भोपाल। मध्यप्रदेश के नए सीएम कमलनाथ की नियत पर संदेह किया जा रहा
है। मामला संवेदनशील व्यापमं घोटाला का है। जिस व्यापमं घोटाले की लड़ाई
कांग्रेस ने लड़ी। दिग्विजय सिंह बदनाम हुए, उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज और
झूठी साजिश रचने के आरोप लगे। खुद कमलनाथ के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज
हुआ। सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या कमलनाथ अब सीएम बनने के बाद व्यापमं का
न्याय कर पाएंगे। क्या वो व्यापमं के उस मास्टर माइंड को जेल की सलाखों तक
भेज पाएंगे जो अब तक सामने नहीं आया है और जिसको सामने लाने के लिए
कांग्रेस कड़ा परिश्रम कर रही थी।
क्या है व्यापमं घोटाला
व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा 07 जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी
परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में
आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बिठाने का काम
करता था। धीरे धीरे प्रदेश के दूसरे थानों की पुलिस ने भी ऐसे ही रैकेट की
धरपकड़ की। इनके कनेक्शन यूपी/बिहार सहित मध्यप्रदेश के कई रसूखदारों से
होना पाया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को
अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया। व्हिसल ब्लोअर्स ने सबूत पेश करते हुए
कई नए खुलासे किए और आरोप लगाया कि शिवराज सिंह सरकार की एसटीएफ जांच में
ईमानदार नहीं है। शिवराज सिंह चौहान एसटीएफ को पर्दे के पीछे से लीड कर रहे
हैं। भाजपा से जुड़े लोगों को बचाया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और उसने उच्च न्यायालय के
सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल
2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा।
कांग्रेस ने व्हिसल ब्लोअर्स के आरोपों का समर्थन किया और विधानसभा सदन के
भीतर सहित पूरे प्रदेश में ना केवल प्रदर्शन किए बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक
लड़ाई भी लड़ी ताकि जांच निष्पक्ष हो। 09 जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को
सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की लेकिन सीबीआई
पर आरोप लगाया गया है कि उसने ईमानदारी से जांच नहीं की। भाजपा के लोगों को
बचाने का काम किया। गिरफ्तार किए गए रसूखदारों को जमानत मिल जाए इसलिए ढील
बरती गई।
ये लोग हुए थे गिरफ्तार
शिवराज सिंह सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी
शुक्ला, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव,
व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा
जेल जा चुके हैं। इस मामले में दो हजार से अधिक लोग जेल जा चुके हैं, और
चार सौ से अधिक अब भी फरार हैं। वहीं 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी
है।
मास्टर माइंड अब भी अज्ञात
कांग्रेस सहित सभी विरोधियों ने व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की
थी परंतु जब सीबीआई जांच हुई तो उसके परिणाम एसटीएफ की जांच से भी खराब आए।
कांग्रेस ने चुनाव से पहले कई दफा खुला आरोप लगाया कि सीबीआई सिर्फ
खानापूर्ति कर रही है। आरोपियों को जमानत मिल जाए इसलिए ढिलाई बरत रही है।
कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कुछ सबूत कोर्ट में पेश किए
जिन्हे तत्कालीन सरकार ने झूठा करार दिया। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ।
सवाल यह है कि क्या सीएम कमलनाथ व्यापमं के मास्टर माइंड और उस पूरे रैकेट
का खुलासा करने की हिम्मत जुटा पाएंगे जिस पर आरोप है कि वो 50 से ज्यादा
संदिग्ध मौतों का जिम्मेदार है।