आदरणीय मुख्यमंत्री जी, सादर नमस्कार। आज मध्य प्रदेश के विद्यालयीन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध मे शिक्षा विभाग ने जो आदेश जारी किया है वह जरूर अतिथि शिक्षकों की जिंदगी मे कुछ शांति लाने का काम करेगा। विगत 3 माह से अतिथि शिक्षक बेरोजगार थे।
हालात
ये है कि मध्य प्रदेश का अतिथि शिक्षक अपने परिवार व अपने छात्रों से नजर
मिलाने मे संकोच करने लगा है। म.प्र की भाजपा सरकार जिसने 2007 से अतिथि
शिक्षकों को प्रदेश के विद्यालयों मे नियुक्त करना प्रारंभ किया था, फिर
ऑनलाइन के नाम पर हजारों अतिथि शिक्षकों को 8-10 वर्ष की सेवा के बाद निकाल
दिया। फिर भी हजारों अतिथि शिक्षक ऑनलाइन माध्यम से भी पुन: अतिथि
शिक्षक के रूप मे चयनित हो गए। पिछले 11 वर्षों से मध्यप्रदेश में शिक्षक
बनने का सपना देख रहे डीएड/ बीएड अभ्यार्थी सरकार की गलत नीतियों से
परेशान हैं।
वर्षों
मध्यप्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होती फिर परीक्षा परिणाम मे
बिलंब होता है फिर 2-3 साल नियुक्ति मे लग जाते हैं। 11 वर्ष बाद हुई वर्ग 3
पात्रता परीक्षा मे घोटाला होता है। अभी 100 दिन से अधिक बीत जाने पर भी
परीक्षा परिणाम लंबित है। तो ऐसी ऑनलाइन परीक्षा से उत्तर प्रदेश सरकार की
आफलाइन परीक्षा अच्छी जो 1 माह मे परीक्षा परिणाम घोषित हो जाता है।
मप्र
के अतिथिशिक्षकों के संबंध मे 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले मे शिवराज
जी की घोषणा थी की 3 साल कार्य करने वाले अतिथि शिक्षकों को संविदा
शिक्षक बना देगें। यह वाली घोषणा भी झूठी साबित हुई। जैसी उनकी अतिथि
शिक्षकों के संबंध मे विभागीय परीक्षा लेने की बात झूठी साबित हुई। मप्र मे
हजारों शिक्षक पद रिक्त पड़े है। मप्र सरकार को पात्रता परीक्षा पास
डीएड/बीएड अतिथिशिक्षकों के संबंध मे नीति बनाकर अन्य राज्यों की तरह
उन्हें लाभ देना चाहिए ताकि उनके साथ न्याय हो सके।
11
वर्ष पूर्व जो युवा 28 साल का था अब 39 का हो चुका है परंतु सरकार को अब
उस अधेड़ हो चुके व्यक्ति की फिक्र नहीं है। वर्ग 1 व 2 मे 25% आरक्षण
अतिथि शिक्षकों के लिए भर्ती मे रखा गया था। वर्ग 3 मे अतिथि शिक्षकों के
विषय मे कोई बात नहीं की गई है। उनका यह आरक्षण उनको वर्ग 3 मे भी मिलना
चाहिए। साथ ही 51000 पद रिक्त है तो जब 11 वर्ष बाद भर्ती हो रही है तो
सरकार को पद वृद्धी के साथ भर्ती पूरी करना चाहिए। नहीं तो ओवरएज की कगार
पर पहुँच चुके ये अतिथि शिक्षक फिर कभी शिक्षक नहीं बन पायेंगे क्योंकि
उम्र का भी तकाजा होता है।
नार्मलाइजेशन
और आनलाइन परीक्षा, नए नए आरक्षण ने भर्ती प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।
इसलिए म.प्र सरकार से निवेदन है कि संवेदना दिखाते हुए प्रदेश के
बेरोजगारों के हित मे नीति बनाए साथ ही अतिथि शिक्षकों को वचन देने वाले
कमलनाथजी व उनकी जिम्मेदारी लेने वाले दिग्विजय सिंहजी भी को इन मुद्दों
पर मुखर होना चाहिए जो वे नहीं कर रहें है।
अन्यथा
म.प्र मे अब डीएड/ बीएड कोर्स पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए ताकि युवा
दूसरा रास्ता तलाशें और समय एवं पैसा भी बर्बाद न करें और अब कोई म.प्र मे
शिक्षक बनने का शिगूफा न पाले।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र