मॉडल स्कूल में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की नियम विरुद्ध प्रतिनियुक्ति के मामले में शिक्षा विभाग ने अब भी गलती नहीं सुधारी है। दूसरी और गुरुवार को कुरावन में भी विद्यार्थियों ने एक शिक्षक का तबादला रोकने के लिए एसडीएम प्रकाश नायक के नाम ज्ञापन ग्राम पंचायत सचिव को सौंपा।
इस बारे में डीईओ बीएस पटेल से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी प्रतिनियुक्तियां नियमानुसार हुई है। अब आदेश कहां ढूंढने जाऊं।
मॉडल स्कूल में नियमानुसार प्रतिनियुक्तियां उन लोगों की होना थी जो उसी नगरीय निकाय में किसी स्कूल में पदस्थ हों जहां मॉडल स्कूल स्थापित है। ऐसा हो नहीं सका है। सभी प्रतिनियुक्तियां ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों से कर ली गई। अब हो ये रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं। हाल ही में चंदवासा में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को लेकर विद्यार्थियों ने आंदोलन किया। इसके चलते विभाग को आदेश स्थगित करना पड़ा। दूसरी ओर गुरुवार को कुरावन में इसी तरह से विद्यार्थियों ने हंगामा कर ज्ञापन सौंपा।
तत्काल रोका जाए स्थानांतरण
कुरावन के हाईस्कूल से शिक्षक विपिनकुमार बरडेजा का तबादला मॉडल स्कूल में किया गया। इसके विरोध में गुरुवार सुबह अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भारतसिंह राठौर के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने हंगामा किया और तबादले को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की। विद्यार्थियों का कहना यह कि यहां पहले से ही शिक्षकों को अभाव है। ऐसे में विभाग गलत तरीके से स्थानांतरण कर रहा है। विद्यार्थियों ने जमकर नारेबाजी की और ग्राम पंचायत सचिव कैलाशचंद्र सोनी को ज्ञापन सौंपा।
बिना आधार की नियुक्ति
चूंकि मॉडल स्कूल का मामला था तो विभाग को ऐसे शिक्षकाें का चुनाव करना था जो सब तरह से योग्य हों। उनके पांच साल का रिकॉर्ड देखना चाहिए था कि वे जहां पढ़ा रहे हैं वहां का रिजल्ट कैसा रहा है। उनके अनुभव और वरीयता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था।
करीब छह करोड़ रुपए बेकार
करीब छह करोड़ रुपए की लागत से गरोठ और भानपुरा में मॉडल स्कूल बनाए हैं। इन स्कूलों के निर्माण के लिए पिछले प्राचार्यों और अधिकारियों ने खासी मशक्कत के बाद जमीन चिह्नित की। स्कूल नहीं लगने से छह करोड़ रुपए व्यर्थ साबित हो रहे हैं।
शिक्षकों में भी असंतोष
इस बात को लेकर योग्य शिक्षकों में असंतोष है।उन्होंने नाम तो नहीं बताया लेकिन कहा कि प्रतिनियुक्तियां मनमाफिक तरीके से हुई हैं। ये वे शिक्षक हैं मॉडल स्कूल के लिए सभी प्रकार से योग्य भी हैं। बावजूद विभाग ने इन्हें अवसर नहीं दिया।
डीईओ का जवाब गलत है
डीईओ को इस तरह का जवाब नहीं देना चाहिए। नियमानुसार काम करना उनकी जिम्मेदारी है। इस संबंध में डीईओ से चर्चा की जाएगी। स्वतंत्रकुमार सिंह, कलेक्टर
भास्कर ने उठाया था मुद्दा
शिक्षा विभाग किसी भी तरह से गलती को सुधारने काे तैयार नहीं है। 2015 में आए आदेश का हवाला देते हुए भास्कर ने एक खबर प्रकाशित कर सभी नियुक्तियों को नियम विरुद्ध होने का मुद्दा उठाया था। उल्लेखनीय है कि नियम को ताक में रखते हुए शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों गरोठ मॉडल स्कूल में 10 और भानपुरा में 8 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। अधिकतर शिक्षक तो स्कूल में पहुंचे ही नहीं। मॉडल स्कूल अपने भवनाें में लग ही नहीं पाए। वे अभी भी उत्कृष्ट विद्यालय के ही भरोसे चल रहे हैं।
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इस बारे में डीईओ बीएस पटेल से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी प्रतिनियुक्तियां नियमानुसार हुई है। अब आदेश कहां ढूंढने जाऊं।
मॉडल स्कूल में नियमानुसार प्रतिनियुक्तियां उन लोगों की होना थी जो उसी नगरीय निकाय में किसी स्कूल में पदस्थ हों जहां मॉडल स्कूल स्थापित है। ऐसा हो नहीं सका है। सभी प्रतिनियुक्तियां ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों से कर ली गई। अब हो ये रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं। हाल ही में चंदवासा में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को लेकर विद्यार्थियों ने आंदोलन किया। इसके चलते विभाग को आदेश स्थगित करना पड़ा। दूसरी ओर गुरुवार को कुरावन में इसी तरह से विद्यार्थियों ने हंगामा कर ज्ञापन सौंपा।
तत्काल रोका जाए स्थानांतरण
कुरावन के हाईस्कूल से शिक्षक विपिनकुमार बरडेजा का तबादला मॉडल स्कूल में किया गया। इसके विरोध में गुरुवार सुबह अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भारतसिंह राठौर के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने हंगामा किया और तबादले को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की। विद्यार्थियों का कहना यह कि यहां पहले से ही शिक्षकों को अभाव है। ऐसे में विभाग गलत तरीके से स्थानांतरण कर रहा है। विद्यार्थियों ने जमकर नारेबाजी की और ग्राम पंचायत सचिव कैलाशचंद्र सोनी को ज्ञापन सौंपा।
बिना आधार की नियुक्ति
चूंकि मॉडल स्कूल का मामला था तो विभाग को ऐसे शिक्षकाें का चुनाव करना था जो सब तरह से योग्य हों। उनके पांच साल का रिकॉर्ड देखना चाहिए था कि वे जहां पढ़ा रहे हैं वहां का रिजल्ट कैसा रहा है। उनके अनुभव और वरीयता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था।
करीब छह करोड़ रुपए बेकार
करीब छह करोड़ रुपए की लागत से गरोठ और भानपुरा में मॉडल स्कूल बनाए हैं। इन स्कूलों के निर्माण के लिए पिछले प्राचार्यों और अधिकारियों ने खासी मशक्कत के बाद जमीन चिह्नित की। स्कूल नहीं लगने से छह करोड़ रुपए व्यर्थ साबित हो रहे हैं।
शिक्षकों में भी असंतोष
इस बात को लेकर योग्य शिक्षकों में असंतोष है।उन्होंने नाम तो नहीं बताया लेकिन कहा कि प्रतिनियुक्तियां मनमाफिक तरीके से हुई हैं। ये वे शिक्षक हैं मॉडल स्कूल के लिए सभी प्रकार से योग्य भी हैं। बावजूद विभाग ने इन्हें अवसर नहीं दिया।
डीईओ का जवाब गलत है
डीईओ को इस तरह का जवाब नहीं देना चाहिए। नियमानुसार काम करना उनकी जिम्मेदारी है। इस संबंध में डीईओ से चर्चा की जाएगी। स्वतंत्रकुमार सिंह, कलेक्टर
भास्कर ने उठाया था मुद्दा
शिक्षा विभाग किसी भी तरह से गलती को सुधारने काे तैयार नहीं है। 2015 में आए आदेश का हवाला देते हुए भास्कर ने एक खबर प्रकाशित कर सभी नियुक्तियों को नियम विरुद्ध होने का मुद्दा उठाया था। उल्लेखनीय है कि नियम को ताक में रखते हुए शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों गरोठ मॉडल स्कूल में 10 और भानपुरा में 8 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। अधिकतर शिक्षक तो स्कूल में पहुंचे ही नहीं। मॉडल स्कूल अपने भवनाें में लग ही नहीं पाए। वे अभी भी उत्कृष्ट विद्यालय के ही भरोसे चल रहे हैं।
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