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अपात्र शिक्षक पढ़ा रहे इंजीनियरिंग, आरजीपीवी हर छह माह में लेगा पात्रता परीक्षा

गुणवत्ता सुधारने विवि ने की पहल, पूर्व में आयोजित परीक्षा में 80 फीसदी शिक्षक हो चुके हैं फेल
भोपाल। नवदुनिया न्यूज प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों को अपात्र शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इस बात का खुलासा शिक्षकों के लिए आयोजित टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीएटी) से हो चुका है।
इसको देखते हुए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) ने दोबारा पात्रता परीक्षा कराने की तैयारी शुरू कर दी है। अब विवि हर छह महीने में पात्रता परीक्षा कराएगा। ऐसा इंजीनियरिंग के घटते स्तर और एडमिशन की कम संख्या को देखते हुए किया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा सिस्टम बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गुणवत्ता सुधारने के लिए आरजीपीवी पात्रता परीक्षा अनिवार्य करने की भी तैयारी में है। चार या पांच परीक्षा के बाद विवि इसे लागू कर देगा। इससे इंजीनियरिंग कॉलेजों में वे ही शिक्षक पढ़ा पाएंगे, जिन्होंने परीक्षा पास की होगी।
विवि ने टीएटी की पहली परीक्षा इस साल मार्च में आयोजित की थी। इसमें 1342 उम्मीदवार शामिल हुए थे। इनमें से महज 274 परीक्षार्थी यानी 80 फीसदी ही पास हो पाए। इसको देखते हुए आरजीपीवी ने दोबारा परीक्षा कराने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे एक बार फिर इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की पात्रता को परखा जा सके। इंजीनियरिंग कॉलेजों को तीन हजार से अधिक शिक्षकों की जरूरत है। इसी को देखते हुए दूसरी परीक्षा कराई जा रही है, जिससे पात्र शिक्षकों की संख्या बढ़ जाए।
उधर, इंजीनियरिंग कॉलेजों में मूल्यांकन कराने वाले शिक्षक ही नहीं हैं। हाल ही में आरजीपीवी ने यूजी के मूल्यांकन के लिए पीजी के शिक्षकों को बुलाया था। तब कॉलेजों ने मूल्यांकन के लिए पीजी के शिक्षक नहीं भेजे थे। इसके बाद विवि को सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों से मूल्यांकन कराना पड़ा था। इस संबंध में आरजीपीवी के कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी का कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की पात्रता को परखने यह पहल की है। अब हर छह महीने में पात्रता परीक्षा आयोजित की जाएगी।
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