डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति घोटाले में
उर्दू विभाग से बर्खास्त किए गए शिक्षकों की याचिका अब सुप्रीम कोर्ट ने
भी सिरे खारिज कर दी है।
गौरतलब है कि उर्दू विभाग में पद विज्ञापित न होने के बाद भी 2013 में तीन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद अफजल हुसैन, डॉ. अबु शाहीम खान और डॉ. मोहम्मद साफवान साफवी की नियुक्ति कर ली गई थी।
इसके बाद मामले की जांच में तीनों शिक्षकों की नियुक्ति को गलत मानते हुए अगस्त 2014 में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इन्हें बर्खास्त किया गया था। विश्वविद्यालय के इस आदेश के खिलाफ इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 28 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने शिक्षकों की बर्खास्तगी को सही बताया था और अपील का खारिज कर दी थी। इसके बाद विवि ने इन तीनों शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर बाहर रास्ता दिखा दिया। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद शिक्षकों ने सुप्रीम में याचिका दायर की थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही बताते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
इन विभागों में भी बगैर विज्ञापन हुईं नियुक्तियां, लेकिन अब तक नहीं हुई कार्रवाई : सागर विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के अलावा भी पांच विभाग ऐसे हैं, जहां बगैर विज्ञापन के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां की गई हैं, जिन्हें बर्खास्त करना तो दूर अब तक सेवाएं ली जा रहीं हैं। इनमें मनोविज्ञान विभाग में 2, इतिहास में 3, पत्रकारिता में 2, प्रौढ़ शिक्षा में 2 और शिक्षा विभाग में 6 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय की जांच रिपोर्ट का भी पता नहीं
सागर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती घोटाले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के लिए राष्ट्रपति से मार्गदर्शन मांगा था। इसके बाद जुलाई माह में राष्ट्रपति सचिवालय से दो सदस्यीय दल जांच के लिए गठित हुआ था। यह दल 10 सितंबर को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है।
Ãकुलपति प्रो. आरपी तिवारी का कहना है कि इस जांच के संबंध में अभी राष्ट्रपति की ओर से निर्णय नहीं लिया गया है। जैसे ही राष्ट्रपति से कोई आदेश आएगा उसका पालन तत्काल प्रभाव से होगा।
गौरतलब है कि उर्दू विभाग में पद विज्ञापित न होने के बाद भी 2013 में तीन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद अफजल हुसैन, डॉ. अबु शाहीम खान और डॉ. मोहम्मद साफवान साफवी की नियुक्ति कर ली गई थी।
इसके बाद मामले की जांच में तीनों शिक्षकों की नियुक्ति को गलत मानते हुए अगस्त 2014 में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इन्हें बर्खास्त किया गया था। विश्वविद्यालय के इस आदेश के खिलाफ इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 28 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने शिक्षकों की बर्खास्तगी को सही बताया था और अपील का खारिज कर दी थी। इसके बाद विवि ने इन तीनों शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर बाहर रास्ता दिखा दिया। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद शिक्षकों ने सुप्रीम में याचिका दायर की थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही बताते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
इन विभागों में भी बगैर विज्ञापन हुईं नियुक्तियां, लेकिन अब तक नहीं हुई कार्रवाई : सागर विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के अलावा भी पांच विभाग ऐसे हैं, जहां बगैर विज्ञापन के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां की गई हैं, जिन्हें बर्खास्त करना तो दूर अब तक सेवाएं ली जा रहीं हैं। इनमें मनोविज्ञान विभाग में 2, इतिहास में 3, पत्रकारिता में 2, प्रौढ़ शिक्षा में 2 और शिक्षा विभाग में 6 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय की जांच रिपोर्ट का भी पता नहीं
सागर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती घोटाले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के लिए राष्ट्रपति से मार्गदर्शन मांगा था। इसके बाद जुलाई माह में राष्ट्रपति सचिवालय से दो सदस्यीय दल जांच के लिए गठित हुआ था। यह दल 10 सितंबर को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है।
Ãकुलपति प्रो. आरपी तिवारी का कहना है कि इस जांच के संबंध में अभी राष्ट्रपति की ओर से निर्णय नहीं लिया गया है। जैसे ही राष्ट्रपति से कोई आदेश आएगा उसका पालन तत्काल प्रभाव से होगा।