भोपाल/इंदौर। पांच साल से इंजीनियरिंग करने वाले
बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। यह बात सरकार ने मान लिया है, मगर इसकी
वजह गुणवत्ता का स्तर गिरा है, यह मानने के बजाय विद्यार्थियों का अधिक
संख्या में प्रवेश को ठहराया है।
विधानसभा के मानसून सत्र में मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने सवाल उठाया कि पांच साल में बेरोजगार इंजीनियरों की संख्या कितनी बढ़ी? प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता के स्तर की जांच कब-कब कराई गई? इंदौर-उज्जैन संभाग में तीन साल में कितने इंजीनियरिंग छात्रों ने परीक्षा पास की और कितने को नौकरी मिली?
इन सवालों के जवाब में राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या और उनमें पढ़ने वाली बच्चों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से यह स्थिति बनी है। 2014 से 2016 के बीच इंदौर-उज्जैन संभाग में 7 हजार 533 विद्यार्थी पास-आउट हुए। इनमें से कितने को रोजगार मिला, इसका जवाब नहीं दिया गया।
हालांकि यह बताया गया है कि रोजगार दिलाने के लिए कैम्पस इंटरव्यू किए जा रहे हैं। गुणवत्ता सुधार पर उन्होंने कहा कि इंदौर-उज्जैन के 26 निजी इंजीनियिंरंग कॉलेजों का नीरिक्षण किया गया है। इन कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता जांचने के लिए कोई कमेटी नहीं बनाई गई है। हालांकि सरकार ने सभी कॉलेजों को परिपत्र भी जारी किया है।
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इन सवालों के जवाब में राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या और उनमें पढ़ने वाली बच्चों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से यह स्थिति बनी है। 2014 से 2016 के बीच इंदौर-उज्जैन संभाग में 7 हजार 533 विद्यार्थी पास-आउट हुए। इनमें से कितने को रोजगार मिला, इसका जवाब नहीं दिया गया।
हालांकि यह बताया गया है कि रोजगार दिलाने के लिए कैम्पस इंटरव्यू किए जा रहे हैं। गुणवत्ता सुधार पर उन्होंने कहा कि इंदौर-उज्जैन के 26 निजी इंजीनियिंरंग कॉलेजों का नीरिक्षण किया गया है। इन कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता जांचने के लिए कोई कमेटी नहीं बनाई गई है। हालांकि सरकार ने सभी कॉलेजों को परिपत्र भी जारी किया है।
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