ग्वालियर। जिले में
सरकारी प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल तक में 1.42 लाख छात्र पढ़ाई
कर रहे हैं। इन छात्रों को पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग में 6 हजार शिक्षक
तैनात हैं। इन शिक्षकों के ऊपर निर्वाचन कार्य सहित अन्य प्रशासनिक दायित्व
का बोझ समय-समय पर डाला जाता है।
सरकारी कार्य में शिक्षकों को हर साल
व्यस्त किया जाता है और वे मूल काम को छोड़कर क्लासों में नहीं पहुंच पाते
हैं। इस हिसाब से एक शिक्षक के हिस्से में करीब 2366 छात्र आते है। छात्र
और शिक्षक के बीच अनुपात ज्यादा होने की वजह से गुणवत्ता में सुधार नहीं हो
पा रहा है।शिक्षक भी अपने बच्चों को नही पढ़ते सरकारी स्कूलों में : शहर हो या फिर गांव, सरकारी स्कूलों की स्थिति हर जगह एक जैसी देखने को मिलती है। सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के प्रति उदासीनता का भाव अपनाए हुए है। यही कारण है कि सरकारी कर्मचारी, अफसर व शिक्षा विभाग के लोग भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने में रुचि नहीं दिखाते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मजबूरी के चलते अपने बच्चों का भविष्य संभालने के शहर में आकर मोटी फीस देकर निजी स्कूलों दाखिला दिला रहे हैं।
कई पाठशालाओं में पानी, फर्नीचर तक नहीं
जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अब तक के दावे खोखले साबित हो हुए है। सरकारी स्कूलों में जहां पीने के पानी, बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर, पंखे, कूलर व बिजली का अभाव क्लास रूमों में बना हुआ है। वही शिक्षकों की कमी से भी छात्रों को जूझना पड़ रहा है। ऐसी अव्यवस्था के बीच अभिभावकों के अपने बेटा-बेटी के भविष्य की चिंता सता रही है। ये स्थिति गांव क ी पाठशालाओं में और बुरी है। कई पाठशालाएं शिक्षक विहीन है। वहीं कई ऐसी पाठशालाएं जो एकल शिक्षक या फिर अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित हो रही है। प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूल व हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी में शाला प्रमुख का अभाव बना हुआ है। ये स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की नींव कमजोर रहती है।
जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अब तक के दावे खोखले साबित हो हुए है। सरकारी स्कूलों में जहां पीने के पानी, बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर, पंखे, कूलर व बिजली का अभाव क्लास रूमों में बना हुआ है। वही शिक्षकों की कमी से भी छात्रों को जूझना पड़ रहा है। ऐसी अव्यवस्था के बीच अभिभावकों के अपने बेटा-बेटी के भविष्य की चिंता सता रही है। ये स्थिति गांव क ी पाठशालाओं में और बुरी है। कई पाठशालाएं शिक्षक विहीन है। वहीं कई ऐसी पाठशालाएं जो एकल शिक्षक या फिर अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित हो रही है। प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूल व हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी में शाला प्रमुख का अभाव बना हुआ है। ये स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की नींव कमजोर रहती है।
फैक्ट फाइल
जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या—1972
जिले में सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या-1.42 लाख
शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षक व स्टाफ—6751
शहर में 28 प्राइमरी स्कूल हैं आज भी भवन विहीन
शहरी क्षेत्र के 28 प्राइमरी स्कूल ऐसे है जिनके पास स्वयं के भवन नहीं है। ऐसे स्कूलों को मोहल्ले के सामुदायिक भवनों में संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे स्कूलों के पास भवन के नाम पर एक हॉल है जिसमें शिक्षक गण व कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के छात्र एक साथ बैठते हैं। सभी कक्षाओं के छात्र एक साथ पढ़ाई करते है। इन स्कूलों में संशाधनों का अभाव होने की वजह से छात्र भी नित्य नहीं आते।
हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों में प्राचार्य के पद खाली
पत्रिका टीम द्वारा पड़ताल किया गया। जिले में ऐसे कई हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल मिले जिनमें प्राचार्यों की कमी बनी हुई है। इन स्कूलों का संचालक प्रभारी प्राचार्य के भरोसे किए जा रहा है। जिले में 79 हाईस्कूलों में से 56 स्कूलों में प्राचार्य है शेष 23 स्कूल प्राचार्य विहीन है। वहीं 60 हायर सेकंडरी स्कूलों में से 52 में प्राचार्य है शेष 8 में लंबे समय से कमी बनी हुई। इसी तरह वही मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षक कमी है।
पत्रिका टीम द्वारा पड़ताल किया गया। जिले में ऐसे कई हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल मिले जिनमें प्राचार्यों की कमी बनी हुई है। इन स्कूलों का संचालक प्रभारी प्राचार्य के भरोसे किए जा रहा है। जिले में 79 हाईस्कूलों में से 56 स्कूलों में प्राचार्य है शेष 23 स्कूल प्राचार्य विहीन है। वहीं 60 हायर सेकंडरी स्कूलों में से 52 में प्राचार्य है शेष 8 में लंबे समय से कमी बनी हुई। इसी तरह वही मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षक कमी है।
एक्सपर्ट व्यू
&शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए। समाज के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य दो महत्वपूर्ण बिन्दु है। इन पर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयास किए जाने की जरूरत है।
एमएस सिकरवार, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी
&शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए। समाज के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य दो महत्वपूर्ण बिन्दु है। इन पर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयास किए जाने की जरूरत है।
एमएस सिकरवार, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी