जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 90 दिन के भीतर संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर नियुक्ति का सख्त आदेश सुनाया। मामले
की सुनवाई न्यायमूर्ति सुजय पॉल की एकलपीठ में हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता
टीकमगढ़ निवासी छोटेलाल अहिरवार का पक्ष अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने रखा।
उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता 1989 से 94 तक अन्वेषक के पद पर कार्यरत रहा। 2008 में उसने गुरुजी पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। जिसके आधार पर उसे संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर नियुक्ति दी जानी चाहिए। इसके बावजूद 2009 के सर्कुलर की रोशनी में यह कहकर दरकिनार कर दिया गया कि निरंतर कार्यरत रहने वालों को ही यह लाभ मिल सकता है। आगे चलकर 2009 का सर्कुलर होने के बावजूद उसी आधार पर वंचित रखा गया। यहां तक कि 2004 के आयुक्त के नए सर्कुलर तक की अनदेखी कर दी गई, जिसके तहत 2013 में कई संविदा शाला शिक्षक बनाए गए। इस सर्कुलर में साफ कर दिया गया था कि 2008- 09 की गुरुजी पात्रता परीक्षा पास करने वाले अर्हता पूरी करने की सूरत में पात्र हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता 1989 से 94 तक अन्वेषक के पद पर कार्यरत रहा। 2008 में उसने गुरुजी पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। जिसके आधार पर उसे संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर नियुक्ति दी जानी चाहिए। इसके बावजूद 2009 के सर्कुलर की रोशनी में यह कहकर दरकिनार कर दिया गया कि निरंतर कार्यरत रहने वालों को ही यह लाभ मिल सकता है। आगे चलकर 2009 का सर्कुलर होने के बावजूद उसी आधार पर वंचित रखा गया। यहां तक कि 2004 के आयुक्त के नए सर्कुलर तक की अनदेखी कर दी गई, जिसके तहत 2013 में कई संविदा शाला शिक्षक बनाए गए। इस सर्कुलर में साफ कर दिया गया था कि 2008- 09 की गुरुजी पात्रता परीक्षा पास करने वाले अर्हता पूरी करने की सूरत में पात्र हैं।
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