क्या कोई शासकीय कर्मचारी सस्पेंड होना चाहता है। आपका उत्तर हो सकता है कि सस्पेंड होना तो शर्म की बात है। कोई कर्मचारी निलंबित होना क्यों चाहेगा परंतु मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में हजारों शिक्षक सस्पेंड होना चाहते हैं। गुना के जिला शिक्षा अधिकारी ने ए क ऐसा फार्मूला खोज निकाला है कि, आप शिक्षक सस्पेंड होने के लिए उनके दरवाजे पर खड़े रहते हैं।
प्रतिबंध के बावजूद ट्रांसफर का सबसे सफल फार्मूला
बात
यह है कि, जो शिक्षक तबादलों पर प्रतिबंध, खुलने का इंतजार कर रहे थे। जब
उन्हें दिखाई देने लगा कि अब प्रतिबंध नहीं खुलेगा, तो मनचाही पोस्टिंग के
लिए उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर इस खास फार्मूले पर काम करना
शुरू कर दिया। इस फार्मूले के तहत जिला शिक्षा अधिकारी ट्रांसफर चाहने वाले
शिक्षक को सस्पेंड कर देते हैं। फिर नोटिस जारी होता है और संतोषजनक जवाब
पाए जाने पर सेवा बहाल कर दी जाती है। बहाली के समय नवीन पद स्थापना दी
जाती है। यह मनचाहे स्कूल में होती है। कुल मिलाकर ट्रांसफर की प्रक्रिया
सानंद संपन्न हो जाती है और किसी प्रभारी मंत्री के चक्कर भी नहीं लगाने
पड़ते।
समाचार की सत्यता प्रमाणित करने, कुछ उदाहरण पढ़िए
साधना रघुवंशी -
शासकीय प्राथमिक विद्यालय नेव आरोन में पदस्थ थीं। इन्हें 24 जनवरी को
निलंबित कर 19 मई को बहाल करते हुए गुना के नजदीक प्राथमिक विद्यालय कुडी
मंगवार में पदस्थ कर दिया गया। साधना रघुवंशी गुना के ख्यावदा कॉलोनी में
रहती हैं। डीईओ ने 1 वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने की
कार्रवाई करते हुए उन्हें आरोन से गुना विकासखंड में ही कुडी मंगवार में
पदस्थ कर दिया। मेव गुना से 50 किमी दूर था जबकि कुडी मंगवार सिर्फ 5 किमी
दूर है।
शशि मीना -
गुना से करीब 65 किमी दूर एकीकृत शाला शासकीय प्राथमिक विद्यालय बरखुआ
चांचौड़ा में पदस्थ थीं। 21 दिसंबर 23 को निलंबित किया और दो महीने के बाद
एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकते हुए गुना से 9 किमी दूर
बजरंगगढ़ के नयागांव में पदस्थ कर दिया गया।
निधि श्रीवास्तव -
शासकीय एकीकृत शासकीय प्राथमिक विद्यालय गौचाआमल्या राघौगढ़ में पदस्थ थीं।
इन्हें 20 अक्टूबर को निलंबित कर दो महीने के बाद सिर्फ चेतावनी देकर 12
जनवरी को प्राथमिक विद्यालय कुडी मंगवार गुना में बहाल कर दिया गया। गुना
से गौचाआमल्या करीब 60 दूर है जबकि कुडी मंगवार सिर्फ 5 किमी।
जितेंद्र शर्मा -
गुना से 60 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय सलैया राय बमोरी में पदस्थ थे। 15
मार्च को निलंबित कर विभागीय जांच की और 13 जून को विसोनिया में बहाल कर
दिया गया। गुना शहर से विसोनिया की दूरी करीब 10 किमी ही है। भास्कर ने
पूछा तो जितेंद्र ने कॉल ही काट दिया।
सत्येंद्र दोहरे -
सोनखरा में पदस्थ थे। 5 फरवरी को कलेक्टर ने स्कूल में शराब पीकर आने पर
निलंबित किया। डीईओ ने जांच कर 21 जून को जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर
रानीगंज में पदस्थ कर दिया। सतेंद्र के अनुसार 1 फरवरी को अटैक आया था। इस
दौरान ही कलेक्टर ने निलंबित कर दिया।
देवेंद्र राजौरिया -
गुना जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर बमोरी के डिगडोली में पदस्थ थे।
21 दिसंबर 2023 को निलंबित किया।28 दिन बाद ही गुना के सिरसीकलां प्रथमिक
विद्यालय में पदस्थ कर दिया। इनकी विभागीय जांच अब तक लंबित है।
मैने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया, चंद्रशेखर सिसौदिया, जिला शिक्षा अधिकारी गुना
जिस
भी जगह पर पद खाली हैं, उनकी पूर्ति तो करना है। कोई दिव्यांग या बीमार है
तो मानवता के नाते शहर के पास पदस्थ कर दिया। ऐसा नहीं है कि इन जगहों पर
भी पहुंचने का कोई सीधा साधन हो। विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी में ही है कि
शिक्षकों को उनके घर के पास पदस्थ किया जाए।
गड़बड़ी तो हुई है - डॉ. सतेंद्र सिंह, कलेक्टर गुना
शिक्षा
विभाग में निलंबन और बहाली में गड़बड़ी सामने आई है। दूरदराज पदस्थ शिक्षकों
को निलंबन के बाद डीईओ ने गुना के पास बहाल कर दिया। विभाग में और भी बड़ी
अनियमितताएं हुई हैं, जिनकी जांच चल रही है।