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सरकारी स्कूलों में बच्चों की कमी ने रोका शिक्षकों का प्रमोशन

- हेडमास्टर के खाली पड़े 140 पदों में से 103 पर ही चल रही प्रमोशन प्रक्रिया
- प्राचार्यों से मांगी जा रही शिक्षकों की सीआर, उसमें भी मांगा 2007 से अब तक का रिकार्ड
जबलपुर। शिक्षकों का प्रमोशन कर उन्हें मिडिल स्कूलों का हेडमास्टर बनाने की प्रक्रिया तो शुरू कर दी गई, लेकिन स्कूलों में छात्रों की कमी के कारण शिक्षक चाहकर भी हेडमास्टर नहीं बन पा रहे। क्योंकि शिक्षकों को उसी स्कूल का हेडमास्टर बनाने का नियम है जहां 100 बच्चे होंगे।
लिहाजा जिला शिक्षा विभाग मिडिल स्कूलों में हेडमास्टरों के खाली पड़े करीब 140 पदों में लगभग 103 पदों पर ही प्रमोशन की प्रक्रिया अपना रहा है।
40 फीसदी स्कूलों में बच्चों का संकट
- 648 मिडिल स्कूल हैं जिले में। नियम है कि जिस स्कूल में 100 बच्चे दर्ज होंगे वहां हेडमास्टर की तैनाती की जाएगी।
- इनमें से करीब 40 फीसदी स्कूलों में पर्याप्त बच्चे दर्ज नहीं हैं। कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां महज 10 से 20 बच्चे ही पढ़ाई कर रहे।
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सीआर में भी झमेला
- मिडिल स्कूल का हेडमास्टर बनाने के लिए स्कूल प्राचार्यों से शिक्षकों की 2007 से 2016 तक की गोपनीय चरित्रावली (सीआर) मांगी जा रही है।
- इसमें शिक्षकों की योग्यता से लेकर वर्तमान पदस्थापना व नियुक्ति तारीख सहित जानकारी निर्धारित प्रपत्र में देने कहा गया है।
- इतने सालों का रिकार्ड देने में प्राचार्यों की भी परेशानी बढ़ गई है। यहीं वजह है कि 163 संकुलों में से अब तक सिर्फ 25 प्राचार्यों ने ही शिक्षकों की सीआर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराई है।
- सीआर के झमेले में उलझे कुछ प्राचार्यों ने सिर्फ 5 साल की सीआर का ब्यौरा ही भेजा है।
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100 से ज्यादा खाली पड़े मिडिल स्कूलों के हेडमास्टर के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्राचार्यों से उच्च श्रेणी शिक्षकों की सीआर बुलवाई जा रही है।
-सतीश अग्रवाल, डीईओ
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स्कूलों में छात्रों की कम संख्या के कारण शिक्षकों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पा रहा। जितने पद खाली हैं उसमें भी कटौती की जा रही है।
-शिवकुमार दीक्षित, संभागीय अध्यक्ष, मप्र शिक्षक संघ

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