भोपाल। प्रदेश के कॉलेजों में छात्रों की लगातार घटती संख्या पर सरकार भी चिंतित नजर आ रही है। यही वजह है कि अगले सत्र से ग्रेजुएशन कोर्सेस में ऐसे सब्जेक्ट्स को शामिल किया जाएगा, जो स्टूडेन्ट्स के लिए रोजगार में सहायक होंगे।
उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए सिलेबस समिति का गठन करेगा, जो स्टूडेन्ट्स की जरूरत और वर्तमान समय में रोजगार के लिए फायदेमंद सब्जेक्ट्स को सिलेबस में शामिल करेगी।
प्रदेश में उच्च शिक्षा की हालत को देखते हुए सरकार भी महसूस कर रही है कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए पुराने पाठ्यक्रम में बदलाव जरूरी है। इसके लिए पाठ्यक्रम में रोजगार मूलक विषय जोड़े जाने की आवश्यकता है। जिसे देखते हुए ग्रेजुएशन कोर्सेस के 30 फीसदी सिलेबस में बदलाव किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिहं पवैया इस संबंध में जल्द ही निर्देश भी जारी कर सकते हैं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के दौरान उन्होंने ये बात कही।
education
सिलेबस समिति का होगा गठन
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि सिलेबस में जॉब ओरिएंटिड सब्जेक्ट्स को शामिल करने के लिए सिलेबस समिति का गठन किया जा रहा है। इसके लिए स्टूडेन्ट्स से भी सुझाव मांगे गए हैं। इसके अलावा स्टूडेन्ट्स सीधे उच्च शिक्षा मंत्री को भी पत्र लिखकर इस बारे में बता सकते हैं।
अगले सत्र से ग्रेजुएशन कोर्सेस में भ्रूण हत्या, जल प्रबंधन, पर्यावरण, संयुक्त परिवार सहित अन्य सामाजिक पहलुओं और रोजगार परक विषयों को जोड़ने की कवायद की जा रही है।
बेहाल है मप्र की उच्च शिक्षा
आंकड़ों में देखें तो साफ समझ आता है कि मप्र की उच्च शिक्षा की स्थिति क्या है। वर्तमान सत्र में स्टूडेन्ट्स के एडमिशन की संख्या कम है, और ये पिछले कुछ सालों से कम होती ही चली आ रही है। वहीं पास होने वाले स्टूडेन्ट्स को जॉब मिलना भी काफी मुश्किल हो रहा है। कॉलेज प्लेसमेन्ट की बात करें तो पिछले सत्र में लगभग 2 लाख स्टूडेन्ट्स पास हुए थे, जिनमें महज 5 हजार को ही ठीक ठाक कम्पनियों में प्लेसमेन्ट मिल पाया था।
प्रदेश के कालेजों में एडमिशन की प्रक्रिया लगभग पूरी होने जा रही है और हालात ये हैं कि कई संस्थानों में आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति ये है कि वर्तमान सत्र के लिए कुल सीटों में आधी भी नहीं भर पाई हैं। अभी कॉलेजों में एडमिशन जारी हैं, लेकिन फिलहाल जो स्थिति नजर आ रही है, उससे ये तय माना जा रहा है कि इस बार पिछली साल से भी कम एडमिशन होंगे।
इस तरह कम हो रहे हैं स्टूडेन्ट्स
बीते कुछ सालों से स्टूडेन्ट्स हायर एजुकेशन के लिए नागपुर, बेंगलुरू, दिल्ली जैसे बड़े शहरों की ओर जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान, बिहार, यूपी सहित अन्य राज्यों के छात्रों ने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए एडमिशन लेना बंद कर दिया है।
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उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए सिलेबस समिति का गठन करेगा, जो स्टूडेन्ट्स की जरूरत और वर्तमान समय में रोजगार के लिए फायदेमंद सब्जेक्ट्स को सिलेबस में शामिल करेगी।
प्रदेश में उच्च शिक्षा की हालत को देखते हुए सरकार भी महसूस कर रही है कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए पुराने पाठ्यक्रम में बदलाव जरूरी है। इसके लिए पाठ्यक्रम में रोजगार मूलक विषय जोड़े जाने की आवश्यकता है। जिसे देखते हुए ग्रेजुएशन कोर्सेस के 30 फीसदी सिलेबस में बदलाव किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिहं पवैया इस संबंध में जल्द ही निर्देश भी जारी कर सकते हैं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के दौरान उन्होंने ये बात कही।
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सिलेबस समिति का होगा गठन
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि सिलेबस में जॉब ओरिएंटिड सब्जेक्ट्स को शामिल करने के लिए सिलेबस समिति का गठन किया जा रहा है। इसके लिए स्टूडेन्ट्स से भी सुझाव मांगे गए हैं। इसके अलावा स्टूडेन्ट्स सीधे उच्च शिक्षा मंत्री को भी पत्र लिखकर इस बारे में बता सकते हैं।
अगले सत्र से ग्रेजुएशन कोर्सेस में भ्रूण हत्या, जल प्रबंधन, पर्यावरण, संयुक्त परिवार सहित अन्य सामाजिक पहलुओं और रोजगार परक विषयों को जोड़ने की कवायद की जा रही है।
बेहाल है मप्र की उच्च शिक्षा
आंकड़ों में देखें तो साफ समझ आता है कि मप्र की उच्च शिक्षा की स्थिति क्या है। वर्तमान सत्र में स्टूडेन्ट्स के एडमिशन की संख्या कम है, और ये पिछले कुछ सालों से कम होती ही चली आ रही है। वहीं पास होने वाले स्टूडेन्ट्स को जॉब मिलना भी काफी मुश्किल हो रहा है। कॉलेज प्लेसमेन्ट की बात करें तो पिछले सत्र में लगभग 2 लाख स्टूडेन्ट्स पास हुए थे, जिनमें महज 5 हजार को ही ठीक ठाक कम्पनियों में प्लेसमेन्ट मिल पाया था।
प्रदेश के कालेजों में एडमिशन की प्रक्रिया लगभग पूरी होने जा रही है और हालात ये हैं कि कई संस्थानों में आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति ये है कि वर्तमान सत्र के लिए कुल सीटों में आधी भी नहीं भर पाई हैं। अभी कॉलेजों में एडमिशन जारी हैं, लेकिन फिलहाल जो स्थिति नजर आ रही है, उससे ये तय माना जा रहा है कि इस बार पिछली साल से भी कम एडमिशन होंगे।
इस तरह कम हो रहे हैं स्टूडेन्ट्स
बीते कुछ सालों से स्टूडेन्ट्स हायर एजुकेशन के लिए नागपुर, बेंगलुरू, दिल्ली जैसे बड़े शहरों की ओर जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान, बिहार, यूपी सहित अन्य राज्यों के छात्रों ने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए एडमिशन लेना बंद कर दिया है।
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