ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शिक्षक अल्पवेतन पर किसी अन्य
शिक्षकों के जरिए अध्यापन कार्य न करा पाए इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने
एक नई व्यवस्था शुरू करते हुए आदेश जारी किया था, जिसमें कहा था कि अब
स्कूलों के सूचना पटल पर शिक्षकों की फोटो लगाई जाएगी।
इस नियम का जिले में पालन नहीं हुआ है और न ही इसको लेकर अधिकारियों ने कोई रुचि दिखाई है, जिससे स्कूल अपने हिसाब से ही चल रहे है। शिक्षकों की फोटो चस्पा कर नाम और नंबर अंकित किए जाने थे, जो नहीं हुए है।
दरअसल, भर्राशाही पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने प्रदेश के सभी जिला पंचायत सीईओ को पत्र जारी किया था। सरकारी स्कूलों के सूचना पटल पर वहां पदस्थ शिक्षकों की फोटो चस्पा करनी थी, जिससे एवजीदार शिक्षकों को निरीक्षण करने वाले अधिकारी व ग्रामीण पहचान सकें। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार नए-नए प्रयोग कर रही है। शिक्षा विभाग द्वारा अब यह नई व्यवस्था जुलाई से ही शुरू की गई थी, जो अभी तक जिले में लागू नहीं हो सकी है। राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी करते हुए यह माना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में अल्पवेतन के शिक्षकों की व्यवस्था चलती है। इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक कई माह तक नदारद रहते हैं और बकायदा वेतन लेते है। वहीं स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने उनके द्वारा अल्पवेतन में रखे गए एवजीदार शिक्षक ड्यूटी करते रहते हैं। अंचल के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा अपना रोजमर्रा का खर्च निकालने इस कार्य में लग जाते हैं। वहीं ग्रामीण भी इसके विरोध में खड़े नहीं होते है, क्योंकि उन्हें लगता है कि पदस्थ शिक्षकों के नहीं आने से कम से कम उनके बच्चों की पढ़ाई तो नहीं रुक रही है। इसके बावजूद एवजीदार शिक्षकीय व्यवस्था की शिकायतें आए दिन सामने आती रहती हैं। राज्य शासन ने इस व्यवस्था पर शिकंजा कसने के लिए इस तरह का आदेश जारी किया था।
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इस नियम का जिले में पालन नहीं हुआ है और न ही इसको लेकर अधिकारियों ने कोई रुचि दिखाई है, जिससे स्कूल अपने हिसाब से ही चल रहे है। शिक्षकों की फोटो चस्पा कर नाम और नंबर अंकित किए जाने थे, जो नहीं हुए है।
दरअसल, भर्राशाही पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने प्रदेश के सभी जिला पंचायत सीईओ को पत्र जारी किया था। सरकारी स्कूलों के सूचना पटल पर वहां पदस्थ शिक्षकों की फोटो चस्पा करनी थी, जिससे एवजीदार शिक्षकों को निरीक्षण करने वाले अधिकारी व ग्रामीण पहचान सकें। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार नए-नए प्रयोग कर रही है। शिक्षा विभाग द्वारा अब यह नई व्यवस्था जुलाई से ही शुरू की गई थी, जो अभी तक जिले में लागू नहीं हो सकी है। राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी करते हुए यह माना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में अल्पवेतन के शिक्षकों की व्यवस्था चलती है। इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक कई माह तक नदारद रहते हैं और बकायदा वेतन लेते है। वहीं स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने उनके द्वारा अल्पवेतन में रखे गए एवजीदार शिक्षक ड्यूटी करते रहते हैं। अंचल के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा अपना रोजमर्रा का खर्च निकालने इस कार्य में लग जाते हैं। वहीं ग्रामीण भी इसके विरोध में खड़े नहीं होते है, क्योंकि उन्हें लगता है कि पदस्थ शिक्षकों के नहीं आने से कम से कम उनके बच्चों की पढ़ाई तो नहीं रुक रही है। इसके बावजूद एवजीदार शिक्षकीय व्यवस्था की शिकायतें आए दिन सामने आती रहती हैं। राज्य शासन ने इस व्यवस्था पर शिकंजा कसने के लिए इस तरह का आदेश जारी किया था।
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