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सरकार ने मंजूर किया संतान पालन का अवकाश, विभाग इसे नकारने पर तुला

भास्कर संवाददाता| नरसिंहगढ़ सरकारी गजट और वित्त विभाग के आदेश में महिला कर्मचारियों को दिए जाने वाले संतान पालन अवकाश को शिक्षा विभाग रद्द करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि तकनीकी तौर पर ऐसा संभव नहीं है। ऐसे में अवकाश ले चुकी महिला अध्यापकों पर स्थानीय अधिकारी काम पर वापस लौटने का दबाव बना रहे हैं। कुछ डरकर काम पर लौट भी गई हैं।
लेकिन बाकी का स्पष्ट कहना है कि उन्होंने बाकायदा आवेदन देकर नियम के मुताबिक अवकाश लिया है। अगर शासन ने इस सुविधा को रद्द किया है तो इसे लिखित में दिया जाए कि पुराने आदेश को गजट से कब हटाया गया है।

पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि विभाग के अधिकारी एक सुर में कह रहे हैं कि अध्यापक संवर्ग को यह अवकाश लेने का अधिकार नहीं है। लेकिन अवकाश ले चुकी महिला अध्यापकों को नियम के मुताबिक अब भी नियमित वेतन मिल रहा है। न ही वरिष्ठ स्तर से उन्हें किसी तरह के नोटिस या कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। इससे भी इस आशंका को बल मिल रहा है कि जानबूझकर केवल मानसिक दबाव बनाकर उन्हें अपना अवकाश का अधिकार लेने से वंचित करने की कोशिश की जा रही है। जबकि ऐसा नियम में नहीं है। अब महिला अध्यापिकाओं के हक में इस मामले को सामाजिक संगठन युवा नागरिक मंच ने कोर्ट में ले जाने की तैयारी की है।

संतान पालन अवकाश सभी का अधिकार है

महिला अध्यापकों को संतान पालन अवकाश मिलने का पूरा अधिकार है। शासन के स्पष्ट निर्देश भी हैं। उन्हें गलत तरीके से यह अधिकार लेने से रोकने की कोशिश की जा रही है। मामले को न्यायालय में ले जाया जा सकता है।

डीईओ ने अध्यापिकाओं के इस अवकाश के बारे में नहीं की बात

इस मामले में डीईओ एसके मिश्रा से लगातार 2 दिनों तक बात करने की कोशिश की गई। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

हर स्तर पर अवकाश की बात को रखेंगे

संतान पालन अवकाश नियमित शिक्षिकाओं से लेकर अध्यापक संवर्ग तक सबका समान अधिकार है। इससे अध्यापिकाओं को वंचित करने की कोशिश करना सही तरीका नहीं है। चूंकि उन्हें यह अधिकार शासन के निर्देश पर ही मिला है। ऐसे में जब तक शासन खुद कोई स्पष्ट आदेश कर इसे खारिज नहीं कर देता, तब तक उन्हें इस अधिकार से दूर रखना कतई सही नहीं है। हम इस बात को शासन के हर स्तर पर रखेंगे और अध्यापिकाओं को उनका अधिकार लेने में मदद करेंगे। रामबाबू शर्मा, प्रांतीय सहसचिव मप्र शासकीय अध्यापक संघ।

क्यों हो रहा है ऐसा

माना जा रहा है कि अध्यापक संवर्ग को योजना का फायदा नहीं लेने देने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है। असल में नियमित शिक्षिकाओं में लगभग ऐसी शिक्षिकाएं हैं ही नहीं, जिनके बच्चों की उम्र 18 साल से कम हो। ऐसे में उन्हें इस योजना का फायदा नहीं मिल सकता। क्योंकि योजना में केवल 18 साल तक की संतान की देखरेख के लिए ही अवकाश लिया जा सकता है। जबकि अध्यापक संवर्ग की कर्मचारी इस दायरे में आ रही हैं।

जानिए संतान पालन अवकाश को

इसमें शासकीय महिला कर्मचारी अपनी 18 साल तक की उम्र की संतान की देखरेख के लिए अपने पूरे सेवाकाल में 730 दिनों का अवकाश ले सकती है। यह अवकाश एक साथ भी लिया जा सकता है और टुकड़ों में भी। अवकाश के दौरान वेतन मिलने की पात्रता रहती है।

मामले में विभाग के तर्क और उनके जवाब

महिला अध्यापकों को अवकाश की पात्रता इसलिए नहीं हैं कि वे पंचायत और नगरीय क्षेत्र की कर्मचारी हैं।

गजट अधिसूचना पंचायत-ग्रामीण विकास विभाग भोपाल की 11 सितंबर 2008 की कंडिका ख में नियमित शिक्षकों के समान अवकाश की पात्रता है। डीपीआई के कार्यकारी आदेश क्रमांक/शिक्षाकर्मी/2010/29/भोपाल दिनांक 17.05.2010 ने इसकी पुष्टि भी की है।

स्कूल शिक्षा विभाग में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। अगर सब एक साथ छुट्टी ले लेती हैं तो स्कूलों में पढाई के इंतजाम गड़बड़ा जाएंगे।

पहली बात तो ऐसा होना ही नहीं है कि पूरे प्रदेश में एक साथ सारी महिला अध्यापक छुट्टी पर चली जाएं। अगर ऐसा हो भी जाता है तो शासन अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था कर सकता है। इसका प्रावधान भी है।

राज्य सरकार ने संतान पालन अवकाश पर रोक लगा दी है।

जवाब- यह बिल्कुल सही नहीं है। राज्य सरकार ने 22 अगस्त 2015 को अधिसूचना जारी कर सभी महिला शासकीय सेवकों को 730 दिनों के संतान पालन अवकाश को लेने की पात्रता दी है। अब तक इसके विपरीत किसी तरह का दूसरा लिखित आदेश नहीं आया है।

(जैसा युवा नागरिक मंच के संयोजक एडवोकेट शाहिद सैफी ने बताया।)

शिक्षा विभाग के अधिकारी इस तरह कर रहे हैं गजट की अनदेखी

मप्र राजपत्र-2008 के नियम 8-ख में स्पष्ट लिखा है कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अधीन नियोजित या संविलियन किया गया कोई व्यक्ति, स्कूल शिक्षा विभाग में नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश का हकदार रहेगा। इसके बाद 17 मई 2010 और 22 दिसंबर 2015 को दो अलग-अलग आदेश कर डीपीआई ने और 30 मार्च 2015, 17 नवंबर 2015 को वित्त विभाग ने इसी नियम के आधार पर पत्र जारी कर महिला अध्यापकों को संतान पालन अवकाश की पात्रता के निर्देश जारी किए। इसपर राजगढ़ डीईओ एसके मिश्रा ने भी पृष्ठांकन कर दिया। इसके बाद ब्लॉक में कुछ महिला अध्यापकों ने यह अवकाश ले भी लिया। बाद में आननफानन में 2016 की गर्मियों में राजगढ़ जिले में अलग-अलग बीईओ से दबाव बनवाकर कई महिला अध्यापकों को काम पर वापस बुलवा लिया गया।
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