या वाले जिले के 148 प्राइमरी स्कूल बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। यह स्कूल बंद होने से शासन को करोड़ों रुपयों का फायदा होगा। वहीं एक शिक्षक और शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक बढ़ जाएंगे। शिरोमणी दुबे, जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी
कलेक्टर शिवपुरी ओपी श्रीवास्तव के आदेश के तहत बंद किए गए 148 प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की पदस्थापना जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा की जाएगी।
जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे 300 शिक्षकों की पद स्थापना नजदीक के उन स्कूलों में करेंगे जिनमें कोई शिक्षक नहीं है। या फिर संकुल के ऐसे स्कूल जिनमें सिर्फ 1 ही शिक्षक है।
संविदा शिक्षकों की पदस्थापना जिला पंचायत के अनुमोदन उपरांत की जाएगी।
संकुल प्राचार्यों को बंद शालाओं के शिक्षकों के लिए आदेश दिए गए हैं कि वह ऐसे शिक्षकों से तत्काल चार्ज व समस्त सामग्री लेकर जन शिक्षा केंद्र को हस्तांतरित कर स्कूलों से हटने वाले शिक्षकों की सूची डीईओ को भेजें।
संकुल प्राचार्यों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि शाला से रिलीव होने के बाद ऐसे शिक्षकों को संकुल अंतर्गत आवश्यकता वाली शालाओं में शैक्षणिक कार्य के लिए लगाया जाए। जब तक उनकी नवीन पद स्थापना नहीं हो जाती।
खाली स्कूलों में होगी शिक्षकों की पोस्टिंग
जिले में शासन द्वारा 20 से कम छात्र संख्या पर बंद किए गए 148 प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले 2900 बच्चे इससे प्रभावित होंगे।
148 स्कूलों के बंद करने से कुल 2 करोड़ के सरकारी भवन भी लावारिस स्थिति में आजाएंगे। शासन का प्रति भवन पर सवा लाख रुपए से अधिक का खर्च हुआ था।
कई सरकारी स्कूलों पर पहले से ही दबंगों ने कब्जा जमा रखा है और वहां भूसा भरा हुआ है। ऐसे में अब स्कूल खाली हो जाने से इन स्कूलों पर पूरी तरह से दबंगों का कब्जा हो जाएगा।
शासन ने बच्चे और शिक्षकों को शिफ्ट करने की पॉलिसी तो बना ली लेकिन लाखों खर्च कर बनाए शाला भवनों के संबंध में कोई नीति नहीं बनाई।
148 स्कूल बंद, 2900 बच्चे प्रभावित, 2 करोड़ का नुकसान
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